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Preeti Sawant

Tragedy

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Preeti Sawant

Tragedy

परिवार - हम सब एक हैं

परिवार - हम सब एक हैं

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विमला का परिवार एक खुशहाल परिवार था। उसके पिताजी बैंक मे नौकरी किया करते थे और उसकी माँ हाऊसवाईफ थी। विमला ऊनकी एकलौती संतान थी। विमला पढाई-लिखाई मे भी अव्वल थी। उसने हाली मे ग्रॅजुएशन पुरा किया था और वो एक अच्छी नौकरी की तलाश मे थी। कई जगह उसने नौकरी के लिये आवेदन पत्र भेजे थे । आज उसको एक जगह से बुलावा आया था।

"माँ तुमने मेरी फाइल कही देखी कया ? मिल नही रही है। मुझे इंटरव्ह्यु मे जाने मे देरी हो रही है। उसे धूंडने मे मेरी मदद करदो ना। " , विमला बोली.

"कया विमला शादी की उमर हो गई फिर भी हर चीज के लिये तुम्हे माँ ही लगती है । कब बडी होगी तुम। ", ऐसा कहकर आखीर माँ को ही वो फाइल मिली। वो फाइल लेकर विमला इंटरव्ह्यु देने चली गयी।

इंटरव्ह्यु तो अच्छा था । पर फिर भी उन्होने दो दिन मे फोन करके बताएंगे ऐसे कहा. विमला घर लौट आई। आज उसकी सहेली सुशीला मायके आनेवाली थी । इसलिये विमला सुशीला से मिलने उसके घर गयी। सुशीला की शादी होके दो महीने गुजर गये थे।

यहाँ घर मे जब विमला के पिता बँक से घर लौटे। तब माँ ने ऊनकी और देखते हुए कहा, "अजी सुनिये मुझे आपसे बात करनी है। "

"हाँ बोलो कया बात है", विमला के पिताजीने कहा.

"हमारी बेटी शादी लायक हो गयी है। उसके लिये लडका देखना शूरू करना चाहिये । बेटी की पढाई-लिखाई तक ठीक था । पर अब नौकरी?"

विमला की माँ की बात को बीच मे ही तोडते हुए विमला के पिताजी बोले, "सुमती, मुझे तुम्हारी चिंता समझ आ रही है। वैसे भी मैने एक-दो जगह बात चलाई है । देखते है कहा बात बनती है । एक बार ऊनकी तरफ से बुलावा आजाए तब ही तो बात आगे बढेगी। अब ऐसेही देखती रहोगी या चाय-पानी भी दोगी मुझे|" ऐसा कहकर वे हंसने लगे.

सुशीला अब पहलेसे ज़्यादा सुंदर दिखने लगी थी । विमला को देखकर वो फुली नही समाई । उसे विमला से बहोत सारी बाते करनी थी। इसलीये वे दोनो सुशीला के कमरे मे चली गयी।

"सुशी कैसे है हमारे जिजाजी । कही तुम्हे जादा परेशान तो नही करते|" विमला ने कोनी मरते हुए सुशीला से पूछा| ऐसे कहते ही सुशीला शरमा गई।

"विमू तुम्हारे जिजाजी बहोत अच्छे है । मेरा बहोत खयाल रखते है । मेरे ससुराल मे हर चीज के लिये नौकर है । इसलीये कूछ काम ही नही रेहता । बस दिनभर घरमे बैठे बैठे बोर हो जाती हू। तुम्हारे जिजाजी कूछ दिन के लिये कामसे बाहर गये है । पंधरा दिन बाद लौटेंगे । इसलीये उन्होने ही कहा की, मेरे आनेसे पेहले तुम मायके हो आओ। " फिर बहोत देर तक सुशीला उसके ससुराल के गुणगान विमला को सुना रही थी।

कूछ दिन बाद..

विमला उदास बैठी थी । तब उसके पिताजी उसके पास आकर बैठ गये और पूछा, "कया हुआ मेरी बिटीया राणी को? ऐसी उदास क्यों बैठी हो"

"देखिये ना पापा, मै एक जगह इंटरव्ह्यु पे गई थी । सब सवाल के जवाब मैने सही दिये। फिर भी मेरा सिलेक्शन नही हूआ। " विमला बोली.

"तो कया हुआ आज सिलेक्ट नही हुई तो, कल जरूर होगी। विमला बेटा मे तुम्हारे सपने समजता हू। पर.." ये कहकर वे रुक गये|

"पर कया पिताजी" विमला ने पूछा.

