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Jyoti Jaldewar

Classics

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Jyoti Jaldewar

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भावेंवीण भक्ति

भावेंवीण भक्ति

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भावेंवीण भक्ति भक्तिविण मुक्ति । बळेंवीण् शक्ति बोलं नये ॥१॥

कैसेनि दैवत प्रसन्न त्वरित । उगा राहें निवांत शिणसी वायां ॥२॥

सायासें करिसी प्रपंच दिननिशीं । हरिसी न भजसी कवण्या गुणें ॥३॥

ज्ञानदेव म्हणें हरिजप करणें । तुटेल धरणें प्रपंचाचें ॥४॥


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