रिफ्रेशम
रिफ्रेशम


आज दिन की शुरुआत ही गर्मी से हुई, और दिनों से ज्यादा गर्म दिन हैं। अन्मयस्क मन को तो ठीक करना पड़ेगा, न्यूज़ देखना छोड़ दिया।अभी तक हम कोरोना को कम नहीं कर पा रहे, हमारी लापरवाही हमारे लिए खतरनाक है। कैसी विडंबना है जब पर्यावरण स्वच्छ है तो हम घरों में बन्द और जब प्रदूषण था तो हम बाहर घूमते थे... कुदरत के आगे सभी विवश हैं। प्रकृति तो अपनी छटा बिखेरे है, हर तरह के पक्षी मस्त नीले गगन में उड़ रहे ... गलतियों की सजा तो हमें भुगतना ही हैं। जो मन में आता लिखती हूँ यहीं रिफ्रेशमेन्ट रह गया हैं ।