STORYMIRROR

Preeti Sawant

Inspirational Others

2  

Preeti Sawant

Inspirational Others

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ !!

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ !!

3 mins
104

बहुत साल पहले की बात है। सरला और भुवन नामक भाई-बहन अपने माता पिता के साथ रामपूर नामक छोटे से गांव में रेहते थे। उनके पिताजी किसान थे और माँ के घर के काम के साथ सरला और भुवन के पिताजी का खेतीबाड़ी में हाथ बटाती थी। उनका गांव बहुत छोटा था। इसलिये उनके गांव में स्कूल, अस्पताल किसी की भी सुविधा नहीं थी। हर चीज के लिये उन्हें २ मील चलकर बगल के गांव में जाना पड़ता था।

सरला और भुवन स्कूल में साथ साथ जाते थे और साथ साथ आते थे। रास्ते में सरला हमेशा यही सोचती रेहती थी की, हमारे भी गांव में बगल के गांव जैसी सारी सुविधाएं आ जाती तो कितना अच्छा होता।

एक दिन रात को घर में सब खाना खा रहे थे। तब सरला ने उसके पिताजी से कहा, "पिताजी हमारे गांव में स्कूल कब शुरू होगा। हर चीज के लिये हमें दूसरे गांव क्यूँ जाना पड़ता है।"

तब पिताजी बोले, "सरला बेटी, हमारे गांव में सिर्फ ७-८ घर है और सब खेतीबाड़ी करने वाले किसान है। हममें से कोई भी जादा पढ़ा लिखा नहीं है और बरसों से यही चलते आया है। इसलिये कोई इसे बदल नहीं पाया। मुझे पढ़ने लिखने नहीं मिला इसलिये मैंने तुम दोनों को स्कूल में भरती करवाया क्यूँकी तुम दोनों अच्छे से पढ़ लिख सको। इस गांव में कैसे सुधार लाया जा सकता है। यह अब तुम ही सोचो। कोई मदद चाहिये हो तो मैं हूँ ही।"

पिताजी की बात सुनकर सरला सोच में पड़ गयी। उसने भुवन को साथ ले के पहले अपने मास्टर जी से बात की। मास्टर जी ने भी उनकी सहायता करने के लिये हाँ कर दी।

मास्टर जी के कहे अनुसार सरला और भुवन ने गांव के सारे बच्चों को एकठ्ठा किया। गांव में पूरे २१ बच्चे थे। उनमें से सिर्फ १५ बच्चे ही स्कूल जाते थे। उनमें से जादा तर लड़के ही थे। लड़कियों को घर का कामकाज करना पड़ता था। इसलिये वे स्कूल नहीं जा सकती थी। 

सरला की एक सहेली थी। सुमती नाम की। वह भी पढ़ना चाहती थी। पर स्कूल दूसरे गांव में होने की वजह से वह पढ़ नहीं पा रही थी। तो और कुछ सहेलियाँ थी उन को पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं थी।

सरला ने सबकी बात सुनकर दूसरे दिन मास्टर जी को बतायी। मास्टर जी ने जैसे कहा था वैसे ही सरला ने सब बच्चों के नाम उनकी उमर के साथ एक कागज पर लिखकर लाए थे। वह कागज सरला ने मास्टर जी को दे दिया।

दो दिन बाद मास्टर जी खुद सरला के गांव आ गये। उन्होंने सब घर में जा के हर एक से बात की। जिन लड़कियों के माँ और पिताजी उनके घर की लड़कियों को पढ़ने भेज नहीं रहे थे। वे सब मास्टरजी के समझाने पर तैयार हो गये।

फिर वे अखिर में सरला के घर आ गये। उन्होंने सरला के पिताजी से कहा, "आपकी बेटी बहुत होशियार है। उसके विचार भी बहुत अच्छे है। आज उसी की वजह से इस गांव पर सरकार का ध्यान गया है। सरकार ने किसानों के बच्चों को पढ़ने लिये अलग अलग सुविधाएँ शुरू की है। उनकी वजह से अब यहाँ सरकारी स्कूल जलद से जलद बनेगा। और फिर किसी भी बच्चे को पढ़ने के लिये दूसरे गांव नहीं जाना पड़ेगा। और इस गांव की हर एक लड़की पढ़ी लिखी होगी। उनकी एक पढ़ी लिखी लड़की पूरे परिवार की शिक्षित करती है।"

सरला के माँ पिताजी बहुत खुश हो गये। उनको सरला पर बहुत गर्व महसूस हुआ। थोड़े दिन बाद उस गांव का इन्स्पेक्शन हुआ और फिर गांव में स्कूल बनने की तैयारी शुरू हो गयी।

गांव के सभी बच्चे बहुत खुश थे। अब उनको २ मैल चलकर स्कूल जाना नहीं पडनेवाला था।

इसलिये कहते है ना "बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ।"

~समाप्त~



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational