ईर्ष्या
ईर्ष्या
यूं बतिया कर गैरों से हमें इस कदर ना जलाइए
मेरे सब्र को आप ऐसे तो ना आज़माइए !
बेकीमत अशर्फियों - सी हँसी है आपकी
इसे हर किसी पर तो ना लुटाइए !
तीखी निगाहें आपकी कर चली है बहुतों को घायल
अब बस भी करें, थम जाइए !
हसीन है यहाँ चेहरे बहुत - माना हमने
मगर आपके काबिल एक भी है - बताइऐ ?
हम संभाल कर रख लेंगे सीने में अपने
आप तो अपना दिल बेफिक्र हमें दे जाइए !
मेरी धड़कनें चल रही हैं तेज़, आप ही के कदमों की तरह
कुछ पल आराम दें इन्हें, चलिए हमारे करीब आइए !
कुछ पल थाम लें हमें और निगाहें घुमा के देखिए
चाहे जिसकी निगाहों में देखिए, खुदको खुशनसीब पाइए !
- : ऋषिता शर्मा