वीराने का होटल भाग 18
वीराने का होटल भाग 18
भुजंग सूचना सूचक यंत्र को बंद देख चीख पड़ता हैं, और चिल्लाते हुए कहता है, "किसी को नहीं छोडूंगा, सबको चबा जाऊंगा, "!
हकीम की नींद खुलती है, वह हड़बड़ा कर देखता है, और पूछता है, " क्यों चीख कर नींद खराब कर रहा हैं, अब क्या हुआ,??
ये सूचना सूचक यंत्र खराब हो गया, इसका मतलब ये यंत्र हमें सूचना देने का प्रयास कर रहा था, और हम सोते रहे।"
हकीम कहता है, " अब हमारे सोने के समय तो हमारी आंखें अपने आप बंद हो जाती हैं, तो क्या कर सकते हैं।"
भुजंग कहता है, "वो मानव भाग गए लगता है, उन्हें अभी पकड़ना होगा ।"
हकीम कहता है, " जाओ ले आओ पकड़ कर, उन्हें भी सजा देनी पड़ेगी बहुत उछल रहे हैं।"
भुजंग बहुत तेज़ी से बाहर जाता है, ये चारों भी अभी रास्ते में ही थे, भुजंग तेज़ी से बढ़ रहा था, वह बहुत गुस्से में था, एक दो पहरेदार उसे सोते हुए नजर आते हैं तो उन्हें उठाकर पटकते हुए आगे बढ़ता है, !!
चारों तेज़ी से उस खंडहर वाले घर में पहुंचते हैं कर अभी घबराकर बैठते हैं की लाल लाल आंखें किए भुजंग का गर्दन वहां पहुंच जाता है, और उनको सूंघने लगता है, फिर उसे कुछ याद आता है तो वह बाहर आकर देखते हैं तो पहरेदार गायब दिखाई पड़ते हैं, तो वह तेज़ी चारों ओर देखने लगता है उसे कोई दिखाई नहीं देता है तो वह फिर से अंदर चारों के पास पहुंचता है, तभी उसका धड़ भी पीछे पीछे भागता हुआ अंदर आता है, और सर उस पर चिपक जाता है, !!
वह गुस्से में उन्हें देखने लगता है, !!
चारों थोड़ा घबराते हैं, भुजंग उनकी आंखों में देखने लगता हैं,!!
वीरेन कहता है, " क्या हुआ, ये बार बार आकर क्यों परेशान कर रहे हो, एक तो हमें भूख लगी है, और इस तरह आकर डराओ मत।"
भुजंग कहता है, " कौन आया था यहां,,?? और पहरेदार कहां गए ।"?
नितिन कहता है, " अब तुम्हारे पहरेदार हैं, वो कहां गए क्यों गए, हमें क्या पता चलेगा, हम अंदर पड़े हैं और वो बाहर हैं।"
भुजंग भयानक चेहरा बनाकर कहता है, " तुम लोग बहुत तेज हो, कुछ न कुछ गड़बड़ी किया है, , सीधे सीधे बता दो वर्ना बहुत बुरा होगा, !!?
कविता कहती हैं, "अभी कौन सा अच्छा हो रहा है हमारे साथ !!?
भुजंग कहता है, "ये मादा अधिक बोल रही है तू, तेरा खून पी जाऊंगा मैं !!
