raju pokharnikar

Inspirational

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raju pokharnikar

Inspirational

प्रेरणादायक संदेश

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हर एक घर में दो या दो से अधिक भाई बहन रहते थे। परिवार बहुत ही बड़ा हुआ करता था। सारे सदस्य एक छत के नीचे एक घर में सुख शांति से रहते थे। कमाने वाला केवल एक सदस्य हुआ करता था, वह थे पिता। खाने वाले ज़्यादा और कमाने वाला सिर्फ एक व्यक्ति। पूरी पगार को बड़े ही सावधानी पूर्वक खर्च किया जाता था। इसी कारण कोई भी चीज़ हासिल करनी हो तो इतनी आसानी से नहीं मिलती थी। बड़े भाई के कपड़े, किताबें छोटे भाई को मिलती थे। सिर्फ त्योहारों के अवसर पर मीठी चीजे ही बनती थी। हर महीने के 1 तारीख को मिठाई और नमकीन मिलती थी। साइक्लि तो कॉलेज जाने के बाद ही मिलती थी। अगर हमें कोई चीज़ चाहिए होती तो तनख़्वाह तक रुकने के लिए कहा जाता, किन्तु आज की परिस्थिति ऐसी नहीं है। 

आजकाल बच्चों को जो चीज़ चाहिए वह तुरंत उपलब्ध होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि आज छोटा परिवार है। आजकल बहुतांश घरों में केवल एक ही संतान है। आजकल बच्चों को उनकी मनचाही चीजे बड़ी आसानी से उपलब्ध होती है। इसका केवल एक ही कारण है कि माता-पिता का अपने बच्चों पर रहने वाला अंधा प्रेम। माता पिता ने अपने बच्चों पर प्रेम ज़रूर करना चाहिए किन्तु उसके साथ-साथ अति लाड़ प्यार किया जाता है | बच्चें जिस चीज़ की माँग करते है या हट्ट केरते है वे उसे तुरंत लाकर देते है। इससे यह होता है बच्चों की अपेक्षा दिन ब दिन बढ़ने लगती है और बेमालूम बच्चों के दिलमे यह भावना निर्माण करते है कि उन्हें कोई भी चीज़ अगर चाहिए तो उनके माता-पिता इंकार नहीं करेंगे।

छोटी-सी उम्र में अभिभावक को आवश्यकता है कि वे बच्चों को अपनी घरेलू परिस्थितियों से एहसास करा दें। कोई भी वस्तु लेने से पहले उसकी कहाँ तक आवश्यकता है। उस वस्तु को कब तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है, इसका भी एहसास कराना बहुत ही आवश्यकता है। वरना बच्चों को पैसे की एहमियत मालूम नहीं होगी और वे आगे जाकर बेवजह फिजूल खर्चा करने लगते है।

अगर बच्चें गलती कर ही दे तो उन्हें उनकी गलतियों से अवगत करा दें। उस जगह उस समय अगर हम उनका लाड़-प्यार करते है तो बच्चों को फौरन गलत लत की आदत पड जाती है और वे दिन-ब-दिन और भी बिघडने लगते है। अभिभावक बच्चों के मर्जी नुसार नहीं चलना चाहिए। अगर कहीं बाहर घूमने जाना हो तो अभिभावक बच्चों से आवश्य पूछे, किन्तु बच्चों के हाँ में हाँ न मिलाये। ऐसा करने से बच्चों के मन में यह भावना उत्पन्न हो जाती है कि हमारे माता-पिता हमारे किसी भी बात को इंकार नहीं करते। और यही एक वजह है कि बच्चों को किसी और से इंकार सुनना मुश्किल हो जाता है | वे अधिकाधिक बिघड़ने लगते है और घर में वे अपना हुकुम चलाते है।

ज़्यादातर समय में ऐसा देखा है कि घर के बच्चों को सबेरे देर तक सोने की आदत होती है, उन्हे एक शब्द भी बोला नहीं जाता। बचपन से ही उन्हे देर तक सोने दिया जाता है और आगे जाकर वह एक आदत बन जाती है। बच्चों को सबेरे जल्दी उठने की आदत डालने की पूरी ज़िम्मेदारी माता-पिता की है। और वे अपने बच्चों को समय का नियोजन, समय की कीमत आदि पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिए। किन्तु हम इसका ज्यादा विचार न करते हुए यह सोचते है कि छुट्टी का दिन है, बच्चे अगर देर से उठेंगे तो इसे क्या हर्ज है, यह सोचकर हम अपने बच्चों को देर से उठने कि अनुमति देते है और बाद में वही बच्चों कि आदत बन जाती है। इस प्रकार हम खुद ही बच्चों का लाड़ प्यार करने लगते है। अगर इसे वक़्त से पहले रोका नहीं गया तो इसका भविष्य में इसका प्रमाण बढ़ता ही जाएगा। अगर हमारे घर के लिए कोई वस्तु खरीदना हो तो हम सरासर न सोचकर केवल बच्चों की फरमाईश समझकर खरीदते है। किन्तु ऐसे ही लाड़ प्यार करने की वजह से हम जो वस्तु की मान करेंगे, हमें कोई भी इंकार नहीं करेगा, ना नहीं कहेगा इस प्रकार की भावना बच्चों के मन में निर्माण होती है और ऐसी भावना बहुत ही घटक होती है क्यों कि हमारे अधिक लाड़ प्यार से बच्चों में ना सुनने कि आदत नहीं रहती।

किन्तु समाज में रहते समय आगे भविष्य में अनेक जगहों से बच्चों के कहने पर इंकार आ सकता है। लेकिन यही इंकार को पचाने की ताकत बच्चों में ना के बराबर होने के कारण बच्चों का भविष्य उदवस्त हो सकता है।

इस कटु सत्य को ध्यान में रकते हुए अभिभावकों ने अपने बच्चों से प्यार आवश्य करना चाहिए किन्तु अधिक लाड़ प्यार न करें। 


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