पुस्तक
पुस्तक


कागज़ ,स्याही और मशीन को एकत्र करके उस पर लेखों, कहानियों और कविताओं का संग्रह करके पुस्तक का निर्माण किया जाता है।वैसे तो पुस्तक सभी उम्र के लोगों की प्रिय होती है किन्तु कुछ लोगों को प्रिय नहीं होती है।एक समय था जब हम अपने खाली समय में पुस्तकों को सबसे अच्छा मित्र मानते थे। उसमें लिखी कहानियां और कविताएं जीवन के अनमोल पल को जीने का सलीका सिखाती थीं। हम किसी विषय विशेष पर किसी विशेष लेखक की पुस्तक को खोज कर पढ़ते थे। पुस्तकों की पूजा करते थे,सम्मान करते थे। किन्तु आज पुस्तकों की पूजा,सम्मान तो दूर उसे रद्दी समझने लगे हैं।बच्चे पुस्तक पढ़ना सिर पर लादा हुआ बोझ समझने लगे हैं।
समय तो ऐसा चल रहा है कि लोग इंटरनेट से अपना उद्देश्य पूरा करने में लगे हैं, पुस्तकों से विमुख होते जा रहे हैं।हमें इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए पुस्तकों का खोया सम्मान वापस लाना चाहिए, उसे रद्दी नहीं बल्कि जीवन का आधार बनाना चाहिए।