Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Madhu Vashishta

Abstract Inspirational

3  

Madhu Vashishta

Abstract Inspirational

पीला रंग (सब की जिम्मेदारी)

पीला रंग (सब की जिम्मेदारी)

1 min
208


एक समय था जब सब को आगे बढ़ाना सब की जिम्मेदारी थी।

बुआ भी हमारी थी चाची भी हमारी थी दादी भी हमारी थी नानी भी हमारी थी।

परिवार से हम जाने जाते थे और परिवार की हर समस्या हमारी थी।

समाज के काम आना हर परिवार की जिम्मेदारी थी।

विवाह हो या जन्मोत्सव सब शान से मनाते थे।

परिवार एक ही रहता था भले ही कम या ज्यादा कमाते थे।

फिर घरों में जाने कहां से ईर्ष्या रूपी डायन ने प्रवेश किया।

लोभ मोह अभिमान को साथ ले आई।

घर में सब ने एक दूसरे से द्वेष किया।


समाज टूटा परिवार टूटे जाने किस किस चीज में घर और समाज को बांट दिया।

पहले टूटे थे परिवार अब खुद ही टूट गए।

इस ईर्ष्या जिसके कारण सारे नाते ही छूट गए।

संसार की नश्वरता क्यों तुमने ना जाना।

क्या लेकर आए थे जो कि साथ है लेकर जाना।

पहचान जाओ इस ईर्ष्या और द्वेष दुश्मन है तुम्हारे।

एक बार कोशिश तो करो, बड़ा लो फिर से एक दूसरे से भाईचारे।

सब साथ होंगे तो रुकेंगे नहीं किसी के भी कोई काम भले ही हमारे हो या तुम्हारे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract