ये रात के पल
ये रात के पल
ये रात के पल में तुम जो तकिये के सहारे अपने दर्द को सहारा दे रहे हो...इससे बाहर निकलो,
तुम्हें कभी ना कभी तो निकलना पड़ेगा, तो शायद तुम इसे आज ही कर डालो।
थोड़े वक्त के लिए तुम्हें निकलना होगा अपने उस बिस्तर से जहां पे तुम अपनी बुरी यादों को संजोए हुए रखे हो, एक बेहतर और सुनहरा पल मान कर।
तुम्हारी कमजोरी अब उन यादों को भी पता चल चुकी है, शायद इसीलिए तो वो रोज तुम्हारे बिस्तर पे अपनी हक अदा करने आ जाते है, और बड़े रौब के साथ तुम्हारे सारे हसीन सपनों पे भारी पड़ने लगते है, क्योंकि वो बस यहीं चाहते है की तुम हर पल के लिए अतीत के साये में बंधे रहो।
लेकिन आज तुम्हें अपने भविष्य के खातिर थोड़ा स्वार्थ दिखाना पड़ेगा,
निकल जाओ उस यादों की जाल से और चले जाओ इन खुले आसमानों के नीचे जहां चाँद की रौशनी तुम्हारे बुराइयों को खत्म कर के तुम्हारे अंदर एक नया एहसास भरने का इंतजार कर रहा है,
कुछ दिन अपने वक्त को यूं ही इन आसमानों के नीचे बिताओ, दर्द जो सह नहीं पा रहे हो उसे कागज पे लिख डालों।
देखना तुम्हें जरूर अच्छा लगेगा,
धिरे-धिरे तुम्हारे हसीन सपनों का तुम पे अधिकार होगा, और फिर तुम अपने बेहतर कल की तलाश में निकल पड़ोगे।
अपने खुशी की वजह किसी और के अंदर या उसके मौजूदगी पे मत छोड़ दो। यकीन मानो अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम जिंदा होकर भी किसी और के डोर से बंधे हुए हो, और वो जब चाहे तब तुम्हारे खुशी, हँसी और मुस्कुराहट के साथ खेल सकता है।
प्यार की एहसास में एक किनारा ऐसा भी रखो जिसका हक तुम पे हो, और उसका डोर सिर्फ तुम्हारे हाथ में हो। क्योंकि जिंदगी हर पल मुस्कुराहट के साथ जीने का पल नहीं देती और कुछ पल ऐसे भी होते है जहाँ सिर्फ और सिर्फ हमें खुद की जरूरत होती है, वहाँ पे हम किसी और को या अपने करीबी को नहीं ला सकते, वो दुख किसी और से नहीं बाँट सकते।
सिर्फ और सिर्फ यहाँ पे हमें खुद को समय देने की जरूरत पड़ती है।
वहाँ खुद की बातों से खुद को हँसाने की जरूरत पड़ती है, और वो खुद की मुस्कुराहट की जो कीमत होती है ना वो कहीं और मिल नहीं सकती, क्योंकि उस हँसी की वजह और एहसास जो हमारे दिल को चाहिए वो सिर्फ और सिर्फ हम ही दे पाते है...
हर चीज के दो पहलू होते है, सही और गलत। अगर आज तुम गलत हो इसका मतलब ये नहीं की तुम कभी सही नहीं थे और ना ही तुम कभी सही होगे। अगर तुम जिंदगी की वास्तविकता को समझते हो, तो यह बात तुम्हें अच्छे से पता होगी की हर सही चीज में कुछ ना कुछ एब है यानी उसमें भी थोड़ी सी गलती जरूर है और हर गलत चीज में कुछ मात्रा की सच्चाई भी है।
जिंदगी को कभी इन बातों से जोड़ कर देखो और समझो, हर समय तुम सही नहीं हो सकते और ना ही गलत। तुम एक वक्त के लिए किसी के नज़र में सही हो तो किसी और के नज़र में गलत भी हो।
ये चाँद जिसकी शीतलता की बड़ाई करते हो, क्या उसके दाग पे तुम उसकी बुराई नहीं करते?
ये जो सूरज है जिसकी रौशनी से तुम्हारी जिंदगी चल रही है, जिसे तुम ऊर्जा का श्रोत मानते हो, क्या उसके ताप उसके तापमान की तुम बुराई नहीं करते जब तुम्हें उसके रौशनी से जलन महसूस होती है।
जिंदगी की सच्चाई, गलत और सही, इन दो पहलुओं के मिलने से ही चलती है।
अगर तुम हमेशा सही हो तो तुम झूठे हो, और तुम्हारी जिंदगी एक झूठा सच है जिसे एक सच के पहिये के साथ खिंचना बहुत ही मुश्किल है।