तुम्हे इतना वक़्त क्यो लग गया ?

तुम्हे इतना वक़्त क्यो लग गया ?

10 mins
356


उनकी आंखों से आंसू बहने लगे थे वो जुदा हो रहे थे, इंतज़ार उसका हर दिन हर पल उसको रहता था, किसी अंजान का कॉल भी उसको उसकी याद दिला देती थी।

वो भी एक वक्त था जब दोनो का एक ही बस मेंं रोज का सफर करते थे और एक दूसरे को देखते थे, लड़का लड़की को बस देखता लेकिन अगर लड़की की नज़र लड़के पर जाती तो लड़का नज़रे चुरा देता, रोज़ एक ही बस से अपनी अपनी मंजिल के लिए निकलते, लड़के ने लड़की से बात करने की कोशिश तो की लेकिन लड़की की तरफ से ज्यादा अच्छा रिस्पांस न आने की वजह से वो अब हिचकिचा रहा था और इसी वजह वो बात नही कर पा रहा था, लड़की थोड़ी गुस्सेल और कम बोलने वाली थी, लड़के को डर था कि कहीं बात बनने से पहले बिगड़ न जाएँ, दोनों रोज एक ही समय, एक ही जगह से बस पकड़ कर अपने अपने काम के लिए जाते।

कुछ समय बाद लड़के ने हिम्मत कर के फिर से बात कर ही दी, लडकी उसकी सोच से बहुत शांत स्वभाव की थी, समय के साथ लड़के के खुद को उसके पैमाने मेंं सही साबित करके लडकी को प्यार का इज़हार कर दिया और लड़की ने भी इज़हार को स्वीकार किया, ऐसा नही था कि लड़की उसे पसंद नही करती थी लेकिन लड़की को बस उसे एक बार आज़माना था, दोनो का प्यार शुरू हुआ ही था के दोनों को अलग होना पड़ गया, दोनो बहुत रोए थे उस वक़्त क्योंकि चाह कर भी दोनों का साथ रहना संभव नहीं था, लड़की के परिवार के सामने ये रिश्ता खुलने के बाद दोनों को अलग होना पड़ा, उधर लड़की को लड़के से बात न करने के लिए उसके घर वाले उस पर दवाब डालते, इधर लड़के को नई जॉब के शिलशिले मेंं अपना आने जाने का समय बदलना पड़ा, लड़की को भी घर वालो के दबाब के चलते लड़के से मिलना जुलना सही नही लगा, ऐसा नही था कि वो सोशल मीडिया का उपयोग नही करते थे लेकिन अलग होने के बाद लड़का उसे हर दूसरे दिन मैसेज करता लेकिन लड़की अपने घर वालो के भावनात्मक तरीके से समझाए जाने के बाद, उसने लड़के को ब्लॉक कर दिया था जिसके कारण लड़के ने भी दूरियाँ बढ़ाने मेंं उसकी मदद की, अपनी सारी ID डिलीट करने के बाद नई ID बना के खुद को उसकी जिंदगी से दूर कर दिया।

ऐसे ही वक़्त गुजरता गया, दिन महिनो में बदल गये, महीने सालों में बदल गए, इतने साल अलग दिशा मेंं चलने के बावजूद लड़के के दिल से वो कभी निकली नहीं थी, कोई अपना पहला प्यार कैसे भूल जाता भला ? आसान नही होता पहला प्यार भूलना, हर पल हर वक़्त उन सालों मेंं वो उसको भुला नहीं पाया था।

वक़्त धीरे धीरे सारे गम भुला देता है और किसी को खोने का दुःख कम होता जाता है। उसका भी हो गया और वो अपने भविष्य को बनाने मेंं और अपने सपनों को पूरा करने मेंं लग गया।

दूसरी तरफ लड़की भी धीरे धीरे ये मान चुकी थी कि अब उसका प्यार उसे दुबारा कभी नहीं मिलेगा, वह भी अपने घर से ऑफ़िस, फिर ऑफ़िस से घर, बस इसी रूटीन मेंं बंध गयी थी, दोनो अब एक दूसरे के संपर्क मेंं नही थे, लड़के ने भी मान लिया था कि लड़की अब तक अपने घर वालो के समझाने के बाद किसी रिश्ते में बंध गयी होगी या लड़की ने उसे अब तक दिल से निकाल लिया होगा।

