Ravi PRAJAPATI

Tragedy

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Ravi PRAJAPATI

Tragedy

नेटवर्क

नेटवर्क

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शाम के समय शालू जल्दी जल्दी छत पर जा रही थी। दिव्या का फोन जो आया था, छत पर पहुंचते ही.."हां हैलो दिव्या कैसी हो सब ठीक तो है न ,"

" हां सब ठीक है अपना बताओ क्या चल रहा है?"

" कुछ नहीं कल के बारे में सोच रहींहूँ ,"

" क्या शालू परेशान मत हो सब ठीक ही होगा।"

तभी मां नेआवाज लगाई "शालू-शालू ओ शालू"

" आयी मां ,"

इतना कहकर फिर बात करने लगती है। थोड़ी देर बाद मां फिर से आवाज लगाती है "जल्दी आओ बेटा चारपाई निकलवा दो फिर जी भर के बात कर लेना मना नहीं कर रही हूँ पड़ोस की दादी आई है,"

" जी मां बस आयी,"

ईधर दादी भी कहने लगी आजकल के बच्चे बस फोन में ही लगे रहते हैं। तभी शालू आ गई ,"कैसी हो दादी ?"

शालू चारपाई निकाल कर फिर बात करने के लिए छत पर चली गई। जब दादी ने शालू की मां से पूछा कि बिटिया किससे बात कर रही है तो शालू की मां ने बताया कि कल उसका दसवीं का रिजल्ट निकलने वाला है न तो वही अपनी सहेली से बात कर रही है।

" अच्छा ठीक है भाई , शालू के पिता जी नही दिखाई दे रहे हैं ,"

अभी वो काम के लिए गए हैं वापस नहीं आये है उनको आने में रात हो जाती है इसी तरह बात होती रही कुछ देर बाद दादी अपने घर चली गई और शालू भी नीचे आ गई।थोड़ा अंधेरा हो गया था सब लोग साथ में बैठे थे और शालू मां के साथ खाना बना रही थी।

तभी शालू के भाई ने पूछा शालू " रिजल्ट अब तक आयेगा" ।

शालू मन मसोस कर सहमे शब्दों में बोली "भईया कल ,"

"ठीक है रोल नम्बर बता देना सुबह देख लेंगे।"

"ठीक है भईया मैं देख लूंगी कोई बात नहीं है।"

रात का भोजन लगभग तैयार हो गया शालू ने सबको खाने के लिए बुलाया,सब लोग भोजन करके सोने चले गए और शालू ने भी खाना खाया और बर्तन धोकर सोने चली गई।

सुबह का वातावरण भगवान भास्कर अपनी लालिमा लिए पूर्व दिशा में निकल रहे हैं और सब लोग ताजगी के साथ नवप्रभात का स्वागत कर रहे हैं। सब लोग अपने अपने कार्य में व्यस्त हैं कोई नहा रहा है कोई पशुओं की देखरेख में लगा है और शालू रसोई में काम कर रही है।तभी शालू की मौसी का फोन आता है और पता चला की उसकी मौसी की बेटी की तबियत खराब है और पंकज को बुला रही है।फिर क्या तैयारी शुरूहूँ ई नाश्ता करने के बाद पंकज मौसी के यहां चला जाता है।

शालू ने खाना बनाकर सबको खिलाया और खुद भी खाना खाकर सारा कार्य पूरा करके बैठीहूँ ई है। अब क्या दो बजने का इंतजार करना है, तभी दिव्या का फोन आया शालू प्लीज मेरा भी रिजल्ट देख लेना, ठीक है देख लूंगी रोल नम्बर बता देना, किसी तरह समय बीत रहा है लगभग दो बजने ही वाले थे गांव में चहल पहल देखी जा सकती है चारों तरफ बच्चे अपने रिजल्ट के लिए आ जा रहें हैं चारों तरफ नेटवर्क की खोज चल रही है। शालू भी कभी अन्दर जाती कभी बाहर तो कभी छत पर नजर आती है।

एक तरफ शालू नेटवर्क के लिए परेशान है वहीं दूसरी तरफ फोन आने लगा "शालू मेरा भी रिजल्ट देख लो... मेरा भी रिजल्ट देख लो",

" ठीक है भाई थोड़ा सब्र करो देख लूंगी लेकिन नेटवर्क की क्या बात कुछ हासिल ही नही हुआ।"

परेशानी में शालू इधर उधर टहल रही है।

जब दोबारा शालू छत पर गई तो नेटवर्क आ गया फिर शालू ने फोन करके दिव्या का रोल नम्बर पूंछा, एक मिनट शालू " दो एक तीन दो एक चार नव " जैसे ही रोल नम्बर दर्ज किया रिजल्ट आ गया,

" शालू पचहत्तर अस्सी अस्सी..... दिव्या अस्सी प्रतिशत है।"

" ठीक है शालू धन्यवाद अपना देखो रूको देख रही हूँ उसके बाद शालू ने अपना रोल नम्बर दर्ज किया ज्यों ही रोल नम्बर दर्ज किया नेटवर्क फिर

गायब हो गया थोड़ी देर परेशान होने के बाद नेटवर्क फिर आ गया शालू की खुशी का ठिकाना न रहा, शालू ने रोल नम्बर दर्ज किया और शालू तेज से उछली छत के अन्तिम छोर पर होने के कारण नीचे की ओर लुढ़क गई और फोन छत पर गिर गया और शालू नीचे की ओर गिर गई गिरते समय खिड़की के बार्जे से सर टकराया और काफी चोटिल हो गयी।

आवाज सुनकर उसकी मम्मी दौड़कर आई तो देखा शालू अचेत अवस्था में नीचे गिरी है और सर से काफी खून बह रहा है पिताजी भी जब कमरे से दौड़े आए तो देखा बिटिया गिर गई है,इतना ही कह पाए "बेटा शालू....... गला भर आया।"

तुरन्त शालू को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंच गए और पंकज भी अपनी मौसी और बहन के साथ पहले ही स्वास्थ्य केन्द्र पर आ गया था और मम्मी को देखकर पूछा क्या हुआ..

कुछ नहीं शालू गिर गई.....

बहन की हालत देख पंकज अचेत सा हो गया।तुरन्त डाक्टर ने शालू को आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया और नर्स से कहा जल्दी करो, हालत बहुत गंभीर है। और शालू का दम घुट रहा था कोई इलाज हो पाता उससे पहले शालू ने चैन की सांस ले ली। तभी डाक्टर साहब ने बाहर आकर कहा "माफ कीजिएगा देर हो गई।"

चारों ओर कोहराम मच गया डाक्टर साहब ने कानूनी कार्रवाई के बाद शव को घरवालों के सुपुर्द कर दिया और घर आने के बाद अन्तिम संस्कार किया गया।

परिवार में सभी के चेहरे पर उदासी थी सब एक दूसरे से कुछ कहना चाहते हैं मगर शब्द के बाण हदय को विदीर्ण नहीं कर सकते हैं।शाम को जब पंकज छत पर गया तो शालू का फोन छत पर ही गिरा था शालू तो नहीं थी लेकिन उसकी मेहनत मुख्य पटल पर बिखरी हुई थी जब एकात्रित हुई तो पता चला पनचानवे प्रतिशत के साथ उसने प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

यह सब देख पंकज की आंखों से अश्रु धारा प्रवाहित हो गयी।आज नेटवर्क की खोज में शालू दुनिया के नेटवर्क से बहुत दूर चली गई जहां उसे नेटवर्क की कोई जरूरत नहीं है।



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