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Alka Gupta

Drama Inspirational Others

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Alka Gupta

Drama Inspirational Others

माँ की नसीहत

माँ की नसीहत

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पारुल अपनी अत्यंत व्यस्त माँ को एकटक देखे जा रही थी, जो उसकी विदाई की तैयारी में अपनी आँखों की कोर पर, अपने अंदर उमड़ते जज्बातों को रोकने का असफल प्रयास कर रही थी। 

इधर पारुल का भी कुछ ऐसा ही हाल था। वो दोनों एक दूसरे से दूर कैसे रह पाएंगे। सोचकर कुछ मोती पारुल के गालों पर ढलक गए। 

वो झट से उठी और माँ का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया, और उसकी गोद में किसी मासूम बच्चे की भाँति सिमट गई। 

माँ ने बेटी को दुलारा, प्यार किया और बोली,  

लाड़ो आयुष की माँ अब तेरी भी माँ हैं, आज से तुम्हारी नई ज़िंदगी शुरु होने जा रही है.... जैसे मुझे प्यार करती है न बिटिया.... 

क्या माँ... (पारुल ने माँ को बीच में ही रोकते हुये बोली) आप भी न... पुरानी फ़िल्मी माँ जैसे नसीहत देने लगी। 

पारुल माँ के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बड़ी ही भोलेपन से बोली... 

देखो माँ, अभी आपने कहा, कि मेरी नई ज़िंदगी.... 

मतलब नया जन्म... 

तो जब बच्चा नई दुनिया में आता है, तो उसकी माँ उसे किस तरह से अपने सीने से लगा लेती है, 

बच्चे को तो कुछ पता ही नहीं होता, उसको तो जैसा प्यार दुलार और व्यवहार मिलता है, वैसी ही सभी के लिए उसकी भावनाएं उसके मन में घर कर जाती हैं। 

अब देखते हैं... 

मेरी नई दुनिया में मेरी 'वो' माँ मेरा कैसे स्वागत करती हैं.....सीने से लगती हैं या..... Simple है 

Don't worry माँ... 

अब दोनों माँ- बेटी की आँखें नम लेकिन होंठों पर मुस्कान थी। 



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