शेर और चूहे की प्रेरणादायक कहानी
शेर और चूहे की प्रेरणादायक कहानी
एक समय की बात है. एक जंगल में एक शेर रहना था। वह उस जंगल का राजा था। बाकि सभी जानवर उससे डरते थे। शेर को भी लगता वो बहुत महान है उसके जैसा पुरे जंगल में कोई दुसरा है ही नहीं। वह वीर है , उसे किसी की मदद की ज़रूरत नहीं पड़ती बल्कि किसी की कोई समस्या होती तो वह शेर के पास ही लेकर आता। शेर का घमंड दिन प्रति दिन बढ़ने लगा। अब तो वह पुरे जंगल में अपनी मन मानी करने लगा। जिसे चाहता मार देता। शेर अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता था. सभी जंगल के प्राणी उसकी इस मन मानी से तंग आ गए थे। पर वह बेचारे कर भी क्या सकते थे वास्तव में शेर से सभी डरते थे। कोई भी उसका सामान ताकत से नहीं कर सकता था।
एक दिन एक चूहा कही जा रहा था शेर ने उसे देखा और उसे पकड़ लिया। चूहे ने बहुत बिनती करि आप तो इस जंगल के राजा है आप महान है मुझ ज़रा से चूहे को खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। आप मुझे छोड़ दे। शेर नहीं माना।तब चूहे ने शेर से कहा समय आने पर में आपकी ज़रूर मदद करूँगा कृपा मुझे छोड़ दे.
शेर बहुत तेज़ हँसा तू ज़रा सा चूहा जंगल के राजा की मदद करेगा। मुझे कभी किसी की मदद की ज़रूरत है पड़ती।पर जब चूहे ने बहुत बिनती करि तो कुछ सोचकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया।
पर एक दिन की बात है शिकारियों का एक दल उस जंगल में आ गया और उन शिकारियों में जंगल के जानवरो का शिकार करना शुरू कर दिया। फिर एक दिन एक शिकारी ने जंगल के राजा यानि उसी शेर को आपने जाल में फसा लिया। अब तो शेर बहुत परेशान हो गया कैसे इस जाल से निकला पाए। जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वह उस जाल से नहीं निकल पाया तो चुप चाप बैठ गया। जंगल का कोई भी जानवर अपने राजा की मदद के लिए नहीं आया। तभी उस चूहे को पता चला की शेर को शिकारियों ने पकड़ लिया है।
वह तुरंत गया और अपने नुकीले दांतो से जाल को काट दिया। और फिर शेर को आज़ाद कर दिया
शेर को अपनी गलती का पूरा एहसास हुआ की कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो हर किसी में अपनी अपनी विशेसताये होती है। सबका सम्मान करना चाहिए, कभी भी घमंड में आकर ऐसे वचन नहीं बोलने चाहिए जो दुसरो को दुःख दे।