Anubhav Mishra

Drama

3  

Anubhav Mishra

Drama

पहला दिन

पहला दिन

2 mins
144


पवो इंजिनीरिंग ही क्या जिसमे बैक न लगे"रवि भैया ने राहुल को सांत्वना देते हुए कहा,"तू डर मत आराम से होस्टल जा और अगले सेमेस्टर की तैयारी कर"इतना कहकर रवि भैया चल दिए। लेकिन राहुल को इनसब चीज़ों से कहा फ़र्क़ पड़ने वाला था,वो तो हैरान परेशान सा घूम रहा था। 1 सेमेस्टर खत्म हो गया था, पर कॉलेज उसे आज भी अपना सा नही लगता था। जैसा उसने सोचा था उससे बिल्कुल विपरीत था ये कॉलेज,अब उसे स्कूल की वो पाबंदिया अछि लगने लगी थी ,वो बात बात पे रोक टोक जिससे वो चिढ़ता था अब उसका ना होना उसे खल रहा था।

"पहले क्या समस्याएं कम थी जो अब ये और आ गई" सोचता हुआ राहुल कमरे की ओर चल दिया। अगले दिन राहुल क्लास से बाहर एक टक देख रहा था,और सोच रहा था कि कॉलेज छोड़ के वापस गांव चला जाए। पिताजी की कुछ मदद ही हो जाएगी और जो अगले 3 साल के पैसे बचेंगे सो अलग। "गुरुजी, नज़ारे देख लिए हो तो यहा भी ध्यान दे लीजिये"मास्टरजी की रोबदार आवाज़ से राहुल अपनी दुनिया से बाहर आया। "

नहीं सर वो"राहुल डरता हुआ बोला। "बाहर ही चले जाइए, क्या पता अगले सेमेस्टर में पास ही हो जाय" मास्टरजी ने तंज कसा जो राहुल को निशब्द कर गया और राहुल चुप चाप गार्डन में जाके बैठ गया। उदास बैठा राहुल पड़ो को निहार ही रहा था कि तभी उसने सामने से एक लड़की को फंफनाते हुए आते देखा जो आके राहुल के पास वाले पेड़ के नीचे बैठ गई। गेहुंआ रंग,गहरी आंखे,गुलाबी गाल और बिखरे हुए बाल लिए वो कन्या राहुल के पास बैठी थी। "अबे ये तो वैसी ही है जैसी पंडित जी ने माँ को बताई थी,पंडित जी दक्षिणा ज़रूर ज्यादा लेते थे पर बातें सटीक बताते थे"राहुल मन ही मन कह रहा था । वह लड़की कुछ देर बाद चली गयी।

"पिताजी को ज्यादा जरूरत कहा है मेरी ? भैया है तो वह पे ,और पिताजी भी तो यही चाहते है कि मैं इंजीनियर बनू"राहुल अपने ही मन को समझा रहा था। अब यही कॉलेज उसे अच्छा लगने लगा था ,उन्ही मास्टरजी पर उसे प्यार आ रहा था। "सही कहा था मास्टरजी ने ,अबसे खूब पढूंगा और ये कॉलेज इतना भी बुरा नहीं"

राहुल के सारे विचार अब यहां रहने के पक्ष में हो गया थे। शायद उसको प्यार हो गया था, कॉलेज से।


Rate this content
Log in

More hindi story from Anubhav Mishra

Similar hindi story from Drama