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Purushottam Kumar

Tragedy

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Purushottam Kumar

Tragedy

संवाद

संवाद

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उस भीड़ में से कुछ लोग एक दूसरे को अपना परिचय दे रहे थे, तो कुछ पुरानी बातों को याद कर रहे थे। आस पास इतना शोर था, की कोई भी अपनी बात आसानी से कह नहीं पा रहा था, काफ़ी संघर्ष के बाद लोग एक दूसरे के साथ संवाद कर पा रहे थे।पर एक बात जो सब में सामान्य थी , वो थी सभी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की होड़ में थे।

शायद ही कोई उस भीड़ से उस इंसान के जाने के ग़म को महसूस कर पा रहा था, सिवाय उस इंसान के परिवार को छोड़ कर। कितनी हास्यास्पद हैं ना, मौत भी तो मज़ाक़ बन कर रह गया है, वहाँ बैठे कुछ लोग, भोज किस दिन होगा, इसकी तिथि जोड़ रहे थे तो कुछ सामग्री जुटाने के उधेड़- बुन में थे। पर दुःख की बात ये थी, जिससे संवाद करनी चाहिए थी, उनसे कोई भी संवाद नहीं कर रहा था॥ 


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