Kalyani Das

Inspirational

4.5  

Kalyani Das

Inspirational

संघर्ष

संघर्ष

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रसोई में दोपहर के खाने की तैयारी में लगी थी 

कि बेटी रितु ने आवाज लगाई ....मां आइए,

देेेखिए ,कौन आया है? 

हां,आ रही हूं...कहकर जैसे ही जाने के लिए

मुड़ी कि "प्रणाम, भाभी ...कहती हुई 

पुुुट्टी रसोई घर के अंदर आ गई ।ऐसेे 

अचानक उसे अपने सामने देखकर मैैंं

एकदम से चौंक गई।

फिर हम दोनों ही ठठा कर हंस पड़ीं।

हम दोनो ही एक-दूसरे का हाल समाचार 

पूूूछने लगे ।

वो अपने दो साल के पोते को भी साथ में

लेकर आई थी ।बहुत प्यारा बच्चा है -

मैंने कहा ।वो मुुुस्कुराई।

मैं अपनी दीदी की बेटी की शादी में 

आई हूं।"

उसने कहा ।

"भाभी मैं शादी खत्म होने के बाद एक 

दिन फ़ुर्सत से आऊंगी ।"

अभी चलती हूं।

अच्छा ठीक है मैैंने कहा ।

खा-पीकर जब दोपहर मेें आराम करनेे गई

तो मन कई बरस पीछे चला गया ।

बात तब की है जब मैंं शादी होकर आई थी ।


ससुराल मेंं एक कामवाली थी ।उड़ीसा की 

रहने वाली थी ।नाम पुट्टी था।शादीशुदा थी

पर पति को छोड़कर अपने मायके में ही

अलग से एक कमरा लेकर अपने दो 

बच्चों के साथ रहती थी।

बड़ी बेटी कक्षा एक मेें और बेेटा अभी माात्र

तीन साल का था ।

बहुत ही ईमानदारी से काम करती थी।

घर में सबसे खूब हिली मिली थी ।

सासू मां उसका और उसके बच्चे का

बहुत ख्याल रखा करती थी ।

बेेेेटी को मिशनरी स्कूल मेें नाम 

लिखवा दिया था ।बेटी को स्कूल भेेजकर

बेटे को साथ लेकर काम करने आती थी ।

चार-पांच घरों मेें काम करती थी ।

एक दिन मैंने उससे पूछा "आपके पति कहां

रहते हैं पुट्टी? आप उनके साथ क्यूंं नही 

रहती हैं?"

चूूंकि हमदोनों हमउम्र थे इसलिए आराम

से बात करते थे ।वैसे भी वो हमारे परिवार 

मेें कामवाली की तरह नहीं

बल्कि घर के सदस्य की तरह ही थी ।

उसने कहा -"जब हम ते साल के थेे तो

घर से भाग कर शादी कर लिए थे ।

शुुुरू-शुरू में सब ठीक था ।पर बाद 

मेें मेरा पति शराब पीकर आता और खूब 

गाली-गलौज करता ।फिर धीरे-धीरे मुझे 

मारने भी लगा ।इसी बीच मेेेरे दो बच्चे भी 

हो गए।

पर उसकी आदत नहीं सुुधरी।

थक हार कर हमेशा के लिए हम उसे

छोड़कर मायके आ गए।

फिर घर चलाने के लिए हम कामवाली

बन गए ।"

