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निज प्रेम

निज प्रेम

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समीरा ने संकेतों की भाषा सीखी थी। उसने मन ही मन सोचा कि जो भी तलाक के बाद मेंटेनेन्स के रूपये मिले हैं वह ऐसे लोगों के लिए स्कूल खोलेगी और उन्हें जीवन प्रेरणा देकर उनकी वाणी बनेगी। उन्हें जीवन से प्यार करना सिखा देगी। तभी उसे एक ट्रक पर लिखी पंक्तियाँ याद आती हैं - "निस्वार्थ भाव से निःसहाय लोगों की सेवा करना ही निज प्रेम है।"

'यही तो था मेरा पहला प्यार, जिसे मैं भूल गयी थी' समीरा बुदबुदाई।

'तुम अब यहीं रहना' बिजली ने इशारों में पूछा।

'ह्म्म्म' समीरा ने मुस्कुराते हुए कहा। सब के चेहरों पर खुशी झलक रही थी।


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