हम तो बने हैं इक दूजे के लिए ! कौन अलग कर सकता हैं हमें ? हम तो बने हैं इक दूजे के लिए ! कौन अलग कर सकता हैं हमें ?
बार -बार उस वृद्धा के शब्दों के साथ उसका अट्टहास मनमस्तिष्क में गूँज कर उसे बेचैन करने लग बार -बार उस वृद्धा के शब्दों के साथ उसका अट्टहास मनमस्तिष्क में गूँज कर उसे बेचै...
कुछ परिस्थितियों में इंसान कितना विवश हो जाता है कुछ परिस्थितियों में इंसान कितना विवश हो जाता है
कुदरत के आगे सभी विवश हैं। कुदरत के आगे सभी विवश हैं।
उन को पूरा माजरा रात को समझाएगी अभी फोन पर नहीं। उन को पूरा माजरा रात को समझाएगी अभी फोन पर नहीं।
फिर भी कई लोग चिकने घड़े की तरह ही बर्ताव करते हैं। फिर भी कई लोग चिकने घड़े की तरह ही बर्ताव करते हैं।