समझ का खेल
समझ का खेल
दिन और रात के बीच हुई मुलाकात समझनी होगी,
कितनी गहरी है ये बात ज़रा एक बार समझनी होगी,
शांत रहे तो जिसने भी चाहा चोट जमाकर के मारी,
पर एक दिन तो औजारों की आवाज़ समझनी होगी,
खेल खेलने से पहले शतरंजी बिसात समझनी होगी,
हाथी घोड़े पैदल की सारी खुराफ़ात समझनी होगी।