सबसे सुंदर
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आँचल ने अपनी दीदी की शादी में पहनने के लिए सफेद रंग का बहुत सूंदर गाउन बनवाया। बहन की शादी थी तो आँचल को सबसे सुन्दर दिखना था। उसकी मम्मी ने शादी से दो दिन पहले ही सब फंक्शन में पहनने वाले कपड़े एक अलमीरा में सेट कर दिए थे। आँचल की मॉसी की बेटी मीता ने जब से ये वाइट गाउन देखा उसका दिमाग तरकीबे सोचने लगा कि कैसे आँचल ये गाउन न पहने। मीता को अपनी सुंदरता पर बहुत गुमान था और किसी और की तारीफ तो वो सुन भी नहीं सकती थी। उसने सोच लिया कि क्या करना है, ताकि सब शादी में सिर्फ उसको ही देखें।
और अब शादी का दिन आ गया, आँचल का प्रोग्राम अपनी दीदी के साथ पार्लर में तैयार होने का था, तो शाम को उसने दीदी का सारा सामान उठाया और अलमीरा से अपना गाउन लेने लगी। लेकिन ये क्या अलमीरा में तो गाउन था ही नहीं। सब जगह ढूंढा पर कहीं नहीं मिला। दीदी को पार्लर भेज दिया गया और आँचल का मूड बहुत खराब हो गया, सब हैरान थे कि ऐसे गाउन कहाँ जा सकता है। जबकि बाकि सब सामान वहीं पड़ा है। आँचल के आंसू गिरने शुरू हो गये।
मीता वहीं पर चुपचाप खड़ी रही, अंदर ही अंदर वो बहुत खुश थी। उसके हाव भाव देखकर उसकी मम्मी और आँचल की मासी को कुछ कुछ समझ आ गया था। उन्होंने आँचल को प्यार से अपने पास बिठाया और समझाया "बेटा ये बाहरी सुंदरता से कुछ नहीं होता, बस मन और काम अच्छे होने चाहिए। तुम्हारा तो मन ही कितना सुंदर है, तुम कोई भी कपड़े पहन लो अच्छे ही लगेंगे। जैसे तुम शादी के सब कामों में अपने मम्मी पापा की मदद कर रही हो, सब मेहमानों का ध्यान रख रही हो तो तुम से सुन्दर कोई और लग ही नहीं सकता। तुम जैसे सबसे हंस कर मिलती हो, सबकी सुंदरता फीकी पड़ जाती है| रात को शादी में भी सब तुम्हे ही देखेंगे, बस मूड खराब मत करो।"
मीता से तो पहले ही किसी की तारीफ बर्दाश्त नहीं थी, ऊपर से ये बातें तो उसकी मम्मा ने बोली तो उसे बहुत बुरा लग रहा था।
लेकिन उसकी मम्मी उससे ज्यादा स्मार्ट थी और उन्होंने एक और चाल चल दी। अब उन्होंने मीता को भी पास बुला लिया और आँचल से बोला "बेटा तूं मूड खराब मत कर, मीता तुझसे ज्यादा समझदार है, उसको पता है आज का दिन तेरे लिए उससे ज्यादा ज़रूरी है, तूं ऐसा कर उसका पिंक लहंगा पहन ले, तुम्हारा तो साइज भी एक है।
जा मीता आँचल को लहंगा लाकर दे दे, तूं ही मेरा सबसे समझदार बच्चा है। जा और साथ में जो सब मैचिंग एक्सेसरीज तूने रखी हैं, वो भी ले आना।"
मीता ने तो सोचा ही नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है, वो मम्मा की नज़रों से समझ गई कि उनको शक हो गया है। लेकिन अब करे तो क्या करे, अपना लहंगा तो किसी कीमत पर दे नहीं सकती और अब मम्मा ने तीर ऐसा छोड़ा था। खैर वो "ओके मम्मा" बोलकर दूसरे रूम में अपने सामान के पास गई लेहेंगा लेने के लिए।
बस दो मिनट में ही खूब जोर जोर से उसकी आवाज आने लगी "अरे आँचल तुम्हारा गाउन तो यंहा स्टोर में गिरा पड़ा है।" सब भागकर आये और जल्दी जल्दी में मीता ने आँचल को उसका गाउन पकड़ाया। कुछ सोचने समझने का तो टाइम नहीं था, बस मॉसी ने जल्दी से अपने बेटे को बोला चल जल्दी से आँचल को भी पार्लर छोड़कर आ। आँचल बहुत खुश थी, उसने जोर से मीता को गले लगा लिया और बोली "मीता तुमने ही मेरा गाउन ढूंढा है और जब गाउन नहीं मिल रहा था तब तुम मुझे अपना लहंगा देने को भी तैयार हो गई थी, तुम मेरी सबसे अच्छी बहन हो, थैंक यू सो मच" और पार्लर के लिए निकल गई। यंहा आँचल की मम्मा मीता को बोली "तुम्हे तो शादी के बाद मैं सबसे अच्छा गिफ्ट दूंगी, तुमने आँचल का मूड ठीक कर दिया"। और भी सब लोग मीता की तारीफ करने लगे।
अब मीता की मम्मी ने उसे अलग से बुलाया और वही बात कुछ यूँ समझाई "बेटा ये बाहरी सुंदरता से कुछ नहीं होता, तुम सिर्फ अपने मन को सुन्दर बनाओ। अगर मन और काम सुन्दर होंगे, तो सब हमेशा तुम्हे प्यार करेंगे। देखो आँचल को कैसे तुम पर एकदम प्यार आ गया और सब तुम्हारी तारीफ करने लगे| लेकिन सच तो मुझे पता है कि कुछ और ही है।" मीता को बात भी समझ आ गई और उनका इशारा भी। वो सच में शर्मिंदा थी और झट से उसने मम्मा को सॉरी बोलकर कभी दोबारा ऐसा कुछ न करने का प्रॉमिस किया।
मीता की मम्मी की समझ से काम भी ठीक हो गया और मीता को एक नई सीख भी मिल गई।