Hemlata Jain

Tragedy

5.0  

Hemlata Jain

Tragedy

स्वांग

स्वांग

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उसका समाज में अपना एक रुतबा...अपनी एक पहचान है...वो बड़े ही सभ्य लोगों में गिना जाता है ...

अपने एक मित्र को बहुत ही गूढ़ ज्ञान दे रहा था,

"आख़िर एक पत्नी चाहती ही क्या है,

ज़रा सी देखभाल, ज़रा सा समय और ध्यान... तू पढ़ा लिखा होकर ऐसे सोच भी कैसे सकता है, केवल बैडरूम में होने वाला ही प्यार नहीं"

बॉलकनी में अपने मित्र को फ़ोन पर समझाते हुए वो कह रहा था....उसकी बातों में वजन हमेशा से ही रहा है, आख़िर हो भी क्यों ना....

एक सफल लेखक जो अक्सर "स्त्रियों" के इन्ही दबे पहलुओं को कागज़ पर उकेरने में माहिर था। 

चाय का कप होंठो से लगाकर....बेडरूम में तैयार हो रही पत्नी को आँखों से ही जल्दी करने का इशारा किया, पर उसे वक़्त लग रहा था,

"थप्पड़" के निशान को मेकअप से छुपाने में, छुपाना लाज़मी भी था,

"घरेलू हिंसा" पर लिखी "इनकी" बुक लॉन्च पार्टी में जो जाना था।


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