तड़क-भड़क इश्क भाग-१
तड़क-भड़क इश्क भाग-१
सारांश
" यह कहानी सिया सक्सेना की है ! जो अपनी माँ का सपना पूरा करने के लिए अपने दो सहेलियों के साथ ऊटी आती है, अंजाने में हुई उससे एक गलती ! उसे ये भी नहीं पता कि उसने किससे दुश्मनी मोल ली है ! उसने जिससे दुश्मनी मोल ली है, वो कोई और नहीं बल्कि राजवीर म्हलोत्रा ऊटी शहर का सबसे पावर फुल बिजनेस मॅन जिसका नाम पूरे ऊटी शहर में प्रसिद्ध है ! ऐसे में सिया की इस गलती का क्या अंजाम होगा ? एक तरफ नफरत एक तरफ प्यार...क्या रंग लाएगा ऐ तड़क-भड़क इश्क..."
" सिया सक्सेना चंडीगढ़ की रहने वाली एक ऐसी लड़की जो ख़ूबसूरत के साथ एक सुशील, संस्कारी और पढ़ी लिखी समझदार लड़की है ! वो एक मध्यम वर्गीय फॅमिली से ताल्लुक रखती है ! सिया के घर में कुल चार लोग होते हे पापा सुमेध, सौतेली मॉं राखी और सौतेली बहन नताशा थी !"
" रहने को तो सिया के पास घर था ? पर सिया कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टेलमे रहती थी ! क्यों की उसकी सौतेली मॉं राखी और बहन नताशा उसे पसंद नहीं करते थे! और ये बात सुमेध को खटकती थी? यह वजह है सुमेध ने सिया को गर्ल्स हॉस्टेल भेज दिया ? सिया को सिंगिंग, डान्सिंग का काफी शौक था! सिया गर्ल्स हॉस्टेलमे काफी खुश थी, क्यों की उसके पास दो सहेलियाँ जो थी ! "
एक - तन्वी कपुर आमिर खानदान से थी पर उसके डॅड को उसका पढ़ना पसंद नहीं था ? इस कारण तन्वी हॉस्टेल में रहती थी ! तन्वी को खाने का शौक था ,और तन्वी डान्सिंग और पियानो बजाना पसंद था ! साथ ही साथ तन्वी को लडको को देखने और उनकी टांग खींचने में बड़ा मजा आता था !"
दूसरी - पुजा मेहता जो की एक राजपुत फॅमिली से थी ! उसका भी अपनी फॅमिली से ज्यादा बनता नहीं था! पुजा को डान्स और गिटार बजाना और नाटक करना अच्छा लगता था ! मगर कहते हे ना राजपूत सिर्फ नाम के राजपूत नहीं होते? मतलब पुजा को लढाई झगडे के अलावा कुछ सुजता ही नहीं था ! कॉलेज के लड़के लड़कियां भी पुजा से डरते थे...!!"
यहां से तो इनकी असली कहानी शुरु होती हे अब आगे बहुत कुछ होना है........
युनिव्हर्सिटी ऑफ चंडीगढ़ कॉलेज
तन्वी - यार.... ये हमारा फायनल इयर है ?"
पुजा - तो क्या तेरी आरती उतारू ? या तुझे दुख हो रहा है की तेरे पूरे तीन साल लड़कों को देखने और टांग खिचने में ही चले गये...!!!
तन्वी - तू चुप......कॉलेज की झांसी की रानी मुझे देख के सारे कॉलेज के लड़के मुझ पे लाइन मारते है, पर में ही उनकी टांग खींचती रहती हूँ ! पर तेरा तो मुझसे भी बुरा हाल हे क्योंकि तू जहाँ भी जाती हे वहाँ के लड़के तुझे देख अपनी जान बचाकर भागते हे !
पुजा - हहाह... सो फंनी फिर मुंह लटकाते हुए बोली हम्म.... बसकर कितना महाभारत सुनाएगी, वैसे ये सिया अभी तक आई नहीं ? कहा रह गई....!!!"
तन्वी - देख आ गई यूनिवर्सिटी ऑफ चंडीगढ़ कॉलेज की हिरोईन, टॉपर ,सिंगर ,डांसर कॉलेज के लड़कों की जान और हमारे टिमकी शान....!!!
