वड़वानल - 63
वड़वानल - 63
पे ऑफिस के सामने से जाते हुए धर्मवीर और मणी को कोई आवाज़ सुनाई दी।
‘‘ये कैसी आवाज़ है रे ? ’’ धर्मवीर ने पूछा।
‘‘शायद चूहे हैं!’’ मणी ने जवाब दिया।
‘‘ चूहों की इतनी ऊँची आवाज! अरे, यह चूहा है या हाथी ?’’ धर्मवीर की आवाज़ में अचरज था।
‘‘साले गोरे तो नहीं ?’’ मणी का शक बोला।
‘‘चल, देखें कौन है।’’ धर्मवीर ने कहा।
हलके कदमों से मणी खिड़की में चढ़ा और शटर ऊपर उठाकर भीतर झाँकने लगा। मेज़ के नीचे कुछ हलचल प्रतीत हुई।
‘‘अन्दर जो भी कोई है वो हाथ ऊपर उठाकर बाहर आए, वरना मैं ये हैण्डग्रेनेड अन्दर फेंकूँगा, ’’ मणी गरजा।
अन्दर की हलचल बन्द हो गई।
‘‘मैं पाँच तक गिनूँगा। इससे पहले आत्मसमर्पण कर दो, वरना हैंडग्रेनेड अन्दर फेंकूँगा।’’ मणी ने धमकी दी और वह गिनने लगा। ‘‘एक...दो...तीन....।’’
डर से पीले पड़ गए तीन अधिकारी पे ऑफिस में से बाहर आए।
जैसे ही खान को ‘कैसल बैरेक्स’ में ले. कमाण्डर मार्टिन, ले. कमाण्डर दीवान, और ले. विलियम्स के पकड़े जाने के बारे में पता चला, उसने फ़ौरन ‘कैसल बैरेक्स’ से सम्पर्क किया और रामपाल को सूचित किया कि पकड़े गए तीनों अधिकारियों को नज़रकैद में रखा जाए, उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ़ न दी जाए। खान ने गॉडफ्रे को फ़ोन किया। फ़ोन रॉटरे ने उठाया।
‘‘एडमिरल रॉटरे।’’
‘‘रॉटरे, मैं खान बोल रहा हूँ।’’
दुबारा बिना रैंक के पुकारे जाने से रॉटरे को मन ही मन गुस्सा आया था।
‘‘बोल, अब सिर्फ एक ही पर्याय... Unconditional Surrender.'' धृष्टता से रॉटरे ने जवाब दिया।
‘‘मेरी बात ध्यान से सुन।’’ शान्त स्वर में खान ने जवाब दिया। ‘‘ले. कमाण्डर मार्टिन, ले. कमाण्डर दिवान और ले. विलियम्स फ़िलहाल हमारे कब्ज़े में हैं।’’
''What ?'' रॉटरे ज़ोर से चिल्लाया।
‘‘क्या हुआ ?’’ पास बैठे गॉडफ्रे ने चौंककर पूछा।
‘‘सर, खान कह रहा है, कि ले. कमाण्डर मार्टिन, दीवान और ले, विलियम्स – ये तीनों उनके कब्ज़े में हैं।’’ रॉटरे ने जवाब दिया ।
रॉटरे के हाथ से फोन खींचते हुए गॉडफ्रे बोलने लगा। ‘‘खान, मैं गॉडफ्रे बोल रहा हूँ, तुम्हारे कब्ज़े में जो अधिकारी हैं, उनसे सम्मानपूर्वक बर्ताव करना, भूलो मत कि वे अधिकारी हैं, प्लीज़।’’
‘प्लीज’, कहते हुए गॉडफ्रे की ज़ुबान लड़खड़ा रही थी । गॉडफ्रे की आवाज़ की लाचारी को खान ने महसूस किया।
‘‘हमारे कब्ज़े में जो तीन अधिकारी हैं, वे ‘कैसल बैरेक्स’ के नहीं हैं। वे ‘कैसल बैरेक्स’ में क्यों घुसे ? कैसे घुसे ? उनका उद्देश्य क्या था ? ये पूछताछ तो हम करेंगे ही। गॉडफ्रे, हिन्दुस्तान के इतिहास में शरणागत को अभय देने के उदाहरण कदम–कदम पर मिल जाएँगे। यह हमारी संस्कृति है। इन तीन अधिकारियों ने चाहे हम हिन्दुस्तानी सैनिकों को अनेक प्रकार से कष्ट पहुँचाया हो, फिर भी हम किसी भी प्रकार का कष्ट उन्हें नहीं पहुँचाएँगे। इसका इत्मीनान रखें।’’ खान ने जवाब दिया।
गॉडफ्रे अस्वस्थ हो गया था। ‘‘अगर इन तीनों को सैनिकों ने बन्धक बना लिया तो ?’’
