Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

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सेवा भाव।

सेवा भाव।

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यह एक प्राचीन गाथा है कि एक राज्य में एक मनुष्य रहता था। एक दिन उसकी इच्छा हुई कि मैं राजा के दर्शन करूं। लेकिन वह बहुत गरीब भी था ,उसकी कोई पहुंच भी नहीं थी। उसको कोई ऐसा उपाय नहीं सूझ रहा था ,जिससे राजा तक पहुंच सके उसने यह पता लगाया कि राजा कहां -कहां से निकलता है। उसे पता लगा कि सुबह राजा इस रास्ते से टहलने जाता है। वह जल्दी उठता और उस रास्ते को झाड़ कर चला जाता। राजा ने देखा कि रोज कोई इस रास्ते को झाड़ कर चला जाता है तो उसने उस मनुष्य को जांचने के लिए उसकी परीक्षा लेने के लिए एक दिन वह हीरा डाल दिया। दूसरे दिन जब झाड़ने आया तो उसने हीरा को रख लिया और झाड़ता चला गया।

फिर कई दिन गुजर गए। राजा ने देखा कि मैंने इसको हीरा दे दिया तब भी इसने झाड़ना बंद नहीं किया। हो सकता है कुछ और चाहता हो। दूसरे दिन उसने एक और आभूषण वहां डाल दिया। इस तरह यह क्रम कई दिन चलता रहा किंतु उस मनुष्य का रास्ता साफ करना बंद नहीं हुआ। एक दिन अपने सिपाहियों को उसने कहा कि रात में यहां पहरा लगाओ, देखो कौन झाड़ू लगाता है। जब उस मनुष्य को पकड़कर दूसरे दिन दरबार में ले गए तो राजा ने पूछा कि क्या बात थी मैंने तो तुम्हारे लिए इतने आभूषण, हीरे ,जवाहरात डाले तुम उसको उठाते रहे ,लेकिन तुमने झाड़ना बंद नहीं किया। उसने कहा कि मैंने सड़क झाड़ना इसलिए नहीं शुरू किया था कि मैं वह आभूषण पाऊं या हीरे -जवाहरात पाऊं।

मेरा तो एक लक्ष्य था कि मैं राजा के दर्शन करूं। वह आज मुझे उससे प्राप्त हो गए। राजा ने उसकी निष्काम सेवा भाव से प्रसन्न होकर उसको राजदरबार में रख लिया। अब वह राजा के साथ-साथ प्रजा की सेवा करने लगा।


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