सिया - सॉरी...सॉरी वो थोड़ा लेट हो गया ? वो शुक्ला मॅम ने पास वाले गणेश मंदिर में मन्नत मांगी थी, तो वो मुझे अपने साथ ले गई ! तो टाईम का पता नहीं चला...?"
तन्वी - यार.... ये शुक्ला मॅम हमेशा तुझे ही बलि का बकरा क्यों बनाती है ? मुझे तो आज भी याद हे शुक्ला मॅम मुझे मंगलवार के दिन गणेश मंदिर में लेकर गई थी? मुझे तो लगता है ऐसे ही लेकर गई है ? बाद में पता चला की शुक्ला मॅम को गणेश की आरती नहीं आती ? इस लिए वो मुझे अपने साथ लेकर गई थी, बाद में शुक्ला मॅम मुझे जभी बुलाती थी तो में लायब्ररी में कुछ काम है, बताकर वहाँ से भाग जाती थी ?
इस बात से तीनों जोर जोर से हँसने लगती है!
सिया - उस बात को छोड़ और मेरी बात सुनो ! तुम दोनों ने फायनल एक्झाम का टाईम टेबल देखा क्या...?"
तन्वी और पुजा - क्या ......ये कब हुआ ?"
सिया - जब में बहार से आ रही थी तो विजय ने मुझे बताया ?"
पुजा - तेरा क्या तेरे चाहने वाले हर जगह हे जो तुझे हर छोटी बड़ी बात बताते है...!!!"
तन्वी - अबे उल्लु की पट्ठी तू हर बार चाहने की बात क्यों करती हैं ? यहाँ एग्जाम आ रही हैं और तुझे प्यार की पड़ी है! तन्वी अपने नाखून दांत में चबाते हुए अब...... क्या होगा मेरा हे भगवान ?
पुजा - हँसते हुए बोलती हैं ? तुझे आज भगवान की याद आ गई में तुझे उस दिन बोल रही थी, की बाजू के क्लास वाले भगवान का नंबर ले ले ? तो तू बोली हट......अब क्या! उस भगवान को ढूंढना पड़ेगा और उसका नंबर लेना पड़ेगा ...!!!"
तन्वी - अबे ओह... कुंभकरण की बहन सुर्पनखा में उस भगवान राठोड की बात नहीं कर रही ! ये मंदिर के भगवान की बात कर रही हूँ duffer कहीं की....!!!"
सिया - उन दोनों कि बात पर हँस देती हैं जैसे कोई स्वर्ग की अप्सरा हँस रही हो !
विजय - सिया को हँसता देख हँसते हुए वहाँ आ जाता है...!!!
तन्वी और पुजा - धीरे से सिया की कान में फुसफुसाकर बोलती हैं...ले आ गया तेरा दीवाना...!!!
सिया - तुम दोनों की बदमाशी खतम हो गई हो, तो टाईम टेबल देखने चले...!!!
विजय - हाँ तुम दोनों का हो गया हो तो टाईम टेबल देखकर कॅन्टीन चलते हैं...!!!
तन्वी - विजय एक बात पूछूं ...!!!
विजय - ( शक भरी निगाहों से ) हाँ पुछो क्या पुछना है...!!!
तन्वी - तुमने तो टाईम टेबल देख लिया है ! तो फिर तुम हमारे साथ क्यों आ रहे हो...!!
विजय - खांसते हुए वो...वो...मैंने टाइम नहीं देखा इस लिए...!!!"
सिया - बीच में बोलते हुए...तुम दोनों को आना है...! या में खुद चली जाऊं गुस्से में...!!!"
तीनों - चलो भाई वरना ...ये सिया हमें घुर घुर के मार ही डालेगी...!!!"
चारों टाईम टेबल को हाथ लगाकर एक महीने में हमारी फायनल एग्जाम है ...!!!
तन्वी - अब हमारा क्या होगा...!!!
तीनों - हँसते हुए हमारा नहीं तुम्हारा...!!!
तन्वी - ये सिव्हिल इंजीनियर का मुझे कुछ समझ नहीं आता ! ये एग्जाम वेक्जाम छोड़ो जो होगा वो एक महीने बाद देख लेंगे...!!!
क्रमशः