वह अलग–अलग कोणों से परिस्थिति पर विचार करके परिणाम खोजने लगा।
‘मुँह तक आया निवाला छोड़ना पड़ेगा।’
‘यदि इन अधिकारियों को छुड़ाया नहीं तो ?’
‘अधिकारियों तथा गोरे सैनिकों का आत्मविश्वास टूट जाएगा। मुझ पर से भी उनका विश्वास उठ जाएगा।’
गॉडफ्रे ने पाइप सुलगाया, दो गहरे कश लगाए, धुआँ सीने में भर लिया।
अब उसे कुछ आराम महसूस हो रहा था। उसने दो मिनट सोचा और निर्णय लेना शुरू कर दिया।
‘‘रॉटरे, सैम्युअल से कहो कि ‘सीज़ फ़ायर’ कर दे; मगर घेरा न उठाए। ‘कैसल बैरेक्स’ से यदि हमला होता है तभी भूदल के सैनिक गोलीबारी करेंगे। यही खान को भी बता दो । खान को इसके साथ–साथ यह भी बता दो कि हम दोनों बातचीत करने के लिए चार बजे कैसल बैरेक्स में आ रहे हैं।’’
गॉडफ्रे को अधिकारियों को छुड़ाने की जल्दी पड़ी थी। एक बार जहाँ ये अधिकारी छूटे तो फिर हमला तेज़ करके नौसैनिकों को कुचला जा सकता है।
‘नर्मदा’ पर सेंट्रल कमेटी की बैठक चल रही थी।
‘‘हम जब शान्ति के मार्ग से जा रहे थे, तो अंग्रेज़ सरकार सैन्यबल का उपयोग करके हमारे विद्रोह को कुचलने की कोशिश कर रही है । इसका जवाब हम दे रहे हैं। मगर हमारी आज तक की भूमिका सुरक्षात्मक थी, उसे छोड़कर हमें आक्रामक हो जाना चाहिए।’’ चट्टोपाध्याय आवेश से कह रहा था।
‘‘यदि हम आक्रामक हो गए तो अंग्रेज़ सरकार को बहाना मिल जाएगा और वह कोई दया–माया न दिखाते हुए, बिना अगला–पिछला विचार किए पूरी ताकत से हमला कर देगी और इसमें निरपराध नागरिकों की भी बलि चढ़ जाएगी। जानमाल की ज़बर्दस्त हानि होगी। लोगों का जो समर्थन हमें मिल रहा है वह कम हो जाएगा और इतिहास में हमारी गिनती होगी सिरफिरे, बेवकूफ सैनिकों के रूप में।’’ गुरु समझा रहा था।
‘‘सालोंसाल इस अपमानभरी जिन्दगी जीने की अपेक्षा दो दिनों की, बल्कि दो पल की ही सही, सम्मानजनक ज़िन्दगी हम चाहते हैं ।’’ गोंडवन के यादव ने कहा ।
‘‘आज हमारे हाथ में बीस जहाज़ हैं। नाविक तलों पर और जहाज़ों पर प्रचुर मात्रा में गोलाबारूद है; फिर हम चुप क्यों बैठें ? जहाज़ों की दो तोपें दागते ही अंग्रेज़ न केवल बातें करने आएँगे, बल्कि माँगें भी मान लेंगे।’’ कुट्टी ने अपना पक्ष रखा।
‘‘तीन अधिकारी हमारे कब्जे में हैं, यह पता चलते ही गॉडफ्रे ने और बिअर्ड ने अपना फन नीचे डाल दिया, तुरन्त सीज़ फायर का ऑर्डर दिया गया, बातचीत करने की इच्छा प्रदर्शित की। हमारे कब्ज़े में जो अधिकारी हैं उन्हें बन्धक बनाकर हमें अंग्रेज़ों को घेरा उठाने पर मजबूर करना चाहिए।’’ चट्टोपाध्याय अपनी बात पर अड़ा था।
‘‘दोस्तो! आपकी भावनाएँ मैं समझ गया हूँ।’’ खान ने समझाना शुरू किया। ‘’अभी चिनगारी उत्पन्न हुए चौबीस घण्टे बीते नहीं हैं, जंगल में आग लगी नहीं है, दावानल भड़का नहीं है, और अभी से तुम लोग आर–पार की बात करने लगे!’’ खान पलभर को रुका। सब खामोश थे।
