वो दुनिया!
वो दुनिया!
मैंने उसके दरवाज़े खोले! उस दुनिया के, जो मेरी इस दुनिया से, बहुत अलग है। जो शायद मैंने सपने में या चित्रों में देखी होगी, या लोगों के मुँह से, सिर्फ़ उसका वर्णन सुना होगा। आज फिर, मैंने इस अनोखी दुनिया में, कदम रख दिया।
मैं कई बार आई हूँ यहाँ; लेकिन हर बार, ये दुनिया, बिल्कुल बदली-सी होती है, पिछली बार से बिल्कुल अलग। पता नहीं, इसमें कोई जादू बसा हुआ है, या फिर मेरी आँखों को धोखा हुआ है। जो भी है, बड़ा ही सुंदर है। और इस दुनिया में होने का एहसास मेरे जीवन के कुछ बेहतरीन एहसासों में से एक है।
इस दुनिया ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। कई दृश्य दिखाए है, जिनकी मात्र कल्पना करना ही मेरे लिए संभव था। मैं जब भी उब जाती हूँ न, बस यहाँ टहल आती हूँ, क्योंकि इससे उब जाने की, कोई वजह ही नहीं है मेरे पास। सामान्य लड़के- लड़कियाँ जो अपने बड़े-बड़े सपने पूरे कर, मुझे प्रोत्साहित करते है। परियाँ जो अपनी मीठी कहानियाँ सुनाकर, मुझे सुलाति है। और कई नायाब चीज़, जो मेरा दिल बहलाती है।
इस दुनिया में, मैं इतनी अधिक डूब जाती हूँ, कि न तो वक़्त, और न ही आस-पास हो रही किसी भी चीज़ की मुझे सूध रहती है। कभी-कभी तो, इस दुनिया में डूबी मैं, अचानक हँसने, या रोने लगती हूँ, जिससे अक़्सर, मैं अपने दोस्तों के लिए मज़ाक का पात्र बन जाती हूँ।
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। न जाने माँ कितनी देर से मुझे आवाज दे रही थी; लेकिन इस दुनिया से अभी-अभी बाहर आए मैंने मात्र से आवाज़ सुनी, जो उसका पालन न कर, मुझे माँ के क्रोध का सामना करने का संकेत दे रही थी, "बेटा अब अगर तुम अपनी कहानियों की किताब रखकर मेरी मदद करने नहीं आयी, तो तुम्हारी खै़र नहीं!"