कोई बात नहीं पुट्टी ।आप अपने बच्चों

को खूब पढ़ा़इए लिखाइए।

देखिएगा एक दिन आपका बेेेेटा पढ -लिख कर 

अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा ।तब आपके 

सभी दुुुःखों का अंत हो जाएगा ।

वो खूब मेहनत करती ।पर बहुत कोशिश के बाद भी

उसकी बेटी पायो सिर्फ पांचवी तक ही पढ

पाई।उसे पढ़ने मेें बिल्कुल भी मन नहीं लगता था ।

ऐसे ही समय बीतता रहा ।उसने बड़ी

 ही धूमधाम से अपनी बेेटी की शादी की।

बेटा भी दसवीं पास कर गया था ।

फिर अपने एक दोस्त के बुलानेे पर बैैंगलोर

चला गया ।फिर पुट्टी भी सभी घरोंं के काम


छोड़कर एक किसी बहुत बड़े अफसर

के घर में उसके बच्चों की देखभाल 

करने लगी क्यूंकि उसकी पत्नी का देहांत 

हो चुका था।फिर इतने साल बाद आज

उससे मुलाकात हुई ।कितना कुछ जानना 

था उसके बारे में।अब तो जब वो आएगी 

तभी पता चलेगा उसके बारे में।

यही सोचतेे-सोचते आँँख लग गई ।

एक सप्ताह बाद दोपहर में आराम कर

रही थी तो पुट्टी फिर अपने पोते के साथ 

आई।मैंने उसे बिठाया ।चाय नाश्ता कराया।

फिर हमलोग आराम से बातें करने लगे ।

वो बहुत खुश लगी।उसने खुद ही बताया 

कि जिस अफसर के यहां वो काम करतीी थी 

उसने कहा था कि उसका बेटा जब दसवीं

पास हो जाएगा तो उसेे कहीं काम पर

रखवा देगा ।पर ऐसा नही हुुुआ।

उसने कहा कि उसके बच्चों को उससेे और उसे

उन बच्चों से बहुत लगाव हो गया था ।

जब उसकी पत्नी का देेेहां हुआ थाा तब

उसके बच्चे बहुत छोटे थे ।उसने मां की तरह 

उसके बच्चों की देखभाल की ।

कई साल तक ऐसे ही चलता रहा ।

लेकिन जब उसके बेटे को कहीं कोई काम 

नही मिला तो वो बैंगलोर चला गया ।

जहां बहुत मेहनत मशक्कत करनेकेे बाद 

एक प्राइवेटकंपनी मेें उसे सुपरवाइजर की

नौौकरी मिल गई ।

दो चार साल बाद उसी कंपनी मेें काम

करने वाली एक सजातीय लड़की से 

उसने विवाह कर लिया ।फिर अपनी मां

को भी अपनेे पास बुला लिया ।

अब उसे किसी चीज की कमी नही थी।

धीरे-धीरे थोड़ा थोड़ा रुपये जमा करके

अपने गांव में छोटी सी जमीन भी खरीद

ली।

एक मां ने बहुत ही संघर्ष करके अपने 

दोनों बच्चों को पाला था।आज उसी के

परिणामस्वरूप ईश्वर नेे सारी खुशियां

उसकी झोली में डाला था।

हमारी बातचीत अभी खत्म भी नही हुईथी कि

उसका बेटा कालिया भी आ गया ।उसनेे 

पैर छूकर मुझे प्रणाम किया ।मैंने ढेरों

आशीर्वाद दिये उसे ।

उसने कहा कि मामी आप सभी के 

आशीर्वाद से हम अब अच्छे से कमाने लगे हैैं।

मां हमको और दीदी को बहुत कष्ट उठा कर 

पाली थी ।खुद भूखे रहकर हमलोग काा 

पेेेट भरती थी।अब हम मां को साारी

खुुुशी देना चाहते हैं।

तभी पुुुट्टी बोली हां,भाभी ,बेटा बहू

दोनों मेरा बहुत ख्याल रखते हैैं।हर सुख 

सुविधा दिये हैं हमको ।

अच्छाा भाभी, अब चलते हैं।जब भी आएंगे 

आपसे मिलने जरूर आएंगे।

मैैं दोनो मां बेेटा को जाते हुए देख रही थी 

और सोच रहीी थी कि हर मांं अपने बच्चे के लिए सुपर माॅम होती है ।


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