Twinkle Tomar Singh

Tragedy

5.0  

Twinkle Tomar Singh

Tragedy

नदी

नदी

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एक सुबह मैंने देखा था उसे मेरे जल में अपना अक्स निहारते हुये। आँखों पर काला चश्मा लगाये, सफेद शर्ट काली पैंट पहने हुये उसने मुझमें अपनी झलक देखने की कोशिश की थी। शायद मेरा जल उसकी ये इच्छा पूरी नहीं कर सका था उसने कहा था, "होली शिट, हाऊ डार्क द वाटर इज़!" फिर उसने अपने साथ आये कुछ लोगों से कहा था," इसकी सफाई का प्रोजेक्ट जल्दी ही शुरू करना होगा। पानी बिल्कुल सड़ रहा है। ये नदी है या नाला।" 

सच कहूँ तो मुझे उससे पहली ही झलक में प्रेम हो गया था। किसी ने तो मेरे बारे में सोचा। मैं सिकुड़ रही थी, मैं मर रही थी। वो आया था मुझे जीवनदान देने के लिये। उसकी आँखों में मैंने एक अजीब सी चमक देखी थी। प्रेम होने के लिये इससे अच्छी वज़ह और क्या होती?

मैं सँवरने लगी थी। वो आता था, अपने साथ मजदूरों की फौज लेकर। कोई मेरे अंदर फैली बेकार सी लताओं के जाल को हटाता, तो कोई मेरे जल के ऊपर तैर रही प्लास्टिक की थैलियों को हटाता। एक दिन उसने कहा कि इस सीवर के जल को यहाँ गिराना बन्द करना होगा। मैं मन ही मन ख़ुश हो रही थी। काश उसने मुझे ध्यान से देखा होता मैं प्यार का सागर बनती जा रही थी उसके लिये। 

फिर एक दिन वो आया। सिगरेट सुलगाते हुये उसने मेरी ओर ध्यान से देखा। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, उसकी आँखों में फिर से एक अलग सी चमक थी। सिगरेट का आख़िरी कश लेकर उसने सिगरेट मेरे जल में उछाल कर फेंक दी। पता नहीं क्यों ऐसा लगा एक अंगारा सा चुभा हो। 

"तुमने मुझे बहुत कुछ दिया। नदी बचाओ योजना के लिये मेरे एन जी ओ का प्रोजेक्ट एप्रूव्ड हो गया है। तुम तो मेरे लिये सोने की नदी निकली। आई लव यू।" दोनों हथेलियों से उसने मेरी ओर एक हवाई चुम्बन उछाल दिया, फिर मुड़ कर चल दिया।मैं उसे जाते हुये देखती रही। फिर वो लौटकर कभी वापस नहीं आया।

कैसे बताऊँ मेरे हृदय में कितनी पीड़ा है। नदी के आँसू दिखते नहीं न !


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