सेल्फी विद गटर
सेल्फी विद गटर
कभी सेल्फी न ली थी उसने ,
कोई तस्वीर भी साझा न की थी
जब वो गटर में डूब के मरा ,
तो माथे पे क़िस्मत की लकीर भी न थी
पहचानने की कोशिश भी न हुई,
वो कोई स्टार न था
चेहरा कीचड़ सा दिखता था,
तस्वीर जैसा कोई फ़िल्टर न था
कुछ दिन पड़ी रही लाश, सड़ी रही..
जाने बू उस लाश की थी या कीचड़ की
खून भी लाल दिखता न था उसका
काली सी कोई परत चड़ी थी कीचड़ की..
देखकर लोग गुज़र गए, ये पहली दफ़ा न था
ज़िन्दा था भी जब, करीब से किसी ने देखा न था
लोग मरते रहते हैं , फ़र्क कहाँ पड़ता है
सुना है गटर साफ़ करने वाला, गटर में ही मरता है