वंदना घबराकर भुजंग के चेहरे पर बैग मारती हुई कहती है, "तू क्या खून पिएगी हम तुझे मारकर यहीं गाड़ देंगे।"
भुजंग एकदम से बौखला जाता है, तभी कविता भी गुस्से में पास पड़ा एक पत्थर उठा कर उसके मुंह पर इतने तेजी से मारती है, की उसका सर धड़ से अलग गिर जाता है, नितिन गुस्से में उसके सिर को एक जोरदार लात मारता है, तो उसका धड़ उसे एक जोरदार थप्पड़ मारने जाता है, तो उनके शरीर के सभी भूत निकल कर उसके शरीर और सर को खाना शुरू कर देते हैं, इस आकस्मिक हमले से वह सम्हल नही पाता है,, कहते हैं ना समय पर चींटी भी हाथी को मार देती है, भुजंग को कोई मौका दिए बीना सभी भूत तेज़ी से निकलते हैं, और कुछ उसके सर को खाने लगते हैं, और कुछ उसके शरीर को खाने लगते हैं ।"
भुजंग को चीखने का भी मौका नहीं देते है, और कुछ ही पल में सभी उसको चाट जाते हैं, कविता और वंदना के साथ साथ दोनों लड़के भी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, !!
सभी भूत भुजंग को खा कर गायब होते हैं, उनका मुखिया कहता है, " तुम लोग ऐसे गड़बड़ मत करो, अगर हम लोग इसको नहीं खाते तो ये तुम सबको अभी मार देता, अब तो मुसीबत खड़ी हो गई है, हकीम कितना भी पूछे तो कहना भुजंग आकर चला गया था।"
चारों हां में सर हिलाते हैं, वह भी गायब हो कविता के कपड़े पर चिपक जाता है।"
मुखिया अपने दर्पण में यह सब देख रहा था, वह खुश होकर कहता है, " एक मुसीबत तो गया, अब नंबर हकीम का है, उसको तो मैं अपने हाथो से भस्म करूंगा, !!
आड़ा कहता है, " सरदार एक पिशाच
और भी उनके यहां है जो दिखाई नहीं दे रहा है, कालू, वह तो भुजंग से भी खौफनाक है।"
मुखिया कहता है, " अरे हां उसे तो भूल ही गए थे, कई दिनों से नहीं दिखा है।"
एक कहता है " भाग गया होगा, हकीम के अत्याचार से घबराकर।"
आड़ा कहता है " सरदार अब इन लोगों के साथ हकीम क्या करेगा।"
मुखिया कहता है कुछ नहीं, ये बहुत तेज हैं, देखना सब निपट लेंगे।"
हकीम बहुत देर से भुजंग को नहीं आता देख परेशान होता है, वह ध्यान लगाता है और उसे देखने का प्रयास करता है तो वह नहीं दिखलाई पड़ता है, !!
हकीम सूचना सूचक यंत्र को देखता है तो वह पूरी तरह से बेकार हो गया था, !!
वह चीखता है, उसकी चीख सुन कर उसके साथी भाग कर आते हैं, !!
हकीम कहता हैं, " भुजंग को खोजो, जाओ उसे खोज कर ले आओ और वो कालू कहां गायब हो गया है कुछ दिनों से।"
एक साथी कहता है, "वह महीने भर से बालू के नीचे दबा साधना कर रहा।"
हकीम कहता है, " उठा लाओ उसे बहुत हो गई भुतिया साधना ।"
हकीम के साथी जाते है, !!
हकीम खुद निकल कर उन चारों कि ओर जाता हैं,!!
नितिन कहता है, " जो भी हुआ अच्छा हुआ, अब जो भी होगा वह भी अच्छा होगा, अब डरने से कुछ नहीं होगा, अब हमें हिम्मत से काम लो जीत हमारी ही होगी।"
उसी समय हकीम अपने दो साथियों के साथ वहां आता है, वह गुस्से में पहले खंडहर के चारों ओर घूम कर देखता है, पर उसे कुछ नहीं नजर नहीं आता।"
वह साथियों के साथ खंडहर के अंदर जाता है, वहाँ चारों उसे देखते ही घबरा जाते हैं, पर खुद को संयत रखते हैं, हकीम उनके पास आकर उनके शरीर के चारों ओर सूंघने लगता है, !!
मुखिया यह देख थोड़ा परेशान होता है, वह कहता है, " अरे कहीं इसे पता न चल जाए की उनके कपड़ों में हमारे लोग छुपे हुए हैं ।"
क्रमशः

