व्यथा दर्शन: मोबाइल का गुम होना और नींद का खोना

व्यथा दर्शन: मोबाइल का गुम होना और नींद का खोना

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मोबाइल का सभी के पास होना अनिवार्य हो गया हैI जीवन की आवश्यकताओं में मोबाइल भी शामिल हो ही गयाI पुराने समय में चिठ्ठी पत्री कबूतर,और धीरे-धीरे डाक से भेजी जाने के बाद मोबाइल के चलन में आगएI सुबह-शाम मोबाइल हाथों मेंI शराब की बोतलों पर हानिकारक संदेश लिखा होता हैI फिर भी लोग कहाँ मानते हैंI मोबाइल से विकिरण और ज्यादा उपयोग और निर्देशों के बावजूद लोग संग ही रखते हैं, वो एक प्रकार से घर का सदस्य बन गया है I जिसके पास मोबाइल है वो शख्स दूसरों के सामने उसकी खूबियों का बखान करने से नहीं चूकताI फैशन का भी हिस्सा बन गया हैI कई लोगबाग़ हैं जो मोबाइल तो रखते मगर उसको सही ढंग से चलाना नहीं जानतेI मोबाइल चलाने को सीखने के लिए गुरु होते हैंI जो लोगबाग़ कहीं अटक जाते तो अपने उस्ताद के पास ले जाते हैं, उस्ताद जो वो कुछ जानता है वो उन्हें बता देता हैI उस्ताद भी अटक जाते हैंI वो अगल-बगल झाँक कर अधिक जानकर की तलाश में जाते हैंI जब मोबाइल की चार्जिंग ख़त्म होती है तो मोबाइल धारक चिंतामोड़ में हो जाता है, उसे लोग चिंतनीय मोड़ का नाम दे देते हैंI जब चार्जर की जुगाड़ जम जाए तो ऐसा महसूस होता है, किसी ने गर्मी के दिनों में ठंडा पानी पिलाया हो या तप्ती धूप में पेड़ की छाया नसीब हो गई होI 

पहले हाट बाजारों में, आदि में जेब ही कटती थीI अब मोबाइल के लिए जेबकतरे भी आगे आए हैंI एक बार भीड़ भरे इलाके में एक महाशय की जेब में रखा मोबाइल जेब कतरोंबाज ने चुरा लियाI मोबाइल की रिपोर्ट दर्ज की गईI उसके लिए आवदेन पत्र के साथ मोबाइल पहचान, मोबाइल से संबंधित कई दस्तावेज संलग्न कराया गयाI मोबाइल सिम ऑफिस जाकर सिम उसी नंबर की की गईI उसमें भी खर्चा लगाI सिम वाले ने बहत्तर घंटे में चालू होने की बात बताईI नए मोबाइल के लिए राशि का जुगाड़ उधार पर कियाI नए मोबाइल की पूजा की, दोस्तों ने मिठाई मांगीI तभी ऐसा लगा जैसे कोढ़ में खाज हो गई होI सिम चालू होने के इंतजार में दोस्त, रिश्तेदार, घर के सदस्य सभी परेशान हो गएI मोबाइल चालू हुआ तो लगा जैसे कोई सुबह का भूला शाम को घर आगया होI मोबाइल घूमने की व्यथा सुनाते-सुनाते खर्चा बढ़ता गया, व्यथा सुनने के लिए चाय पिलाओ, तभी कुछ देर सुनने के लिए लोगबाग़ रुकते हैं और आश्वासन के साथ फ़िक्र न करो का मूलमंत्र भी दे जाते हैंI उधर घर में महाशय की पत्नी उनकी लू उतारती रही और चीजों को संभाल कर रखने की हिदायतें भी हर समय देने लगी हैI मोबाइल गुम नहीं हुआ होता तो महाशय कहाँ अपनी पत्नी के इशारों पर नाचने वाले थे? मोबाइल गुमने की चिंता से अब महाशय बार-बार अपनी जेब को निहारते रहने लगेI नींद में उठकर अपने सिरहाने पड़ा मोबाइल देखतेI फ़िक्र का विकिरण वाकई ताकतवर होता हैI 

मोबाइल चालू होने के बाद त्यौहारों पर शुभकामनाओं के साथ मोबाइल घूमने की व्यथा भी जोड़ देते हैंI लोगबाग़ ये समझ नहीं पा रहे  हैं कि ये शख्स रो रहा है या हँस रहा हैI मोबाइल से सेल्फी ली तो उसमें चेहरे पर मुस्कान कोसों दूरI क्या करें, मोबाइल गुमने का दर्द दिल में दबा था तो मुस्कान आए भी तो कहाँ सेI महाशय को एक उपाय सूझाI उसने प्याऊ पर पानी के गिलास को जंजीर में बंधा देखकर जंजीर में मोबाइल को बांधने का उपाय सोचाI मगर सामने वाले के घर पर पालतू कुत्ते के गले जंजीर बंधी देखकर उसका प्लान फिर फेल हो गयाI उनको आखिर में एक बात समझ में आई, भाई मोबाईल नहीं घूमना चाहिएI उससे उत्साह और खुशियाँ नदारद हो जाती हैंI दिमाग का दही और भन्ना-भोट होना स्वाभाविक प्रक्रिया होकर, आर्थिक स्थिति को डांवाडोल कर देता हैI


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