Mukesh Kumar Modi

Inspirational

3  

Mukesh Kumar Modi

Inspirational

आपत्तियों में धैर्य

आपत्तियों में धैर्य

2 mins
151


कड़वी दवाओं से शारीरिक रोग मिटाए जाते हैं। उसी प्रकार विपत्तियों का कड़वापन हमारे जीवन को महानता के शिखर पर पहुंचाता है। खेत में अन्न उपजाने वाला जल काले बादलों से ही बरसता है। डरने वालों को ही विपत्तियां दुख देती हैं। घटनाओं को परिवर्तनशील समझने वाला ही विपत्तियों को खेल समझकर दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़ता है। ऐसे लोग संकट के समय भी निश्चित रहते हैं। उन्हें विपत्तियों, कठिनाइयों रूपी पत्थर भी फूलों की सेज अनुभव होते हैं। दूर से ही दुर्गम पहाड़ियों को देखकर उन्हें पार करने से डरने वाला यात्री जब पास जाता है तो वही मार्ग उसे आसान लगता है। विपत्तियों के आने से पहले ही लोग उनसे घबराने लगते हैं, किन्तु जब वे सिर पर आ पड़ती हैं तो धैर्यपूर्वक उन्हें समाप्त किया जा सकता है। मूर्ति बनने के लिए एक पत्थर को अनेक चोटें सहनी पड़ती है। उसी प्रकार विपत्तियों रूपी चोटें खाकर ही मनुष्य अपना व्यक्तित्व गढ़ सकता है। विपत्तियां ही प्रेम की कसौटी बनकर हमारे अपनों की परीक्षा लेती है। यदि विपत्तियों में हमें किसी का निस्वार्थ सहयोग मिलना शुद्ध स्नेह का परिचायक है। दुख के बाद सुख, निराशा के बाद आशा और पतझड़ के बाद बसन्त ही सृष्टि का नियम है। जब तक सुख की एकरसता को वेदनाओं का कठोर आघात नहीं लगता, तब तक जीवन के यथार्थ ज्ञात नहीं हो सकता। विपत्तियां हमारे ही कर्मों का फल है, इसे भोगकर हम कर्मों के कठोर बन्धन से छूट जाएंगे। विपत्तियों का निडरता पूर्वक सामना करने वाले ही आत्मविश्वास की कसौटी पर खरे उतरते हैं। विपत्तियों के बीच से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए विपत्तियों से घिरने पर यही सोचें कि हम कल्याण की दिशा में आगे बढ़ना बढ़ रहे हैं। प्रत्येक घटना पूर्व से निर्धारित है, नया कुछ भी घटित नहीं हो रहा। इसलिए सदा याद रखें कि बनी बनाई बन रही, अब कुछ बननी नाहीं। समस्त घटनाएं हमारी देह, नाम और सम्बन्धों से जुड़ी होती हैं। वास्तविकता यही है कि हमारा अस्तित्व शरीर से पृथक है। जितना हम अपनी देह, नाम और सम्बन्धों को ही सच्चा मानकर चलेंगे, उतना ही विपत्तियां हमें सताएंगी। परिवर्तन का नियम घटनाओं पर भी लागू होता है। इसलिए विपत्तियां भी स्थाई नहीं रह सकती। उन्हें भला बुरा समझना हमारी मनोवृत्ति पर निर्भर है। अधिकांश परिस्थितियां हमारी गलतियां बताकर उन्हें सुधारने का अवसर प्रदान करने के लिए आती हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम शान्तचित्त और धैर्यता के साथ इन आपत्तियों का निवारण करें। तभी इनके लाभकारी परिणाम प्राप्त होंगे।

ॐ शांति


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational