ममता के रंग
ममता के रंग
भोर की सुनहरी किरणें अपनी आभा बिखेरने लगी थी ।सुबह का शांत मनोरम दृश्य, चिड़ियों के कलरव मन को एक अलग ही सुकून देते हैं।मुस्कुराती हुई रीमा ये सब सोचते हुए, एकहाथों मेें फूलों की डाली पकड़े हुुुुुए अपनेबगीचे मेें पहुंचती है ।
"पहलेे सुबह-सुबह उठना मुुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था पर अब ज्यों -ज्यों उम्र बढ़ रही है सुबह उठने की खुुुद ब खुद आदत पड़नेलगी है ।"ऐसा सोचते हुए जैसे ही अड़हुल फूूूलके पेेेड़ के पास पहुंचती है कि कुुछ नुकीलीचीज सिर के बीचों-बीच चुभती है ।आह-------अनायास ही उसके मुँह से निकला ।
जैसे ही सिर सहलातेे हुए ऊपर की ओर देेेखतीहै एक कौआ बड़ी तेज से उसके ऊपरआता दिखाई दिया ।कुुुछ समझ पाती फिर उसके सिर पर अपनी चोंंच मारता हुआ बड़ी तेजी से ऊपर उड़ गया ।
"अच्छा तो ये कौआ मुुुझे चोंच माररहा ।पर क्यूूं.......अभी कुछ करती फिर उसे चोंच मारने उसके सिर के ऊपर मंडराता हुआ पहुंच गया ।
पर इस बार वो सतर्क थी।जैसे ही कौआ आया वो नीचे झुक गई ।फिर वो दूसरी तरफ बेल के पेड़़ के तरफबढ़ गई ।सोचा चलो बेलपत्र ही तोड़ालिया जाए।
पर ये क्या? वो जिधर भी जाती कौआ पहुंच जाता और चोंच मारने लगता ।उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था ।आखिर वो कौए से डर कर घर के अंदरआ गई ।उसके चोंच मारने की वजह से सिर दर्द होने लगा था ।उसने पति-बच्चोंं से सारी बातें बताई ।सभी बाहर बगीचे मेंं देखने पहुंचे परफिर वही सब।
सभी अंदर आ गए।
किसी को भी कुछ समझ नही आ रहा था कि वो कौआ ऐसे क्यूूं कर रहा था ?फिर कमरे के अंदर से ही बगीचे कीतरफ खुलने वाली खिड़की से रीमा बाहर
देखने लगी ।बगीचा लोहे की महीन जाली से घेरा हुआ था ।उसी जाली के ऊपर दो कौए बैठे हुए थे -उसनेे देखा ।बगीचे के बाहर घास -फूस बहुत झाड़ियां थीं।दोनों कौए उन झाड़ियों मेेे ही देख रहे थे ।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ।
पति ने कहा कि "जरूर पेड़ पर से कोईकौआ गिर गया होगा या फिर कौए का बच्चा ।उस दिन सारा दिन दोनों कौए वहीं बैैठेे रहे ।फिर शाम को रीमा ने देखा कि एक कौआ वहीं एक आम के पेड़ पर जाकर बैैैठ गया था और दूूसरा वहीं नीचे झाड़ियों मेें।
पर उन झाड़ियों मेंं क्या था, कुुुछ दिख नहीं रहा था ।सारा दिन कौए काँव -काँव चिल्लाते रहेे ।दूसरे दिन सुुुबह रीमा बाहर निकली ।जब फूल तोड़ने गई फिर कौओं ने हमला बोल दिया ।डरकर वो भागती हुई अंदर आ ही रहीथी कि पड़ोस मेंं रहने वाली भाभी ने पूछा"अरे आप ऐसे क्यूंं भाग कर अंदर आ रही
हैं?"
रीमा ने उनको कल वाली सारी बातें बताई ।फिर उन्होंने कहा कि" हे भगवान ,दतारीने कौए के बच्चे को लगता है पीछे से आपकेबगीचे से होकर उधर बाहर फेंक दिया होगा ।जबकि हमने उससे कहाा था कि कहींदूर फेंक कर आए ।"
"मैं कुछ समझी नहीं,क्या हुआ था? "रीमा ने अपनी पड़ोसन से पूछा ।
"दरअसल परसों शाम में मेरे आंगन में जो नीमका पेेेड़ है उसपर से एक कौए का बच्चागिर गया था ।कौआ सब बहुत चिल्ला रहा था ।किसी को भी आंगन में निकलने ही नहीं दे रहा था ।यहां तक कि बाथरूम तक जानामुहाल हो गया था ।अब यहां रेलवे क्वॉर्टर में टॉयलेट बाथरूम भी तो आंगन के एकदम
आखिर मेंं है ।
इसीलिए थक हार कर हमलोग जब रात में बिजली गुल हुई थी न तब दतारी(उनकेे घर के बाहर रेलवे की खाली जगहपर झोंपड़ी बना कर रहने वाला एक ग्वाला )को बुलाकर बोले थे कि कहीं दूर फेंक आए।लगता है अंधेरे होने के कारण वो आपकेबगीचे के बाहर खाली जगह में झाड़़ी
में ही फेंक आया।"
"अच्छा अब सब बात समझ में आई।पर देेेखिए, ईश्वरीय लीला।हम मनुष्यअपने बच्चे से प्यार करते हैं।पर ये पशु पक्षी भी कम प्यार नहीं करते
अपने बच्चों को ।एक कौआ का बच्चा नीचे गिर गया पेेेड़ से तोसारे कौए दो दिन से परेशान हैं।और जहां पर बच्चा गिरा हुुआ है उसके आस-पास किसी को भी नहीं जानेदे रहे ताकि कोई उसके बच्चे को नुकसान न पहुंचाए।एक पक्षी की अपने बच्चे के लिए ऐसी ममता देखकर मन द्रवित हो गया ।"
रीमा घर के अंदर जाकर खिड़की से बाहर देेखनेलगती है ।वो कौआ अभी भी वहीं झाड़ियोंंमें बैठा था ।ये जरूर इस बच्चे की मांं होगी ।और दूसरा कौआ कभी बगीचे की जाली पर तो कभी आम के पेेेड़ पर जाकर बैैैठ जाता ।बीच-बीच में दूसरेकौए शोर मचाने लगते।ऐसे ही दो दिन बीत गया ।तीसरे दिन सुुुुुुबह होते ही रीमा फिर खिड़की पर उनलोगों का जायजा लेने पहुंच गई ।अभी भी सब वैैैैैसा ही था ।पर दोपहर होने से पहले रीमा ने एक
अद्भुत नजारा देेेखा।
कौआ का बच्चा धीरे-धीरे उड़ने की कोशिश कर रहा था ।एक प्यारी सी मुस्कान रीमा के चेहरे पर आ गई ।लगा जैसे उसका खुद का बच्चा
स्वस्थ हो गया हो।वो बहुत देर तक ये सुखद क्षण का आनंद लेनेे लगी।कुछ देर के बाद उसका प्रयास सफल हुआ और उड़ कर बगीचे की जाली पर
बैठ गया ।
फिर थोड़ी देर बाद उड़कर आम के पेड़पर चला गया ।फिर कौए थोड़ी देेेरकाँव -काँव करते रहे फिर शांत हो गये।अब जाके सबको शांति मिली।प्रकृति ने हर जीव -जंतु के हृदय मेें प्रेेेमको रोपित किया है और हर मां को ममता के रंग से सराबोर किया है ।फिर चाहे वो इंसानी मां हो या पशु -पक्षी की ।