थ्री एडियट्स
थ्री एडियट्स
अक्षय को बार-बार बुलाने पर भी वह जवाब नहीं दे रहा था। तभी उसके पापा ने गुस्से में आवाज लगाई अक्षय का अब भी कोई रिस्पांस नहीं था। तभी निखिल बाहर निकला..... जी पापा। निखिल से पूछा कि अक्षय कहां है। निखिल ने कहा पापा वह खेलने गया है। अमित को और गुस्सा चढ़ गया। जब देखोगे यह लड़का खेलता रहता है। पढ़ाई का तो नाम ही नहीं लेता।
इतनी बुक्स महंगी, दाखिले, फीस लेकिन इसको ना कुछ पढ़ना ऊपर से सारा दिन खेलते रहना। इस लड़के ने तो दुखी कर दिया है आगे जाकर पता नहीं......क्या करेगा। इतनी महंगाई हो गई है। इतना कहकर अमित कुछ सामान लेने बाजार के लिए निकल गया।
शाम को जब वो वापिस आया, उसने देखा कि अक्षय अभी तक घर नहीं लौटा है। अनीता से पूछा तो उसने कहा..... कि तुम्हारे जाते ही आया था। लेकिन फिर कुछ काम से बाहर निकल गया।
काम से निकल गया। अमित गुस्से से बोला तू.....तो बस उसे कुछ कहती नहीं है बिगड़ चुका है। ना पढ़ता है, पढ़ाई की उसे बिल्कुल चिंता नहीं है। आगे करियर में क्या करेगा कुछ समझ नहीं आ रहा। ऊपर से कोरोना से दो साल से ऐसे ही पढ़ाई का सत्यानाश हुआ जा रहा है।
तभी अक्षय को आता देख, अमित का सारा गुस्सा उस पर फूट पड़ता है। सारा दिन यहां -वहां घूमते रहता है......कहां जाता है। कोरोना में.........खुद भी मरेगा और घरवालों को मारेगा अगर कहीं बाहर से कोरोना घर ले आया।
पापा मैं काम से गया था। अक्षय का जवाब मुंह में ही रह गया। जानता हूं......तेरे काम सारा दिन आवारागर्दी के सिवाय कुछ करता भी है। जब देखो तब बाहर होता है। अपने बड़े भाई निखिल को देख सारा दिन पढ़ता रहता है। एक पल भी किताबों से हटता नहीं है। पर तू है कि बुक्स को हाथ नहीं लगाता।
पापा बुक्स भी तो किसी ने अपने एक्सपीरियंस से लिखी है। फिर जिंदगी के एक्सपीरियंस हमें भी इकट्ठा करना है। बहुत बोलने लग गया है तू.....ज्यादा जीनियस बनता है। बुक से अलग लिखेगा मां का इशारा पाकर अक्षय चुप हो गया अपने कमरे की तरफ चला गया।
रात को खाने की टेबल पर भी अमित, अक्षय पर गुस्सा ही करता रहा। लेकिन वह चुपचाप खाना खाकर कमरे में चला गया। निखिल ने भी उसको बोला कि तू पढ़ता क्यों नहीं है। सारा दिन कहां घूमता रहता है।
अगले दिन सुबह शुक्ला जी ने अमित को ऑफिस जाते हुए आवाज लगाई। शर्मा जी, मुबारका....... अमित चौंक गया। शुक्ला जी, शुक्ला जी किस बात की मुबारक दे रहे हैं। अजी आप अखबार नहीं पढ़ते। अखबार तो रोज पढ़ता हूं आज नहीं पढ़ा। अमित को लगा कि शुक्ला जी शायद मजाक कर रहे हैं। पता नहीं अक्षय ने कौन- सा ऐसा काम कर दिया जो हमारी नाक कटवाने वाली बात अखबार में आ गई। शर्मा जी आप भी क्या करते हैं । शुक्ला जी और पास आ गए। आपका बेटा अक्षय बहुत होनहार है। डेढ़ साल से जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। पूरे शहर का नाम रोशन कर दिया है। आपके बेटे ने बिना बिजली के चलने वाला चार्जर तैयार किया है। बहुत तारीफ हो रही है उसकी। उसी की खबर लगी है और आज आपने अखबार नहीं पढ़ा। अमित हैरान रह गया उसने कल ही उसे कितना डांटा और हमेशा उसके निकम्मे होने पर सवाल उठाता रहा कि तू पढ़ता नहीं और कल वह अपना प्रोजेक्ट सबमिट करवा कर आया था इसलिए उसे देर हो गई थी और उसने बिना पूछें। उस पर कितना गुस्सा और भला बुरा कहा। उसे अक्षय की बात याद आई। सच में वह सही कहता था किताबें भी तो किसी ने अपनी एक्सपीरियंस से लिखी है हमारे अनुभव भी किताबों में लिखे जाएंगे। अमित गर्व महसूस कर रहा था कि अक्षय ने अपने सच कर दिखाए थे।