"देखो बेटा सही उमर मे शादी होना बहोत जरूरी होता है। तुम शादी के बाद भी तो अपने सपने पुरे कर सकती हो। आज शाम को एक लडका तूम्हे देखने आ रहा है । लडका बहोत सुशील है । उसक नाम सुमेर है। उसके घरमे माता-पिता और सुमेर इतने ही लोग रहते है। एक बडा भाई है । पर उसकी शादी हो चुकी है और वो अलग रहता है । लडकेने तुम्हारी फोटो देखके हा करदी है। लेकिन उसे तुमसे मिलकर बात करनी है। " ऐसा कहकर पिताजी ऊनके काम मे लग गये।

विमला को कूछ समझ नही आ रहा था । उसे इतनी जलदी घर गृहस्थी मे नही पडना था । पर वो कुछ ना कह पायी । शामको सुमेर और उसके माता-पिता विमला को देखने आये । विमला को खाना बनाना नही आता था । कयूकी पढाई के कारण उसे सिखने वक्त ही नही मिला था । पर सुमेर के घरवाले बहोत खुश थे की, इतनी पढी-लिखी होनहार बहू वे घर लाएंगे।

सुमेरने विमला के पिताजी से अनुमति मांगी की, उसे विमला से अकेले मे कूछ बात करनी है । विमला के पिता खुशी खुशी मान गये।

विमला सुमेर को घरके बरामदे मे लेके आयी। पेहले बात करने के लिये दोनो भी हीचकीचा रहे थे । पर फिर सुमेरने बात करना शूरू किया, "देखो विमला मुझे तुम पसंद हो। मुझे जैसे जीवनसाथी की तलाश थी तुम वैसे ही हो । अगर तुम्हे भी मे पसंद हू तो ही ये बात आगे बढेगी। कयूकी मेरे लिये तुम्हारी हा बेहत जरूरी है । हमे पुरी जिंदगी एक साथ गुजारनी है। मेरे घरमे मै और मेरे माता-पिता बस इतनाही मेरा परिवार है । एक बडा भाई है पर वो हमारे साथ नही रहता । बस शादी के बाद तुम्हे अगर नौकरी करनी है तो भी तुम कर सकती हो। मुझे कोई परेशानी नही । बस तुम मेरे माता- पिता का खयाल रखना। बस मुझे और कूछ नही चाहिये|"

इतना कहकर सुमेर बाहर चला गया। विमला सुमेर को देखते ही रह गयी। वे लोग चले गये । विमला ने रातभर इसबारे मे सोचा। उसने सुबह होते ही सुशीला को ये बात बतायी। सुमेर का फोटो भी दिखाया। सुशीला ने तो विमला को फॉरन हा कहने को कहा । उसका कहना था, "आजकल के लडके कभी भी लडकी की राय लेते नही है । पर इसने तुम्हे सामने से पूछा है । यह कोई छोटी बात नही और वो तुझे तेरे सपने भी जीने देगा । तो तुझे और कया चाहिये। "

विमला ने भी अपने सहेली की बात पर गौर किया और फॉरन अपने पिताजी के पास गयी और कहा, "पिताजी मुझे सुमेर पसंद है । आप उनके घरवालोसे आगे की बातचीत किजिए। " यह कहकर वो शरमाके वहासे भाग गयी । उसके पिताजी बहोत खुश हुए । फिर उन्होने सुमेर के घरवालोंसे बातचीत करके शादी के लिये एक अच्छा सा महुरत निकलवाया और कूछ ही दिनो मे विमला की शादी होकर वे ससुराल चली गयी|

विमला का बहोत खुशिसे उसके नये घरमे स्वागत हूआ। शादी के बाद सुमेर के साथ वह कुछ दिनो के लिये मनाली घुमने चली गयी। सुमेर सचमे बहुत अच्छा लडका था । इन कूछ दिनो मे वो सुमेर को नजदीक से जान सकी|

एक रात वे दोनो ऐसेही बात कर रहे थे तब सुमेर के भाई की बात निकलते ही सुमेर की आंखे भर आयी। सुमेरने कहा, "वीमू, हमारा घर एक खुशहाल परिवार था । भाई तो मेरा सबकुछ था। उसकी शादी भी धुमधडाके साथ हुई। भाभी भी बहोत अच्छी थी । वो हम सब का खयाल रखती थी । माँ और पिताजी तो तारीफ करके थकते नही थे भाभी की । पर पता नही कया बात हुई की एकदिन सारा सामान भरकर भैय्या भाभी घर छोडके हमेशा के लिये चले गये । भाभी नही जाना चाहती थी । पर भैय्या ने ऊनकी एक न सुनी । उसके बात मानो भैय्या ने सारे रिश्ते ही तोड दिये हमसे। मैने कई बार भैय्या से बात करनेकी कोशिश की। पर उन्होने एक बार भी जवाब नही दिया । अब वे हमारे ही बाजुके बिल्डिंग मे रहते है । आते जाते दिखते भी है । पर ऐसे जैसे कोई अजनबी हो। "

विमला ने सुमेर को गले लगाया और मन मे ठान ली की, इस् घर को मे एक करके ही रहुंगी। कूछ दिन बाद सुमेर और विमला घर वापस लौट आये। एक दिन विमला ने उसकी सास को सुमेर की बचपन की फोटो दीखाने की जिद की, उसीमे उसे सुमेर के भैय्या और भाभी की तसवीर भी मिल गयी। विमला उस जगह पे नई होने के कारण वहा उसे कोई पहचनता नही था। इसिका फायदा उठाके एक दिन वे सुमेर के भैय्या के घर गयी । भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होने आप कौन ऐसे पूछा ?