जहाँ लड़का अब अपनी लाइफ मेंं तरक्की की तरफ बढ़ रहा था वही लड़की भी अपनी जिंदगी मेंं आगे बढ़ चुकी थी, दोनो चाह कर भी एक दूसरे से बात नही कर रहे थे, बस यह सोच के अब कुछ नही हो सकता, समय ने दोनों के मन और दिमाग में दूरियां बड़ा दी थी लेकिन प्यार उतना ही था, दोनो एक दूसरे को रोज़ सोचते लेकिन अब ये सोच सिर्फ काल्पनिक ही थी, दोनो के मन को 4 साल का वक़्त डरा रहा था।

जैसे जैसे समय बीतता गया, दोनों ने एक-दूसरे के बारे मेंं धारणाएँ बना ही लीं। जैसे – “उसकी जिंदगी मेंं कोई न कोई तो आ ही गया होगा। इतने साल आजकल लोग कहाँ इन्तज़ार करते हैं? वो भी दिल्ली जैसे बड़े शहर मेंं, कोई न कोई तो मिल ही गया होगी या जैसे – उसने मुझसे फिर से बात करने की कभी कोशिश क्यों नहीं की? प्यार होता तो उसका एक मैसेज तो आता, पर नही आया मतलब वो सब टाइम पास था।”

प्यार तो दोनों इन 4 सालों के बाद भी एक-दूसरे से ही करते थे, ऐसा नही था कि लड़की को कोई और नही मिला या लड़के ने कोशिश नही की किसी और को पाने की, लेकिन किस्मत उन दोनो को अलग करके भी अलग नही होने दे रही थी, लड़की को बहुत मिले पर शायद लड़की उनमेंं भी उसे ही ढूंढती रही और लड़के ने भी बहुत को ढूंढा पर न जाने कहाँ कमी थी जो उस लड़की को छोड़ सबको उस लड़के मेंं दिख रही थी। दोनो का एक दूसरे के प्रति खुद की रचनाएं उनको एक बड़े अंतर पर लाकर खड़ा कर रही थी। 

चाहत तो दोनों को ही एक-दूसरे की थी, पर इंतज़ार करना ख़त्म कर दिया था और ये स्वभाविक भी था हर इंसान को एक समय के बाद किसी न किसी की ज़रूरत महसूस तो होती ही है, अब लड़के ने अपनी पसंद की एक लड़की को मना ही लिया जो कि उसी के ऑफ़िस मेंं काम करती है और उसने उसको समय देना शुरू कर दिया था।

समय के बढ़ते हुए लड़की के लिए भी अब शादी के रिश्ते आने शुरू हो गए,  अब वो उससे अपने प्यार की दुनिया को दोबारा छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पायी, क्योंकि मज़बूरियाँ तो आज भी वही थी : जाति, कुल, खान-दान।

इधर लड़की के घर वालों ने लड़की को अपना पार्टनर चुनने की छूट दे दी थी। छूट : जिसमेंं उसे कोई आज़ादी नहीं थी, बल्कि अपनी जाति, धर्म, समुदाय से बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी, 1–2 को लाइफ पार्टनर के रूप मेंं पसंद करने की बारी भी आई, पर फिर भी उसे उसमें कुछ मिसिंग लग रहा था। उसने परिवार के हिसाब से शादी करने की और लड़का फाइनल करने की कोशिश तो की, पर एक दिन अचानक उसका दिमाग घूमा और उसने घर में कह दिया कि अभी उसे शादी नही करनी, लेकिन इस बढ़ती उम्र मेंं शादी न करने का फैसला उसके घर वालो को न गवारा गुजरा, छोटी बहन के भविष्य और उसकी भी उम्र देखने की नसियत के साथ उसको शादी करने की लिए जोर दिया गया लेकिन किसी रिश्ते मेंं लड़का उसे पसंद नही करता, कहीं लड़की लड़के को रिजेक्ट कर देती तो कहीं परिवार के लेन देन मेंं बात नही बनती।

इधर उस लड़के की ज़िंदगी में भी उतार चढ़ाव आ रहे थे, अभी उसने उस लड़की से बात करना शुरू ही किया था, कि उस नई लड़की की शादी कहीं और तय हो गयी। उस प्यारी लड़की ने चुपचाप किनारा कर लिया, लड़का उस बात से फिर दुःखी हो गया था और उसकी लड़कियों के लिए विचारधारा बदलने लगी, वो दुखी रहने लगा और मानो उसकी जिंदगी मेंं वो लड़की उसके जख्मो को कुरेतने आई थी, दर्द इतना था कि उसे इश्क़, मोहब्बत, प्यार जैसे शब्दों से विश्वास उठने लगा, वो दुखी रहने लगा था और जब इंसान इस तरह दुःखी होता है, तो उसे हमेंशा अपने गहरे प्यार की याद आती है।

उसी याद मेंं उसने उसके लिए एक पोस्ट लिखा, जिसे उसने अपने फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। उसमेंं उसने अपने प्यार को याद करते हुए वो सारी बातें लिखी, जो वो उससे कहना चाहता था, उसने ये भी लिखा कि उसे उम्मीद नहीं हैं कि कभी वो उसकी यह कहानी पढ़ेगी भी या नहीं लेकिन पढ़े तो ये जान ले कि वो आज भी सिर्फ उसी से प्यार करता है।

दूसरी तरफ, लड़की ने सोचा कि वो लड़के को फेसबुक पर ढूंढेगी और सिर्फ उसकी प्रो-फाइल देखा करेगी, लेकिन जब उसने उसे फेसबुक मेंं ढूंढा तो वो मिला नही क्योंकि उसने प्रो-फाइल मेंं अपनी फोटो नही लगाई थी, वो सोच रही थी कि क्या पता उसने अब तक किसी से शादी या रिलेशनशिप आ गया होगा।

वो लड़के को किसी और के साथ देख मेंं डर रही थी और ये डर भी जायज़ था भला इतने साल इंतज़ार के बाद भी हाथ खाली रहने का डर रहना लाज़मी था, इसलिए वो उसकी प्रो-फाइल देखने में हर बार डरती थी, वो उसकी प्रो-फाइल ढूंढ कर खुद को तकलीफ़ दे रही थी, बार बार सर्च करती लेकिन प्रो-फाइल नही मिल रही थी, कुछ दिनों बाद ही लड़के ने अपनी प्रो-फाइल मेंं अपनी फोटो लगा दी, लड़की ने फिर उसे ढूंढा लेकिन इस बार वो मिल गया, काला चश्मा, लंबी दाढ़ी वाइट शर्ट, लड़की उसकी प्रो-फाइल पर तुरंत क्लिक कर उसकी फोटो का स्क्रीन शॉट ले लिया, लेकिन डर अभी भी था कि कोई होगी तो नही इसकी जिंदगी मेंं, उस पूरी रात वो उसकी प्रो-फाइल मेंं उसकी एक्टिविटी के देखती रही, मानो कोई वैज्ञानिक किसी आविष्कार के ऊपर परीक्षण कर रहा हो, उसी तरह वो उसकी हर एक्टिविटी देख रही थी, अब उसकी नज़र उस पोस्ट पर पड़ी जो उस लड़के ने उसके लिए लिखी थी, जिसमें उसने अपने दिल की हर बात लिखी थी, लड़की ने वो पोस्ट पढ़ी और उसकी आँखों मेंं आँसू उतर आए, उसने गलत लड़के से प्यार नहीं किया था, इस बात के आँसू, वो आज भी उसी से प्यार करता है, इस बात के आँसू, कोई कैसे इतने साल किसी का इंतज़ार कर सकता है, कोई कैसे किसी से इतना प्यार कर सकता है? इस बात के आँसू, आधी रात थी, वो अकेली थी उसे सोचने के लिए पूरा और एकांत समय था, वो बहुत खुश हुई मानो भगवान ने उसकी सुन ली हो, ईश्वर का शुक्रिया दा किया और खुद के प्यार पर गर्व भी के उसने ऐसे शख्स से प्यार किया जो सिर्फ उसे चाहता था और चाहता है, वो तो आज तक यही समझती रही कि लड़का अब अपनी ज़िंदगी मेंं बहुत दूर निकल गया होगा।

लड़की ने बहुत सोच समझ के दिल से उसे इन-बॉक्स मैसेज किया, एक मैसेज करने मेंं उसने एक घंटा लगा दिया, समझ नही पा रही थी कि क्या लिखे और क्या नही, दिल की बार कैसे कहे, दिमाग में कुछ और और दिल में कुछ और चल रहा था, वो सोचती रही कि वो दोबारा उसकी जिंदगी मेंं जाए या न जाए। फिर वही सब चीजें होंगी, रोना धोना, गुस्सा नाराज़गी, एक-दूसरे को मनाना और अब वो पहले जैसा तो रहा नहीं होगा, क्या पता उसे दोबारा जानकर उसे बदला हुआ पाकर अच्छा न लगे…

फिर हिम्मत दिखा कर उसने उसे मैसेज मेंं कह ही दिया “जब दोनो ने एक दूसरे से प्यार किया है तो तकलीफ़ केवल एक को कैसे हो सकती है?” उसने भी उससे वो सारी बातें कह दी जो उसने इन 4  सालों से अपने भीतर दबा के रखी थी। वो सारी बातें कहते हुए उसे जैसा महसूस हो रहा था, वो एहसास उसे घर वालो के लाए रिश्ते मेंं किसी लड़के से नही हुई, जो सिहरन उसे अपने प्यार को 1 जवाब लिखते हुए हो रही थी, वैसी अनुभूति उसके बाद उसे कभी नहीं हुई। जीवन मेंं खूबसूरत लोगो से बातें तो सब प्यार से ही करते हैं, पर जो प्यार उसकी बातों मेंं झलकता था, वो प्यार उसे उसके जाने के बाद कभी नही मिला।

वो रात गुज़र गई, लड़की खुश रहने लगी थी, हर 1 घंटे मेंं अपना इन बॉक्स चेक करती, उसके रिप्लाई का इंतज़ार जो था, लेकिन ये खुशी ये उम्मीद अब चिड़चिड़ापन और गुस्से का रूप लेने लगी थी जब लड़के ने महीनों तक अपना इन-बॉक्स ही नही खोला, लेकिन लड़की की उम्मीद जिंदा था, जिसने 4 साल किसी से बेइंतहां मोहब्बत की हो जिसने 4 साल किसी से बेइंतहां मोहब्बत की हो वो इतनी जल्दी कैसे हार मान लेती, वो ओम-शांति-ओम मूवी की लाइन मेंं विश्वास करने लगी जो शाहरुख खान ने कही थी : अगर किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलने मेंं जुट जाती है।

हर दिन उसकी जिज्ञासा बढ़ने लगी कि कब मैसेज आएगा और क्या मैसेज आएगा, वो हर घंटे अपना इन-बॉक्स चेक करती, इस उम्मीद में के एक दिन उसका मैसेज ज़रूर आएगा।

दूसरी तरफ लड़की के लिये अक्सर रिश्ते आते ही थे, भला उम्र भी तो हो रही थी, लड़की पर भी शादी का दबाव दिया जाने लगा लेकिन बात नही बनती।

अब वो दिन आ ही गया जब लड़के ने अपना इन-बॉक्स चेक किया।

उसका मैसेज पढ़ उसकी आँखें भी भर आयी थी, मानो उसका सारा वक़्त जैसे थम सा गया था, वो एक लड़की जिसको उसने उम्र भर चाहा,, उसने उसके पोस्ट का जवाब दिया था, उँगलियाँ टच-पैड पर स्क्रॉल करने मेंं अक्षम हो गईं थी, कांप रही थीं। दिल दोगुनी रफ्तार मेंं धड़क रहा था। उसके जवाब पढ़ते हुए उसकी आँखों से आँसू फिर छलकने लगे थे, वही आँसू, जो उस लड़की की आंखों से भी निकले थे, आँसू लड़के के गालों को भिगा रहे थे, बोलना बहुत कुछ चाह रहा था लेकिन उंगलियों लिखने मेंं जल्दबाजी कर रही थी, होंठ कपकपा रहे थे, लिखना क्या है कुछ समझ नही आ रहा था, मानो आज वो सातवें आसमान में था और वो काँपती उंगलियों से केवल इतना ही लिख पाया: “तुम्हें इतना वक़्त क्यो लग गया ?”

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy