Sudhir Srivastava

Inspirational

4  

Sudhir Srivastava

Inspirational

निर्णय

निर्णय

4 mins
381


बीते सालों में हंसी ख़ुशी रिश्तों की मर्यादा में बंधा ऋषि अब अपने आपको बेबस पा रहा था।

रीता को पिता जी ने गोद लिया था। रीता के माँ बाप एक छोटे अंतराल में ही दुनिया छोड़ गए थे।

 परिवार में और कोई था नहीं। तो पिता जी ने अपने साथ रख लिया और फिर गोद लेने की औपचारिकता पूरी कर अपनी बेटी का स्थान कानूनी रूप से दे दिया।

ऋषि और रीता को भाई बहन मिल गये। सब कुछ अच्छा चल रहा था। कि पिताजी चल बसे, माँ तो पहले ही जा चुकी थी। ऋषि की तो दुनिया ही उजड़ गई। रीता को भी अपने दुर्भाग्य पर अफसोस हो रहा था।

प्राइवेट नौकरी करने वाला ऋषि अब जैसे तैसे परिवार का गुजारा कर रहा था। तभी एक दिन अचानक रीता ने पूछा लिया कि भैया! ऐसे कैसे सब चल पायेगा? घर का खर्च मेरी पढ़ाई, भाभी की जिम्मेदारी आप कैसे सँभाल सकोगे। फिर कल को मेरी शादी का खर्च।

 देख तू परेशान मत हो। सब हो जायेगा। ईश्वर पर भरोसा रख। ऋषि ने हौसला देते हुए कहा।

नहीं भैया! मैं इस तरह आपको कुढ़ते घुटते नहीं देख सकती। आपकी बहन हूं, तो मुझे तो भाई की चिंता तो होगी न।

मगर हम कर भी क्या सकते हैं बहन। खेती भी अधिक नहीं है। कि उसे बेचकर कुछ धंधा कर लूं। शायद ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहा है।

कोई परीक्षा नहीं ले रहा। आप दोनों जबरदस्ती परीक्षा देने को उतावले हो रहे हो। एक दो साल में मुझे भी नौकरी मिल ही जायेगी। सब ठीक हो जायेगा। वैसे भी जीवन अच्छा सोचने और करने के लिए मिला है। मैं सिलाई करके कुछ न कुछ कमा ही लेती हूँ। गुजारा हो ही जा रहा है। ज्यादा बेचैन होने से तो कुछ होने वाला नहीं है।

.....और ननद जी आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। शादी ब्याह भी समय पर हो जायेगा।अभी इस पर उलझने की जरूरत है। ऋषि की पत्नी रश्मि में नहीं कहा

मगर भाभी! 

अगर मगर छोड़ो। मेहनत से पढ़ लिखकर ऊंचा ओहदा प्राप्त करो। तुम तो एक नहीं दो दो माँ बाप की संतान हो। तुम्हें तो और ऊँचाइयाँ छूनी है। 

नहीं भाभी वो बात नहीं है। मैं सोच रही थी कि मेरे हिस्से की जो जमीन है। क्यों न उसे बेच कर भैया कोई अच्छा सा धंधा कर लें। आखिर जो मेरा है, वो भैया का भी तो है।

तुम्हारे विचार अच्छे हैं। मगर मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं बहन।

मगर क्यों भाई? क्या मैं आपकी बहन नहीं हूं? रीता रुँआसी सी हो गई।

रश्मि ने उसे बाँहों में भरते हुए कहा-ऐसा किसने कहा। मगर आपके नाम पर जो जमीन है, उस पर सिर्फ आपका अधिकार है। हम उसकी एक फूटी कौड़ी भी नहीं ले सकते।

लेकिन क्यों भाभी?

वो इसलिए कि वो तुम्हारे जन्म देने वाले माँ बाप का था, उनके न रहने से तुम्हें मिला है। फिर तुम्हारे चाचा और रिश्तेदार ये सोचने लगेंगे कि हमने तुम्हें बहला फुसलाकर सब कुछ तुमसे छीन लिया।

रीता तैश में आ गयी। किस चाचा और रिश्तेदारों की बात आप कर रही हो, उनकी जिन्होंने पापा का अंतिम संस्कार भी खुद से नहीं किया था। ये पापा ने होते तो शायद मेरे माँ बाप का क्रियाकर्म तक नहीं होता। दोनों की लाशें सड़ जाती। आपको शायद नहीं पता है कि पापा के मरने पर दो दिन तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली। किसी ने मेरे सिर पर हाथ तक नहीं रखा। मैं भूख से बिलबिला रही थी। तब मुझे पापा ने न सिर्फ सहारा दिया बल्कि मेरे माँ बाप का अंतिम संस्कार भी किया। मुझे अपनी बेटी बना लिया। मुझे कानूनी रूप से अपनी बेटी का अधिकार देने के लिए मुझे गोद ले लिया। भैया ने अपनी सगी बहन सा लाड़ प्यार दुलार दिया। 

जबसे आप आई हो, आप तो अपनी बेटी जैसा ध्यान रखती आ रही हो। पापा थे तो सब ठीक ठाक ही चल रहा था। मगर अब हालात बदल गए हैं। तो मेरी भी कुछ जिम्मेदारी तो बनती है न भाभी। या आप दोनों मुझे पराया समझ रहे हैं। या शायद इसीलिए संकोच महसूस कर रहे हैं कि मैं आपकी सगी बहन नहीं हूँ।

इतना सुनते ही ऋषि चीख पड़ा- ये तू क्या अनाप शनाप बोल रही है। यार रश्मि इसे ले जाओ, नहीं तो मेरा हाथ उठ जायेगा।

एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। रश्मि ने ऋषि को समझाया, इतना गुस्सा अच्छा नहीं है। बच्ची है, मगर सब समझती है।

हाथ उठाओ, मारो पीटो, कुछ भी करो भैया। मगर मेरी बात पर विचार करो। जमीन जायदाद हमारे मुश्किल भरे दिनों में भी यदि काम न आयें, तो फायदा क्या है?

ऋषि ने रीता को गले लगा लिया। पगली तू मेरी बहन है। मगर लगता है मेरी मां हो गई है। 

ननद जी हम आपकी बात पर तब विचार जरूर करेंगे, जब हमें कोई और रास्ता नहीं दिखेगा। तब तक आप हमें विवश नहीं करोगी।

मैं आपकी बात मानती हूँ भाभी, मगर सिर्फ तक ही। लेकिन जब मुझे लगेगा की आप दोनों संकोच के कारण मुझे सिर्फ सपने दिखा रहे हो रास्तों का , तो मुझे खुद ये काम करना पड़ेगा। फिर भी आप दोनों नहीं माने तो मैं घर छोड़ कर बहुत दूर चली जाऊंगी।ये मेरा निर्णय है। फिर मत कहना कि मैंने तो आप दोनों को मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।

रश्मि ने रीता को अपनी सीने से लगाकर जोर से भींच लिया,और सिसक पड़ी।

ऋषि भौचक्का सा दोनों को देख रहा था। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational