Aman Alok

Others

5.0  

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कैंटीन कि चाय

कैंटीन कि चाय

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अरे! भाई कहाँ चल दिया रे- मैं इस आवाज़ को पीछे छोड़ता हुआ कॉल रिसीव किया। साला अभी इग्जाम रूम से निकले भी नहीं है और तेरा फोन पे फोन आ रहा है। आओ नीची हम एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के बाहर स्कूटी के पास है। चलना कहाँ है, मैं बस इतना ही पूछने वाला था- तब तक उसने मेरा कॉल कट कर दिया। साला ये दोस्त लोगों को भी कुछ ज्यादा ही चूल मची रहती है। बात पूरा हुआ नहीं फिर भी कॉल कट कर दिया।

बोल ना कहाँ चलना है मैं एडमिनिस्ट्रेटिव के बाहर आकर उससे कॉल कर के पूछता हूँ। क्योंकि उस वक्त वो वहाँ से निकल चुका था और मजनू चौक के साइड जा के बैठा था और मुझे भी वहीं पे बुला रहा था।

वो एक बार में कॉल रिसीव किया नहीं था इस बात पे हमको उसको गलियाने का मन कर रहा था। लेकिन इस वक्त वो सामने रहता तब तो उसे हम गाली दे पाते, क्योंकि गाली देने का मजा तब ही आता है जब वो शख्स आपके सामने हो जिसको आप गाली दे रहे हो। खैर कोई बात नहीं शाम के नाश्ते में हम उसे आज पेट भर के गाली देंगे।

अब आते है मुद्दे कि बात पर, हम इंजीनियरस है तो हमारा काम भी कुछ अलग ही होगा समान्य लोगो के बराबरी में। पर इस वक्त इस बात कि कोई पुष्टि नहीं करना मुझे। यहाँ बस बातों बातों में ये बताना था कि हम इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स है। अब मैं ख्यालों कि बातों से निकल कर मजनू चौक पे पहुंचने वाला था। जहाँ पे आदी मेरा इंतजार कर रहा था। इंतज़ार क्या वो अपना फोटोशूट कर रहा था। जो उसका पैशन है...ऐसा कह सकते हो। अबे आदी चल कैंटीन, वहाँ राजन हमलोगों का इंतजार कर रहा है, मैं मजनू चौक पहुँचते ही आदी से चिल्ला कर बोला। तो चल ना बे हम कब मना किये है आदी ऐसे बोला जैसे कि हम लेट कर रहे है और वो एक दम पंक्चुअल है टाइम के साथ। साला नौटंकीबाज आदी...चलेगा रे झूठा लड़का।


फिर हम दोनों कैंटीन के तरफ चल दिए। कैंटीन में जाकर हमलोग राजन के पास वाला सीट पे बैठ गए और आज के पेपर के बारे में कुछ बात करने लगे। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठकर चाय का ऑर्डर देने ही जा रहा था तब तक राजन बोला बैठो मैं पहले ही ऑर्डर दे चुका हूँ। ओह! तब ठीक है। अरे वो भाई तीन पैकेट नट क्रैकर लेते आओ तो...राजन ने खेसारी भाई से बोला, जो कैंटीन का एक स्टाफ था। हम तीनों का आदत सा बन गया था उस कैंटीन में चाय के साथ नट क्रैकर खाने का। चाय आने तक मैं वो बताता हूँ जब मैं पहली बार इस कैंटीन में चाय ऑर्डर किया था। पहली दफा में हमें एक मिनट के लिए लगा कि यहाँ का चाय कैसा होगा। लेकिन जब चाय आया और मैं उसक पहला चस्का अंदर लिया तब पता चला कि यह चाय का ही प्यार है जो हर जगह पर इसे खुद मेरे काबिल बनाता है।

इस हल्की साँवली रंग से जबसे प्यार हुआ है ना तब से दिल पर कोई और रंग का प्रेम चढ़ा ही नहीं। जब भी दिल खुद को अकेला महसूस करता है तब वो इस साँवले रंग से मोहब्बत जताने आ जाता है। और मोहब्बत भी ऐसी कि ये कभी बेवफाई कि बात नहीं करती है। हाँ यह चाय है जनाब, ये खुद जलकर आपके दिल को प्यार करना सिखाती है।


अरे भाई मैं ये क्या ज्ञान फेंकने लगा। चलो ज्ञान और परवचन देना भी एक कला है जो बस हम इंजीनियरिंग के पास है। हम यह ज्ञान अपने दोस्तों के बीच बाँट ही रहे थे तब तक खेसारी भाई चाय लेकर पहुँच गए। लीजिए आपलोगों का नट क्रैकर और चाय। खेसारी भाई काफी समझदार आदमी है, यह उनके काम को देखकर लगता है। धीरे-धीरे चाय कि मोहब्बत ने हमें कैंटीन के रास्ते से इस कदर जोड़ दिया कि अगर लेक्चर के बीच दस मिनट का भी समय मिल जाता तो हम कैंटीन के तरफ बढ़ जाते उस मोहब्बत को पाने के लिए, जो हमें एक तरफा निस्वार्थ मोहब्बत करना सिखाया था।

यह एक कप चाय और कैंटीन में घंटों दोस्तों के साथ समय बिताना, काफी यादों के साथ जिंदगी इन पलों को खुद में बुन रही थी। यह यादें इसलिए नहीं बुनी जा रही थी कि ये जिंदगी के कुछ सुनहरे पल थे हमारे कॉलेज लाइफ के बल्कि यहीं यादें तो थी जो हमें हमारे बुरे वक्त में भी हमें जीना सिखाया था।

जिंदगी है साहब! यहाँ अगर आज अच्छा समय है तो कल आपकी मुलाकात बुरे समय से भी होगी। समय चाहे जो भी हो, मैं रहूँ ना रहूँ, या फिर जैसा भी रहूँ पर मेरे साथ यह चाय का रिश्ता जैसा आज है वैसा ही कल भी रहेगा। चार साल कि बातें, गीले शिकवे, सब तो मैंने यहीं पे इस चाय के सहारे अपने दोस्तों को बताई है। पहली मोहब्बत, या आखिरी प्यार, जिंदगी में कठोरपन या किसी से मतलब नहीं रखना ये सब बाते और खुद को मजबूत बनाने का आत्मविश्वास यह चाय ने मुझे दी है।

ना जाने कितने लोग मेरे जिंदगी में आए और गए पर यह साँवली रंग से जो मोहब्बत हुई यह कुछ खास थी मेरे लिए। मुझे नहीं लगता कि यह मुझसे कभी जुदा हो पायेगी। आज यह कैंटीन में मुझसे मिल रही है कल किसी टपरी पे मेरी इससे मुलाकात होगी लेकिन जहाँ भी मिलेगी ये मुझसे निस्वार्थ प्यार करेगी और मैं फिर से वहाँ भी इसके रंग पर मर मिटूँगा।

हाय! ये चाय ही तो है जो रंग से नहीं दिल से दिल को प्यार करना सिखाया है मुझे।

     


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