रावण

रावण

2 mins
3.8K


निढ़ाल से अल्फ़ाज़ उसके मुँह से निकलने से डर रहे थे। होठ तो हिल रहे थे लेकिन ज़ुबान साथ नहीं दे रहे थे। उसकी चोरी पकड़ने वाला दुकानदार उसे बालों से घसीटते हुए चौराहे पर खड़े पुलिस वाले की तरफ़ ले जा रहा था। तभी दूर से दो छोटे बच्चे रोते हुए आकर उस बच्चे से लिपट गए। तीनों के चेहरे भूख से मुरझाए हुए थे।

"भैया हम कहते थे ना चोरी मत करना। माँ-पिता जी जिन्दा थे तो कितना समझाते थे कि भूखे मर जाना लेकिन चोरी मत करना क्योंकि चोरी करना पाप है।"

पुलिस वाले ने कड़क आवाज़ में पूछा- क्या बात है ?

दुकानदार ने कहा- सर, ये लड़का मेरी दुकान से सेब चुरा कर भाग रहा था।

लड़के ने रोते हुए कहा- "सर, हमारे दोनों भाई भूख से छटपटा रहे थे। तीन दिन से हम तीनों भाई खाली पानी पी पी कर जिन्दा हैं। मैं ने सिर्फ उन दोनों के लिए दो सेब चुराया है अपने लिए तो मैं ने चुराया भी नहीं है।"

उस बच्चे की मासूमियत भरी बात सुनकर पुलिस वाले का दिल भर आया। पुलिस वाले ने पूछा- तुम्हारे माँ-बाप कहाँ हैं ?

बच्चे ने मासूमियत से जवाब दिया- आप लोगों को मालूम नहीं है ! दशहरे की रात हम तीनों भाई रावण दहन नजदीक से देख रहे थे और माँ-पिता जी रेल लाइन पर बैठकर दूर से देख रहे थे। तभी ट्रेन आई और माँ-पिता जी के साथ लाइन पर बैठे सभी लोगों को काटती चली गई। माँ पिता जी की लाश भी हम लोग नहीं देख पाए।

ये सुनकर दुकानदार ने झट से बच्चे का बाल छोड़ दिये। दुकानदार का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसके मुँह से ख़ुदबख़ुद ये आवाज़ निकली- हे भगवान, ये मुझसे कैसा पाप हो गया।

पुलिस वाले ने रूमाल से अपने नम आँखों को सुखाया और किसी एन जी ओ वाले को फोन लगाया।

इस बीच फल वाले दुकानदार ने तीनों बच्चों को बगल के होटल में भर पेट खाना खिलाया।

तभी एन.जी.ओ. वाले अपने दल बल के साथ आ पहुँचे और तीनों बच्चों को अपने साथ ले गए।


Rate this content
Log in

More hindi story from Abdul Gaffar

Similar hindi story from Inspirational