ख्वाहिश
ख्वाहिश
तुम भी मुझे याद करो, ये ख्वाहिश नहीं मेरी||
तुम यू ही याद आ जाती हो, ये बसकी बात नहीं मेरी||
तुम भी मुझे इतनी शिद्दत से चाहों, ये ख्वाहिश नहीं मेरी||
मैं तुम्हें भूल जाऊ, ये बसकी बात नहीं मेरी||
अक्सर अकेला बैठा जब उन गज़लों को गुनगुनाता हू,
जो बीते दिनो की याद दिलाते हैं तुम्हारी और मेरी||
लेकिन कभी चाहत नहीं रखता की तुम भी उन्ही कूचों पे वापस आओ, जो तुम्हें याद दिलाये मेरी||
मैं अक्सर उस कूंचे में आज भी घूम आता हू, जहाँ तुम्हें देख कर सांसे रुक जाया करती थी मेरी||
आज चाह कर भी सांसे रोकने की कोशिश करता हू उन गलिहारों मे, तो ये ख्वाहिश अधूरी सी रहे जाती है मेरी||
आज जानबूझ कर हर वो जुर्म करने की ख्वाहिश है मेरी||
जिससे मुलाक़ात हो जाए तुमसे, और सांसो को अलविदा कहे दे ये धड़कन मेरी||