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नीम दोस्त

नीम दोस्त

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पर्यावरण दिवस आने वाला है, सबको पौधे लगाने चाहिए, एक पेड़ काटो तो दस पौधे लगाने चाहिए, काम में आने वाले, स्वास्थ्य ठीक रखने वाले पौधे लगाने चाहिए, रोज विद्यालय में प्रार्थना से पहले यह बताया जाता था। सुनते-सुनते चीनू ने भी मन ही मन ये सोच लिया कि वो पापा के साथ बाजार जाकर नीम का पौधा लायेगा और अपने घर में लगायेगा।

दो दिन पहले ही चीनू पापा के साथ नर्सरी से नीम का पौधा ले आया। अपनी मम्मी-पापा के साथ मिल कर उसने पौधा अपने घर के एक कोने में लगा दिया।

लगाने के बाद तो चीनू ने पौधे में पानी दिया पर उसके बाद भूल गया। अगले दिन चीनू खेलने के बाद थक कर घर लौटा और पानी पीने लगा तो उसे याद आया कि उसने अपने लगाये नीम के पौधे में पानी तो डाला नहीं। वह भागा बाहर तो देखा कड़कती धूप के कारण उसका पौधा बिलकुल सूखा पड़ा था।

वो रुआँसा हो गया। अब क्या होगा। "मेरा पौधा तो सूख गया। मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी। इतनी गरमी में खुद तो पानी पीता रहा, पर नीम को पानी देने की बात कैसे भूल गया।"

बाहर लगे नल से उसने छोटी बाल्टी में पानी भरा और पौधे के चारों तरफ पानी डालते हुए कहने लगा, "मुझे क्षमा कर दो दोस्त ! मैंने तुम्हारा ध्यान नहीं रखा। अब ऐसी गलती न होगी मुझसे। मेरे नीम दोस्त ! क्षमा कर दोगे न मुझे।"

अपने सभी काम करने के बाद खाना खाकर वह सो गया। सुबह उठते ही वह अपने पौधे को देखने गया तो उसने देखा उसका नीम अपनी छोटी-छोटी टहनियाँ हिला कर जैसे कह रहा था, "दोस्त ! देखो तुमने पानी दिया तो मैं ठीक हो गया।"

चीनू खुशी से पागल हो गया, "नीम दोस्त ! तुमने मुझे क्षमा कर दिया न ! अब कभी नहीं भूलूँगा तुम्हें।"

नीम ने भी जैसे अपनी पत्तियाँ हिला कर उसे कहा, "दोस्ती की है तुमसे। इसमें क्षमादान कैसा दोस्त !"

"अब शाम को मिलता हूँ नीम दोस्त !" कहते हुए चीनू अंदर जाकर अपनी माँ से लिपट गया।


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