Rinki Raut
Abstract
अलग है वो
कुछ अद्भुत सा
न चाँद है
फरिश्ता है
पवित्र और पाक
न सूरज है
रौशनी नई
हसरत नई सी
न प्रेमी मेरा
वो है बेटी
नई उम्मीद है
नए दौर की
सृजन करो
सुरक्षित संस्कृति
सुरक्षा करें
मुन्ना-मुन्नी में
न करो भेद अब
स्वतंत्रता
जरूरत है
समय समाज की
संकल्प करो
असली परछाई
अगर तुम न होत...
यार की ख़ुशी म...
दूरी
कभी सोचा है
एक अकेला दिल
छु कर देखू त...
एक तलाश
तेरे लब पर को...
पतंग बिना डोर...
मै फिर से बचपन में लौट जाना चाहता हूँ। मै फिर से बचपन में लौट जाना चाहता हूँ।
तू ही जीवन मेरा, तेरे ही संग रहना, होली सदा के लिए, तेरी मैं होली में। तू ही जीवन मेरा, तेरे ही संग रहना, होली सदा के लिए, तेरी मैं होली में।
हरफे खफ़ा, हर दफ़ा तुझ पर निशार हो गई। हरफे खफ़ा, हर दफ़ा तुझ पर निशार हो गई।
करके बेखबर खुद को ज़रा सा नासमझ बन जाता है कभी कभार करके बेखबर खुद को ज़रा सा नासमझ बन जाता है कभी कभार
न कोई ख्वाहिश न खलिश न जाने ज़िंदगी कब बेनूर हो गई। न कोई ख्वाहिश न खलिश न जाने ज़िंदगी कब बेनूर हो गई।
अलहदा फ़ितरत है तेरी मेरी फिर भी जीने को तू ही ज़रूरी। अलहदा फ़ितरत है तेरी मेरी फिर भी जीने को तू ही ज़रूरी।
तेरी बेरुखी से दिल ये मेरा रोया है तेरी बेरुखी से दिल ये मेरा रोया है ! तेरी बेरुखी से दिल ये मेरा रोया है तेरी बेरुखी से दिल ये मेरा रोया है !
कब होंगे हम आजाद नीड़ से और करेंगे विचरण नील गगन में। कब होंगे हम आजाद नीड़ से और करेंगे विचरण नील गगन में।
मिजाज़ दोनों का ही बराबरी से मीठा होता है। मिजाज़ दोनों का ही बराबरी से मीठा होता है।
बदल जाती है मतलब से मतलब से नये चेहरे लाती है। बदल जाती है मतलब से मतलब से नये चेहरे लाती है।
हम होली कल्पना से ही मनाएँगे, हम आपको बदनाम न देख पाएँगे। हम होली कल्पना से ही मनाएँगे, हम आपको बदनाम न देख पाएँगे।
पर डर ये भी लगता है कहीं यही आग जला ही ना दे खुद को पर डर ये भी लगता है कहीं यही आग जला ही ना दे खुद को
लौट आते तुम मोहब्बतें गुल फले फुले होते। लौट आते तुम मोहब्बतें गुल फले फुले होते।
मन खोजता है एकांत अकेलापन घबराहट है, एकांत में खुशी और मेरे कविता की तिजोरी मन खोजता है एकांत अकेलापन घबराहट है, एकांत में खुशी और मेरे कविता की त...
तुम में न विकार है, अपनों से बस प्यार है। आज़ादी के नाम पे, ग़ुलामी मिला अधिकार है। तुम में न विकार है, अपनों से बस प्यार है। आज़ादी के नाम पे, ग़ुलामी मिला अधिक...
न बरबाद करो इस पल को आज ही मना लो बिन देखे कल को। न बरबाद करो इस पल को आज ही मना लो बिन देखे कल को।
सतर्क रहें ऐसे दुष्टों से, न मिले कभी स्वप्न में भी। सतर्क रहें ऐसे दुष्टों से, न मिले कभी स्वप्न में भी।
फिर कोई और जलेगा जलने मत दो। फिर कोई और जलेगा जलने मत दो।
मेरी ओर आने वाले सभी रोड़े मेरी पहचान बन जायँगे। मेरी ओर आने वाले सभी रोड़े मेरी पहचान बन जायँगे।
पर कुछ अरमान है जो पूरे करना है, और बस कुछ दूर उड़कर चले जाना है। पर कुछ अरमान है जो पूरे करना है, और बस कुछ दूर उड़कर चले जाना है।