सुखमणी भाग 22
सुखमणी भाग 22
नानी जी को सुखिया ने दौड़कर कंधे पकड़ घुमा ही दिया । गिरा देगी क्या ??
भगवान भी इस जोड़ को चाहते हैं नानी मैडम जी के छोटे भाई व उनकी भाभी कल अपने घर आ रहे थे ,मैने यहीं पर खाने को कह दिया है बिन मांगे मुराद पूरी हो गयी प्यारी नानी जी ।
सुखिया खुशी से इतनी आह्लादित थी कि सुबह उठ सब तैयारी कर उनकी राह देखने लगी ।11 बजे कोई ने डोरवेल बजाई सुखिया ने भाग कर देखा कोई बाबू जी के परिचित थे । बैठक में बैठा बाबूजी को कह चाय नाश्ता का इंतजाम करने लगी । नानी जी उसका मजा लेने को पीछे से आ बोली कौन था मणी ??
कुछ न बाबू जी के परिचित हैं । चाय नाश्ता कर जैसे ही वह निकले उसने बाबूजी के दूसरे कपड़े कुशलेष को दे बोली ये बाबू जी पहन लेंगे मेरी सहेली आ रही है । कुशलेष ने आज की छुट्टी ले ली थी । बाबू जी कुशलेष से बोले इन कपड़ों में क्या खराबी है ?? मैं नहीं जानता आप सुखिया से पूछे उसने जो कहा मैंने कर दिया ।
तभी पीछे से सुखिया आकर बोली बाबू जी मेरी पक्की सहेली पहली बार घर आ रही है
उसको सूट या साड़ी देने की सोच रही उसका अचानक आना हुआ आप बाजार से कपड़े ला देते । बेटा मणी !! "मुझे लेडीज कपड़े न समझ पड़ते तुम या अम्मा जी साथ चलते" ।" बाबूजी नानी जी चली जायेंगी तो बच्चों को कौन देखेगा । कुशलेष उसके पति से बात करेंगे मैं भोजन की व्यवस्था करूंगी" ।तुम भी मुझे किस चक्रव्यूह में फंसा देती हो ??
"आप को तो जाना ही होगा मैं कोई को साथ जाने को देखती हूं पसन्द वह कर लेंगी आप पेमेंट देख लीजियेगा"। ठीक है बहुत-बहुत धन्यवाद बाबू जी ।
12 बजे सबके आने पर भोजन व्यवस्था निपटा सुखिया ने अलका मैडम को भी बात बना बाबूजी के साथ कर दिया ।दोनों को सुखिया की प्लानिंग समझ में आ गयी थी ।
सुखिया ने बाबूजी को फोन कर कहा कि आप घर न आकर 6 बजे माता जी के मंदिर में मिलें हम सब भी आ रहे हैं । सुखिया ने सारी बातें सारंग व उसके पति को बता दी थीं उन्हें भी कोई एतराज नहीं था वे भी चाहते थे ये काम शीघ्रातिशीघ्र हो जाये तो अच्छा है ।
नानी जी बोली बेटा सारंग अक्षयतृतीया का मुहूर्त बहुत शुभ होता है उसी दिन आर्यसमाज मंदिर में शुभ कार्य हो जायेगा अब आगे देखते हैं ,उन दोनों की राय क्या बनती हैं ??
अक्षय तृतीया की शुभ बेला में घर वालों की उपस्थिति में अलका मैडम जी शंभूदयाल जी की पत्नी बन गयीं । सबसे अधिक खुश सुखिया व सारंग थी।
शंभूदयाल जी व अलका मैडम के विवाह की पहली रात्रि थी जो अलौकिक आत्मिक व भावनात्मक थी । उन्होंने कहा अलका जी मैं अभी तक आपसे किया वादा पूरा नहीं कर पाया हो सके तो आप मदद करें । वैसे मैं सुखिया से उऋण नहीं हो सकता वह मेरे मनोभावों को एक माँ की नजर से पकड़ ध्यान रखती है" । "वह लड़की ऐसी ही है बचपन से अपने से अधिक दूसरों का ख्याल रखने वाली " अलका जी बोलीं।
तब तो "मैं आपको ही धन्यवाद कहूंगा आपकी सलाह पर ही बहू बनाया था "।
अलका जी बोलीं,"हमारा भी फर्ज
बनता है उसकी माँ के देखे सपने को शिद्दत से पूरा करने में मदद करें" ।
शंभूदयाल जी बोले ,"आपने तो मेरे मन की बात कह दी अभी सोते हैं कल से इसी अभियान में जुट जाते हैं । आज एक-दूसरे का साहचर्य मिलने से अपूर्व आंतरिक संतुष्टि मिल रही थी। लवलेश सलोनी सभी चले गये थे । नानी जी को सुखिया ने आग्रह करके रोक लिया था ।
शंभूदयाल जी का मेडिकल अवकाश खत्म होने वाले थे 3 दिन विद्यालय खुल गर्मियों की छुट्टी हो जानी थीं । वे सभी लोग गांव चले गये क्योंकि असली मुद्दा तो लोग क्या कहेंगे का था । पर गांव में किसी ने खास टीका-टिप्पणी न की जिसने की भी तो उत्तर देने को सुखिया ,कुशलेष व नानी जी थीं। अलका जी भी शारदा जैसी मूक नहीं थीं । 2 दिन रुककर अलका जी अपनी पोस्टिंग वाले स्थान 1 दिन जाकर वापस आ गयीं ।सभी सुखिया के पास चले गये।
अलका जी सुखिया का पूरा सहयोग देने की कोशिश करतीं पर सुखिया यही कहती अब आपको बाबू जी व पोते-पोती का ध्यान रखना है और मेरे लिए एक देवरानी खोजनी है । दोनों बच्चे धीरे-धीरे उनसे हिल गये ।अलका मैडम जी ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया वे अपने जीवन की छूटी खुशियों की पूरी भरपाई कर लेना चाहती थीं ।
शेष अगले भाग में
क्रमशः