सारस और मोर
सारस और मोर
एक मोर और एक सारस थे। दोनों पक्के दोस्त थे। दोनों घूमते हुए चुग रहे थे कि वहां एक मछली आई। सारस ने मछली से कहा–
“मैं घूमती हूँ पानी में ,
मुझको किसका है डर,
मोर है तो बहुत सुन्दर,
परन्तु मुझको लगती मछली बेहतर। “
इतना कहकर सारस तो मछली के साथ चली गई। मोर इससे बहुत दुखी हुआ। उसने विचार किया कि सभी पक्षियों को इकट्ठा करूं और न्याय मांगू।
मोर चल दिया, रास्ते में उसे एक कबूतर मिला। कबूतर ने पूछा–“मोर भाई ! कहां जा रहे हो ?”
मोर ने कहा–“मेरी सारस मछली के साथ चली गयी। इसलिए पंचायत बैठाऊंगा। तुम भी आना। “
कबूतर ने कहा —
“हम झंझटों में क्यों पड़े,
साफ हमारी आदत,
सारस गई है मछली के साथ,
तो हमें कौन दे देगा धान ?”
ऐसा कहकर कबूतर ने तो आने से मना कर दिया। मोर तब आगे चल दिया। उसे आगे जाने पर तोता मिला। तोता बोला–“मोर भाई ! कहाँ चले ?”
मोर ने कहा –“मेरी सारस मछली के साथ चली गई। इसलिए पंचायत इकट्ठी करनी है। तुम भी मेरे साथ चलो। “
तोता बोला–
“हम सबसे अलग रहते है,
अपनी मैना को सम्हाल कर रखते है,
हम दूसरों के काम में क्यों जावे ?
इसलिए मैं तुम्हारे साथ नहीं चलूँगा। “
मोर अकेला ही आगे चल दिया। रास्ते में इसे तीतर मिला। तीतर बोला–“मोर भाई ! कहाँ जा रहे हो ?”
मोर ने कहा –“मेरी सारस मछली के साथ चली गई। इसलिए मैं पक्षियों की पंचायत जुटाऊंगा। तुम भी शामिल होने चलो। “
तीतर ने कहा–
“हम तीतर कहलाते है,
हम अपने घोंसले में मगन है,
आज मेरे बेटे की लगन है,
मोर भाई मुझे फुर्सत नहीं है। “
मोर भाई आगे चले तो उन्हें बगुला मिला। उसने पूछा –“मोर भाई ! कहाँ जा रहे हो ?”
मोर ने कहा–” मेरी सारस मछली के साथ चली गयी है। इसलिए पक्षियों की पंचायत जुटाने जा रहा हूँ। तुम भी मेरे साथ चलो। “
बगुले ने उत्तर दिया —
“हम बगुला कहलाते है,
अपने घर में रहते है ,
तुम अपने काम को खुद सम्हालो,
हमें फालतू काम पसंद नहीं। “
मोर ने सोचा–बाज ही हमारे काम में हमारा साथ दे सकता है। उसी के पास चलना चाहिए। बाज उसे रास्ते में ही मिल गया। बाज ने पूछा–“मोर भाई ! कहाँ चले ?”
मोर ने कहा –“मेरी सारस मछली के साथ चली गई। इसलिए पक्षियों की पंचायत बैठाऊंगा परन्तु कोई आने को तैयार ही नहीं है। बाज भाई ! आप तो आएंगे न ?”
बाज ने कहा —
“हम बाज कहलाते है,
हमारा सिर बड़ा है,
पक्षियों की सरकार आज्ञा दे दें,
तो सारस की चोंच तोड़ दूँ। “
मोर ऐसा सुनकर खुश हुआ और बाज के साथ तीतर, तोता, कबूतर सभी के पास गया। पक्षियों की पंचायत इकट्ठी हो गई। पंचायत की आज्ञा के अनुसार बाज मछली को पकड़कर ले आया।
सभी पक्षी बोले–” ओ मछली ! मोर को उसकी सारस वापस कर दे। “
मछली बोली– “ऊँ हूँ “
सभी ने बाज से कहा — “बाज ! इसे मोर की सारस मोर दिला दे। “
बाज ने कहा —
“मैं बाज कहलाता हूँ,
मेरा मस्तक टेढ़ा है.
सारस वापस कर मोर को,
नहीं तो तुझे मार दूंगा। “
ऐसा कहकर बाज मछली को मारने दौड़ा।
मछली बोली–“अरे बाज भाई ! मैं मोर को सारस दे देती हूँ। “
फिर पंचायत से सभी पक्षी अपने-अपने घर लौट गए और मोर को सारस मिल गया।
