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Alka Gupta

Drama Inspirational Others

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Alka Gupta

Drama Inspirational Others

उड़ान

उड़ान

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आज पाखी की सांस जैसे उसके मोबाइल में ही अटक कर रह गई थी, किसी भी काम में उसका मन नहीं लग रहा था। 

सुबह से ना कोई कॉल ना कोई मैसेज, ये लड़का भी न...कोई टीचर भी फोन नहीं उठा रहीं, क्या करूँ...

पहली बार मुझसे दूर गया है....

लेकिन दोस्तों, टीचर्स के साथ पिकनिक पर जाते हुए मोनू कितना खुश था, विचारों के जुगनू उसके मन में कभी जल कभी बुझ रहे थे। 

पाखी ड्राइंग रूम के एक कोने से दूसरे कोने तक बेचैन होती हुई ख़ुद से ही बात किए जा रही थी। 

तभी उसके लाड़ले की कॉल आ गई, कॉल पिक करते ही पाखी ने सवालों की झड़ी लगा दी... 

हद है बेटा...सुबह से न ना कोई फोन ना मैसेज, तू ठीक है न, कुछ खाया पिया.... 

अरे माँ ... मोनू पाखी को बीच में ही रोकते हुए बोला,

रात सोने से पहले ही तो बात की थी ना...

आज सुबह उठते ही यहाँ एक्विटीज शुरू हो गईं थी, अब ब्रेक में फोन देखा।  

आपकी इतनी सारी कॉल्स.... करता हूँ आपको कॉल माँ, मैडम बुला रहीं है... 

पाखी कुछ बोलती, फोन कट चुका था, पाखी धम्म से सोफे में धस गई....ये मेरा मोनू बोल रहा था, वो मेरा बेटा... जो मेरा पल्लू पकड़े - पकड़े.... 

एक टीस सी उठी थी उसके दिल में, परंतु आँखों में छलक आए आँसू उसे धो गए, तभी बालकनी में रखे गमले में, जो कबूतरी अपने बच्चे को अपने पंखों में छिपाये बैठी रहती थी, वो भी बालकनी की रेलिंग पर नितांत अकेली बैठी थी, गमला ख़ाली था। 

पाखी का दिल माँ कबूतरी के लिए भर आया, और कह उठा... 

अरे पगली, क्यों उदास होती है, तेरे हों या मेरे, बच्चों को तो उड़ान भरनी ही है, हमें ही ख़ुद को समझना, सम्हलना और मजबूत बनना पड़ेगा, ये तो बच्चों की पहली उड़ान है, अभी तो पूरा आसमां फतह करना बाकी है, सोचते हुए पाखी उठ खड़ी हुई और एक सुकून भरी मुस्कान होंठों पर तैर गई।



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