‘‘कल तक हम अकेले थे। राष्ट्रीय पक्ष और नेता हमारा साथ देने के लिए तैयार नहीं थे। आज भी परिस्थिति वही है। ब्रिटिश सैनिकों की बन्दूकें दिन के ग्यारह बजे से अब तक हम पर आग बरसा रही थीं। उसमें हमारे कुछ साथी ज़ख़्मी हुए, एक साथी शहीद भी हो गया। मगर मुम्बई में उपस्थित राष्ट्रीय नेताओं में से एक भी माँ का लाल हमारी ख़बर लेने नहीं आया । मुझे ज्ञात हुआ है कि सरदार पटेल ने पूछताछ की थी, मगर किससे ? मुम्बई के गवर्नर से। उसके सामने उन्होंने चिन्ता व्यक्त की और उसके द्वारा दिये गए सरासर झूठे जवाब से वे सन्तुष्ट भी हो गए । दोस्तो! अब परिस्थिति धीरे–धीरे बदल रही है। 19 तारीख को सामान्य जनता ने हमें जितना समर्थन दिया उसके मुकाबले में आज का समर्थन ज़ोरदार था। इन नागरिकों में सभी स्तरों के लोग थे। अपने मुँह का निवाला निकालकर उन्होंने हमें दिया है इसकी वजह यही है कि हमारी माँगों को वे मान्यता देते हैं। मेरा ख़याल है कि जनता का समर्थन ही हमारी ताकत है; इसी ताकत के बल पर हम यशस्वी हो सकेंगे। यदि हमने हिंसा का मार्ग अपनाया तो आज तक राष्ट्रीय पक्ष, जो तटस्थता का रुख अपनाए हुए हैं, हमारा विरोध करने लगेंगे। भूलो मत, आज भी इन पक्षों का और नेताओं का जनमानस पर गहरा प्रभाव है। यदि नेता ही विरोध करने लगे, तो जनता का समर्थन भी हम खो बैठेंगे। इसलिए मेरा विचार है कि आक्रामक होने का समय अभी आया नहीं है।’’ खान के समझाने का परिणाम वहाँ उपस्थित अनेक लोगों पर हो रहा था।
‘‘खान के विचारों से मैं सहमत हूँ। किसी भी लड़ाई में यशस्वी होने के लिए यह ज़रूरी है कि उचित समय पर उचित चाल चली जाए । मेरा ख़याल है कि यादव, कुट्टी और चट्टोपाध्याय द्वारा सुझाई गई चालें चलने का समय अभी आया नहीं है। फ़िलहाल हम इस व्यूह रचना को एक किनारे रखें।’’ दत्त ने सैनिकों को समझाया ।
‘‘ठीक है। हम कुछ समय के लिए इस मार्ग से जाने का विचार स्थगित कर दें, मगर हम क्या कर सकते हैं इसकी एक झलक दिखाने के लिए या फिर धमकाने के लिए एकाध सन्देश भेजने में क्या हर्ज है ? चट्टोपाध्याय की आवाज़ की आक्रामकता कुछ कम हो गई थी।
थोड़ी–सी चर्चा के उपरान्त नेवल हेडक्वार्टर को एक सन्देश भेजने का निश्चय किया गया:
- फास्ट – 211330 – प्रेषक - सेंट्रल कमेटी – प्रति - नेवल हेडक्वार्टर =
अपोलो बन्दर से बॅलार्ड पियर तक की सेना यदि हटाई नहीं गई तो नौसैनिकों के कब्ज़े वाले जहाज़ों की तोपें आग उगलेंगी =
अभी भी दिल्ली में डेरा जमाए बैठे एचिनलेक को मुम्बई से आया हुआ सन्देश मिला और वह गुस्से से आगबबूला हो गया।
‘‘बोले, तोपें आग उगलेंगी। अच्छा हुआ जो पहले बता दिया। सभी कुछ नष्ट कर देना चाहिए...’’ वह अपने आप से पुटपुटा रहा था। उसने सदर्न कमाण्ड के कमांडिंग ऑफिसर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल लॉकहर्ट को बुलवाया। उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया।
‘‘मैं चौबीस घण्टों में इस विद्रोह को नेस्तनाबूद हुआ देखना चाहता हूँ। कोई भी तरीका अपनाओ, मगर मुझे रिजल्ट्स चाहिए, और वह भी चौबीस घण्टे में। तुम फ़ौरन मुम्बई चले जाओ। मुम्बई की पुलिस, आर्मी, एअरफोर्स तुम्हारे अधिकार में होगी। ज़रूरत पड़े तो अन्य स्थानों से सेना मँगवाओ। हाँ, और एक बात, कुछ ही देर पहले प्रधानमन्त्री एटली ने हाउस ऑफ कॉमन्स में घोषणा की है कि कुछ लड़ाकू जहाज़ और हवाईदल के स्क्वाड्रन्स हिन्दुस्तान भेज रहे हैं। रॉयल इण्डियन नेवी पूरी तरह बर्बाद हो जाए तो भी कोई बात नहीं, मगर यह विद्रोह कुचलना ही होगा।’’ एचिनलेक की आवाज़ में चिढ़ थी।
लॉकहर्ट एचिनलेक के दफ्तर से बाहर निकला और मुम्बई पहुँचने की तैयारी में लग गया।