व्यथा
व्यथा
कल से कुछ पुरानी यादें मन को अशांत किये हुए हैं। पीछे मुड़ देखती हूँ कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें, समय के कितने रंग हैं, जीवन के सफर में कभी धूप तो कभी छाँव। सभी के जीवन में आते हैं... कुछ परिस्थितियों में इंसान कितना विवश हो जाता है। जैसे आजकल का समय.... हर व्यक्ति जूझ रहा है, बच्चे घर में बन्द....जैसे पिजरें में बन्द हो... खेलना, साइकिल चलाना सब बन्द, लड़ाई भी बन्द दोस्तों के साथ... बस भाई बहन की साथ लूडो या कैरम खेलो... उन्ही से लड़ कर दोस्तों की कमी पूरी हो रही।