तब विमलाने उसका पुरा नाम बताया। भाभी ये सूनके फुली नही समायी। उसने विमला को गले लगाया। विमला जान बुझकर भैय्या के जानेके बाद घर आई थी। भाभी तो विमला की तारीफ करते थक ही नही रही थी । तब विमलाने भाभी से घर चलने की बात की, तो भाभी की आंखे भर आयी।

तब विमला बोली, " भाभी सुमेरने मुझे सबकुछ बता दिया है । ऐसी कया बात है भाभी की आप वापीस घर नही लौट सकती। ऐसा कया हूआ है|"

भाभी ने कहा, "कया बताऊ तुम्हे विमला यहा मेरा दम घुटता है । पर पैसे की चकाचोंदने इन्हे अंधा कर दिया है । कई दिनसे इनके प्रमोशन की बाते चल रही थी और इनका प्रमोशन भी हुआ । मे बहोत खूश थी । इनकी तनख्वा डबल हो गयी थी । ये खुशखबरी मे माँ-बाबूजी को देने जा रही थी । तो इन्होने मुझे रोक लिया । कहा ये बात अब किसी को मत बताना, मे सबको बताउंगा। मैने ऊनकी बात मानली । लेकिन कई दिन गुजर गये फिरभी ये चुप थे। एक दिन रात को मुझे बोले, "कमला हमे कल ही नये घर मी शिफ्ट होना है । मेरे बॉस ने मेरे काम से खुश होकर मुझे कंपनी का पार्टनर बना दिया है । पर वहा सिर्फ हम दोनो ही जाएंगे। माँ-बाबूजी और सुमेर नही। कयू, किसलीए अब मुझे मत पुछना। घर पे भी कूछ बता ने की जरूरत नही।  हमने बिना किसीको कुछ कहे हमारा घर छोड दिया। बाद मे हम नये घरमे शिफ्ट हुए । बहोत बडा बंगला था वह । लेकिन एक ही साल मे हम रस्ते पे आ गये । कंपनी दरअसल घाटे मे थी और इनके बॉस ने ये बात इनसे छुपा कर रखी । दुसरी नौकरी मिलने तक कूछ दिन हम इनके दोस्त के घर रहे । फिर मेरे कूछ गहने और सेविंग्स थी और थोडा इन्होने लोन निकाला तब जाके हमने ये घर लिया। मैने कई बार इनसे घर वापस जाने की बात की पर इन्होने बात को टाल दिया । अब इस् घर को फिर से एक तुम ही कर सकती हो विमला|", ऐसा कहकर भाभी रोने लग गयी।

विमला ने उन्हे चुप कराया । उतनेमे दरवाजेकी बेल बजी । भाभी ने दरवाजा खोला तो सामने भैय्या थे । भैय्या ने विमला को देखा पर उन्हे यह नही पता था की, वे सुमेर की बिवी थी। भैय्या ऊनके कमरे मे जा ही रहे थे की, विमला ने उन को आवाज लगाई और कहा, "भैय्या मैं विमला, आपके भाई सुमेर की बिवी। मैं आपको और भाभी को लेने आई हू । आप दोनो के बिना वो घर सुना है । सुमेर, माँ और पिताजी हमेशा आपकी याद निकालते है और आपकी राह देख रहे है। सुमेर तो आपकी याद आते ही रोने लगता है । आप दोनो के बिना उस घर मे कोई खुश नही है। अपनोके लीये घरमे वापस आ जाइये भैय्या।मैं हाथ जोडती हू|" ऐसे कहकर विमला भैय्या के पैरो मे गिर गयी । भैय्या की आंखोसे आसू टपकने लगे। उन्होने विमला को उठाया और भाभी से बोले, "चलो कमल सामान बांधो, हमे अपने घर लौटना है। "

ये सुनकर विमला और भाभी खुशी से झूम ऊठी। विमला ने घर पर झूट बोला था की, वो आपने किसी सहेली के घर गयी है । शाम को वो वापस आयी । तब सुमेर कुछ पुछने ही वाला था की, विमला के साथ आये भैय्या भाभी को देखकर वो चौक गया और भाग के उसने उसके भैय्या को गाले लगा लिया। भाभी के पैर छूए। माँ और पिताजी तो बस रोते ही जा रहे थे । आज विमला की वजह उसका ससुराल फिर से खिलखिला उठा| 

और फिर सबने कहा, "हम सब एक है। "


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