प्रदूषण - विकास के नाम अभिशाप
प्रदूषण - विकास के नाम अभिशाप


वैसे तो इस विषय पर अनगिनत लेख और कविताएं उपलब्ध है I समाचार पत्र और दूरदर्शन पर समाचार आते रहते है , जो प्रदूषण के बारे में जानकारी के अलावा उसके बढ़ते स्तर के बारे में भी बताते है I स्कूल के पाठ्यक्रम में भी हमें अनेक कविताएं और पाठ मिल जाएंगे I
मैं इस विषय में जानकारी नहीं देना चाहती आप जानते है क्या है प्रदुषण और क्या है इसके दुष्प्रभाव ? बस मैं इस विषय पर क्या सोचती हूँ बस वो ही बताना चाहती हूँ मुझे लगता है लिखने से, बच्चों को पढ़ाने से , चिंता जताने से कुछ नहीं होगा अमल ही करना होगा I बड़े बड़े न सही छोटे से शुरुवात करनी होगी I मुझे इस प्रदुषण का मुख्य कारण लालच लगता है I इंसानी लालच धरती पर भारी पड़ रहा है I
ज़यादा पुरानी नहीं आज कल की ही बात है कोरोना से निपटने के लिए लोग आगे आए भारतीय संस्कृति की झलक दुनिया ने देखी I हर कोई सेवा में जुटा है कोई देश में भूखा न रहे, खाना बना कर लोगो की भूख मिटा रहे हैं I पर विडंबना ये हैं कि इस बीच हम पर्यावण के बारे में सोचना भूल गए, दिया जाने वाला खाना प्लास्टिक के लिफाफे में दिया गया या फिर एल्युमीनियम के डिब्बों में दिया गया प्लास्टिक का इस्तेमाल ज़बरदस्त तरीके हुआ I अगर कोरोना ख़तम हुआ तो फिर से हमें प्लास्टिक कि समस्या का सामना करना पड़ेगा , फिर से प्लास्टिक से निपटने के लिए अभियान चलाना पड़ेगा I
मैंने सुना है, विदेशो में नई किताबों को खरीदने पर ज़ोर नहीं देते जो विद्यार्थी अगली कक्षा में जाते हैं, उनकी पुरनी किताबें उसी कक्षा में आने वाले नए विद्यार्थयों को दे दी जाती हैं ताकि नई पुस्तकें बनाने के लिए पेड़ों का कटाव कम से कम हो I काश! ऐसा हमारे देश में भी होता ताकि माता- पिता पर भी बच्चों की किताबें खरीदने का अतिरिक्त बोझ न पड़े, और पर्यवरण को भी बचाया जा सकेI आज कल जैसे हर काम हम डिजिटल कर रहे हैं तो पुस्तकों को भी डिजिटल किया जा सकता हैं I
पवित्र नदियों पर जुड़े नालों को एक स्थान पर रोक कर उनके पानी को बड़े बड़े फ़िल्टर प्लांट्स के द्वारा फ़िल्टर कर खेतो में पहुंचाया जाए और बेकार बचे कचरे को खाद के में रूप उपयोग किया जा सकता हैंI इसके अलावा नदियों की सुरक्षा का जिम्मा निजी कंपनियों को दे देना चाहिए , जो वहां आस - पास रहने वाले लोगो को नदियों पर आने वाले लोगो पर नज़र रखे और उन्हें नदियों में कचरा न फेंकने देI इससे नदियाँ तो साफ़ रहेंगी ही साथ ही लोगो को रोज़गार भी मिलेगा बदले में निजी कंपनियों को टैक्स में कुछ रियायत दी जा रही हैं I
ये कुछ विचार हैं जो मेरे मन में अक्सर आते हैं कि शुरुवात कि जाए क्योंकि हर लम्बे सफर कि शुरुवात छोटे कदम से ही होती हैं I