अनुरोध श्रीवास्तव

Inspirational

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अनुरोध श्रीवास्तव

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रंगोत्सव की शुभकामनाएं

रंगोत्सव की शुभकामनाएं

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हमारी पृथ्वी सौरमण्डल का हिस्सा और सूर्य का ग्रह है। यह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होती है। सूर्य ही पृथ्वी पर जीवन का कारक है। पृथ्वी सूर्य के गुरूत्वाकर्षण से आबद्ध होकर सूर्य के चारों तरफ परिभ्रमण करती है। पृथ्वी के सूर्य के चारों तरफ एक परिक्रमा पूर्ण कर लेने की अवधि को एक वर्ष की अवधि माना जाता है। विश्व की सभी संस्कृतियों के अपने कैलेण्डर हैं और सभी संस्कृतियां अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार नया वर्ष आरम्भ होने का दिन भी मनाती हैं। भारत का आधिकारिक संवत शक संवत है जो चैत्र, शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है। भारतीय विक्रम संवत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। परन्तु हमलोग पारम्परिक रूप से नववर्ष का उल्लास होली के दिन ही मनाते हैं , जो भारतीय संवत (विक्रम और शक दोनों) के प्रथम महीनें चैत्र की प्रथम तिथि होती है। वैसे होली के उत्सव का आरम्भ बसंत पंचमी से ही हो जाता है जब होलिका स्थापित कर दी जाती है। भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार वर्ष का प्रारम्भ होली के दिन से ही होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रों का शुभारम्भ होता है और पारम्परिक रूप से ऐसा माना जाता है कि इसी दिन से भगवान ब्रह्मा नें सृष्टि का आरम्भ किया था।


अगर ऐसा कहा जाये कि विश्व में सबसे सुन्दर और वैज्ञानिक तरीके से नववर्ष भारतीय परम्परा में ही मनाया जाता है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस समय वसंत की ऋतु होती है। प्रकृति में भी नवोन्मेष होता है। न अधिक सर्दी न गर्मी। दिन रात का समयमान भी लगभग समान होता है। नयी फसल घर आनें को होती है (पुराने जमाने में घर आ गयी होती है)। चहूँ ओर उल्लास होता है। सर्वत्र समृद्धि होती है। धरती माँ भी हरित परिधान में तरूणी सदृश लगती है। ऐसे में हम पुराने संवत की अप्रिय अनुभवों को होलिका में दहन कर बची खुची सर्दी को होलिका ताप कर दूर करते हुए पुराने संवत (वर्ष) को विदा करते हैं और दूसरे दिन विविध रंगो, उमंगों, पकवानों और नये परिधान के साथ नववर्ष का स्वागत करते हैं। इस तरह होली उल्लास के साथ प्रकृति से जुड़ने और प्रकृति का संरक्षण करने का संकल्प लेने का भी पर्व है।


आमों पर है मंजरी

कोयल का संगीत

रंग फाग का चढ़ गया

बजा बसंती गीत

आ गयी होली है।।


आइये इस होली एक संकल्प लें कि अपने मन के विकारों का होलिका के साथ दहन करेंगे, पर्यावरण को यथासम्भव कम से कम प्रदूषित करेंगे , पर्यावरण का संरक्षण करेंगे , परिवेश को स्वच्छ रखने में सहयोग करेंगे, अपने प्रयासों से किसी वंचित के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास करेंगे ,प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करेंगे और होली के रंगों से प्रेरणा लेकर समाज में अपनी उपयोगिता सिद्ध करेंगे।


और अन्त में आप सब को रंगोत्सव, उल्लास के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं।



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