सुनिधि पर आरोप
सुनिधि पर आरोप
एक 5 साल की लडकी खन्ना मेंशन के हाल में सर झुकाए खडी थी तभी उसकी मां शीतल खन्ना कहती हैं हमें नहीं पता था कि तुम इतनी अपनी बहन सें जलती हो कि उसो सीढियों से धक्का दे दोगी , सुनिधि कहती हैं मौम मैने कुछ नहीं किया हैं मैने उसे धक्का नहीं दिया हैं वो अपनें गलती की वजह सें गिरी हैं , शीतल जी उसे थप्पड मारती हैं , सुनिधि निचे गिर जाती हैं और उसके मुंह सें खून बहने लगता हैं , लेकिन इसबात पर कोई भी ध्यान नहीं देता हैं ,शीतल जी कहती हैं तुम अब झुठ भी बोलने लगी , तुम्हारे कहने का मतलब हैं कि निशा खुद गिरेगी और इल्जाम तुम पर लगाएगी ना , लेकिन हमें ये बताओगी की वो ऐसा क्यु करेगी जबकी वो तुमसे इतना प्यार करती हैं कोई तुम्हे कुछ भी कहें वो नही सुन पाती और तुम कह रही हो कि वो खुद गिरी हैं ।
तभी निशा रोते हुए कहती हैं मौम रहने दीजिए सुनिधि सें गलती से हो गया होगा , वो भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं वो कभी भी ऐसा नहीं करेगी , माना की उसने कई बार हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की हैं फिर भी वो ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकती , ।
शीतल जी कहती हैं सुन लिया तुमने वो अब भी तुम्हारा ही साथ दे रही हैं जब की तुम्हारी वजह से उसे कितनी चोट लगी हैं वहीं निशा मुस्कुरा रही थी और ये चिज सुनिधि देख लेती हैं लेकिन उसे पता था कि यहां उसकी बात का कोई भी विश्वास नहीं करने वाला इसलिए उसने कुछ नहीं कहा ,तभी सुनिधि के पिता विजय खन्ना कहते है चाहे भी ये मेरी बेटी हैं लेकिन इसकी गलतियो की वजह से ये अब यहां और नहीं रह सकती इसलिए इसको हम घर सें निकालते हैं और आज से इसका और हमारा रिश्ता खत्म ।
शीतल जी कुछ नहीं कहती हैं वहीं उसके दोनो भाई भी सब देख रहें थे पर कोई कुछ नहीं कहता हैं सुनिधि अपने दोस्त विहान के पास जाकर कहती हैं विहु तुम तो विश्वास करो मै ऐसा कभी कुछ भी नहीं कर सकता तुम तो अच्छे से जानते हो ना ,विहान कहता है पहले हमें भी यही लगता था कि तुम कुछ भी नहीं करती पर जैसी तुम्हारी हरकते हैं , अब उस पर विश्वास करना पड रहा हैं निशा तुमसे बडी हैं लेकिन तुम फिर भी उसको हमेंशा दुख देती हैं और वो तुम्हे माफ करती हैं इसलिए आज से मै तुम्हारा दोस्त भी नहीं हु समझी इतना कह उसका हाथ झटक देत हैं ।
सुनिधि जाकर नीचे गिर जाती हैं विजय जी गार्ड से कहते हैं इस मनहूस को हमारे घर से दुर करो आज को बाद हमें इसकी शक्ल भी नहीं दिखनी चाहिए आई बात समझ में ।
गार्ड हां मे सर हिला सुनिधि को गोद में उठा वहां से चला जाता हैं , शीतल जी निशा के सर पर हाथ रख कहती हैं आज से तुम्हे कोई परेशान नहीं करेगा चाहे तुम हमारी सगी बेटी नहीं हो फिर भी आज से तुम इस घर की बेटी हो और सुनिधि का कोई रिश्ता नहीं हैं , निशा कहत हैं पर मौम वो कैसे रहेगी बाहर विहान कहता है तुम चिंता मत करो वो जिए या मरे हमें फर्क नहीं पडता समझी ।
वहीं दरवाजे पर खडा गार्ड कहता हैं देख लिया मैम मैने खुद अपनी आखों से देखा था कि निशा खुद गिरी थी , लेकिन दोष आप पर लगा रही हैं , सुनिधि रोते हुए कहती हैं अंकल पर वो मेरा परिवार हैं फिर कैसे सुरेश कहता हैं मैम जिसे हमारी फिक्र नहीं हमें भी उसकी फिक्र नहीं करनी चाहिए, आप सोचिए कि आप एक दिन ऐसा बनेगी की निशा की सच्चाई इन लोगो को सामने लेकर आएगी और उस दिन इन लोगो को आप ठुकराएगी आज इनको आपकी जरुरत नहीं कल आपको इनकी जरुरत ना हो ठीक।
इतना कह सुनिधि के बाल सहला कर कहता हैं आपको ऐसी जगह भेजेगा की आप वहां पर प्यार के साथ - साथ ताकत भी मिलेगी , सुनिधि कुछ नहीं कहती हैं सुरेश मुस्कुराकर उसको ले चला जाता हैं ।
थोडी देर बाद सुरेश की गाडी के आगे एक बहुत बडी कार आकर खडी होती हैं उसमें सो एक कपल बाहर निकलते हैं शिवानी चौधरी कहती हैं बच्ची लेकर आए हो , सुरेश कहता हैं हां इसका खुन और खानदान दोनो हैं , वीरेन जी कहत हैं तब इसके परिवार वालो नें इसे क्यु निकाल दिया हैं , सुरेश उनको सारी बात बता देता हैं ।
वीरेन जी कहते हैं आज से ये श्रेया चौहान हैं और इसका उन लोगो से कोई रिश्ता नहीं हैं

