सफल जीवन
सफल जीवन
एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा - माधव ये सफल जीवन क्या होता हैं ? कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गये। अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था। थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला - माधव ये धागे की वजह पतंग अपनी आज़ादी से और उपर की ओर नहीं जा पा रही हैं, क्या हम इसे तोड़ दे? ये और उपर चली जायेगी। कृष्ण ने धागा तोड़ दिया ......पतंग थोड़ा सा और ऊपर गयी और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अंजान जगह पर जा कर गिर गई ... तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझया...... पार्थ.... जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं....हमे अक्सर लगता की कुछ चीज़े, जिनमे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं ! जैसे : घर, परिवार, अनुशासन, माता -पिता, गुरु और समाज और हम उनसे आज़ाद होना चाहते हैं ...... वास्तव में यही वो धागे होते हैं --- जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.... इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परंतु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिना धागे की पतंग का हुआ .... अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाईयों पर बने रहना चाहते हो तो कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना .... धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही सफल जीवन कहते हैं। इसलिये परिवार में एक दूसरे से मिलकर रहो और एक दूसरे की सहायता करते रहो।