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Sagar Bhalekar

Drama Tragedy Others

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Sagar Bhalekar

Drama Tragedy Others

परिवार

परिवार

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 ये एक गांव की कहानी है जहाँ एक मध्यम वर्ग का परिवार राहता था। उस परिवार में एक छोटा बच्चा और उसके माता -पिता रहते थे। बच्चा उनके माता-पिता की इकलौती संतान थी। वे चाहते थे की मेरा बच्चा बड़ा हो कर जिंदगी में कुछ अच्छा बने। इसलिये उन्होंने उसकी पढ़ाई एक अच्छे विद्यालय में करवा दी। बच्चा जैसे आगे बढ़ता गया वैसे वो बहुत ही होशियार होने लगा। माताजी और पिताजी के पास खेती के अलावा जीने का दुसरा साधन नहीं था। उन्होंने अपने बच्चे को आगे की शिक्षा दिलाने के लिये दिन रात एक करके खेत में काम किया। कहते है माँ-बाप अपने बच्चे के लिये कुछ भी कर सकते है वे खुद को ना देखकर अपने बच्चे के भविष्य के लिए लड़ते है। पर हुआ ऐसा बच्चा गांव से बाहर पढ़ाई के लिये गया तभी उसको गन्दी आदत लगना चालू हो गई। माताजी और पिताजी बहुत ही मुश्किल से उसके पास पैसे भिजवाते थे लेकिन वो किसी और काम में वो पैसें खर्च करता था। इतना पढ़ के उसे बहुत अच्छी नौकरी लगी। उसने जल्दी ही अपना खुद का मकान लिया। घर पर माँ - बाप को बिना बतायें अपना अधिकार अपनाने लगा। वह अपने माँ - बाप को भूल गया कोई फोन या किस के साथ भी उसने संबंध रखे नहीं। माँ-बाप हर दिन उसके समाचार का इंतजार करते थे लेकिन बहुत दिन होने के बावजूद भी उसकी किसी भी प्रकार की सूचना उन तक नहीं पहुँच पाती। अपने माँ-बाप को बिना बतायें उसने शादी भी कर डाली। ऐसा माना जाता है कोई भी जिंदगी में शुभ कार्य करो लेकिन अपने माँ-बाप को जरूर याद करो। क्योंकि अपने सफलता के पीछे उनका ही राज छुपा हुआ रहता है। कहीं मजबूर होना पड़ा था तो कहीं मजबूत पर अपनी औलाद के लिये हर कदम जरूरी था। उसके माँ-बाप की तबीयत बहुत ही बिगड़ गयी क्योंकि उनके पास अपनी खुद की औलाद नहीं थी। उन्होंने अपने बच्चे के पढ़ाई के लिये अपना खेत भी बिक दिया। 

     दिन पे दिन गुजर गये उनको मांग मांग कर खाना खाना पड़ा। इतनी मेहनत करने के बावजूद अपनी औलाद को उसके मंजिल तक पहुँचाने का गुनाह किया था क्या उसके माँ -बाप ने। किसी ने उसके माँ-बाप की फोटो खिची और उनके बेटे को दिखाई और कहा भाई तू पैसे के उजाले में अपने खुद के माँ-बाप को भूल गया। बच्चा शांति से खड़ा रहा और बोला वो मेरे माँ-बाप नहीं है। भले उसने अपने माँ-बाप के साथ कैसा भी व्यवहार किया लेकिन माँ-बाप कभी भी अपने औलाद को मरा हुआ नहीं समझते। समय निकलता गया, एक दिन अचानक बूढ़े माँ-बाप को किसी ने बताया आपके बेटे के पूरे परिवार की एक कार दुर्घटना में मौत हो गयी। उस वक्त माँ-बाप दोनों जैसे टूट से गये। अपने बेटे की सामने अर्थी को देखकर माँ-बाप ने तभी उसे बेटा कहकर ही पुकारा। उन्होंने उस समय एक बात कही, मुर्दा भी मेरे घर आया तो भी मैं मरने से पहले उसका चेहरा देखूँगी। अपने बेटे का शव देखने के बाद उस बूढ़े माँ -बाप को अचानक हार्ट-अटॅक आ गया। और उन दोनों माँ-बाप की वही पर मृत्यु हो गई। 

"कभी भी आप कितने भी ऊंचे क्यों न हो जाए लेकिन अपने माँ-बाप को गलती से भी कभी भुलाना नहीं। क्योंकि आप जितना उनको चाहते नहीं उतना वो आपको चाहते है। 

माँ-बाप का रूप ये भगवान का होता है जो दिमाग में नहीं दिल में बैठता है। आप उनको याद करो या ना करो वो जरूर आपको याद करेंगे।   


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