Mukesh Kumar Modi

Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

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सूक्ष्म शत्रुओं से सुरक्षा

सूक्ष्म शत्रुओं से सुरक्षा

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हर परिस्थिति में शांत और स्थिरचित्त होना जीवन की सबसे बड़ी सफलता है। ऐसी अवस्था प्राप्त करना हमारे जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। यही वह अवस्था है जो हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाती है।

लेकिन देखा यही जाता है कि हम बड़ी बड़ी परिस्थितियों को झेल जाते हैं, मगर छोटी छोटी बातें या परिस्थितियां हमें विचलित कर देती है, जिससे हमें मानसिक स्तर पर बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। बाद में इसके व्यापक प्रभाव सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करते हैं।

ऐसा इसीलिए होता है कि हम उन सूक्ष्म परिस्थिति के प्रति सजग नहीं होते। सूक्ष्म परिस्थिति को पहचानने के लिये हमारी अंतर्दृष्टि भी सूक्ष्म होनी चाहिये ।

बड़े आकार का शत्रु आसानी से निशाना लगाकर समाप्त किया जा सकता है, किंतु लघु आकार के शत्रु को सूक्ष्म दृष्टि यंत्र से पहचानकर ही मिटाया जा सकता है ।

एक मामूली सी चींटी विशालकाय हाथी के कान में प्रवेश करके उसकी शांति भंग कर सकती है।

इसी प्रकार एक सघन वृक्ष बड़ी बड़ी प्राकृतिक आपदायें सहते हुए भी अंगद समान अनेक वर्षों तक खड़ा रह सकता है, किंतु अति सूक्ष्म आकार की दीमक यदि उसमें प्रवेश कर जाये तो उसे खोखला होने से रोका नहीं जा सकता।

इन महत्वपूर्ण उदाहरणों से शिक्षा लेकर स्वयं को सूक्ष्म परिस्थितियों से सावधान किया जा सकता है। मन की शांति भंग होने का कारण हमेशा सूक्ष्म ही होता है, लेकिन उसके दुष्प्रभाव की व्यापकता का अनुमान लगाना कठिन है।

यदि चींटी तुल्य सूक्ष्म सा एक नकारात्मक विचार मन में प्रवेश कर जाये तो हमारी बौद्धिक स्थिरता डगमगा जाती है। परिणाम स्वरूप मन में व्यर्थ विचारों की आंधी उत्पन्न होकर हमारी व्यवहारिक कुशलता, निर्णय क्षमता और बातचीत करने के तरीके पर प्रबल प्रहार करके उन्हें बिगाड़ देती है ।

इसलिए चर्म चक्षुओं से बाहर की दुनिया और घटनाओं को देखते हुए एक दृष्टि अपने भीतर भी जमाये रखनी चाहिये । घटनायें प्रिय और अप्रिय हो सकती हैं लेकिन हमें यह समझना आवश्यक है कि हम उनसे किस प्रकार प्रभावित होते हैं।

यह सही है जीवन में आने वाले लोग और आसपास की घटनायें हमारा जीवन सहज नहीं रहने देती। लेकिन इन सबके होते हुए भी अपनी कार्य कुशलता, व्यवहारिकता और व्यक्तित्व में समाहित गुणों को सुरक्षित रखना ही सफल जीवन का आधार है।

इसलिए प्रतिबद्धता के साथ सूक्ष्म परिस्थितियों रूपी शत्रुओं के प्रति सावधान होकर अपने सद्गुणों को सुरक्षित रखते हुए, चरित्र को उन्नत बनाने और व्यक्तित्व विकास की दिशा में बढ़ते चलना चाहिये। सफलता आपके सामने स्वयं उपस्थित हो जायेगी।



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