“नारी निंदा ना करो"

“नारी निंदा ना करो"

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“नारी निंदा ना करो नारी नर की खान, नारी से नर होत हैं ध्रुव प्रहलाद समान ।

कहा भी गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। “ शास्त्रों ने नारी शब्द का गुणगान अपने ग्रंथों में अभी तक पढ़ने को मिलता है l समाज में आज भी कहीं ना कहीं इस “नारी” शब्द का नाम लोग इज्जत से लेने के बजाय अनादर से लेते हैं। नारी को एक खिलौना समझ रखा है ।जबकि विवेक हीन व्यक्ति नारी को एक रिमोट कंट्रोल सिस्टम वाला रोबोट समझते हैं जैसे रिमोट का बटन दबाओ वैसे ही उसे चलाओ।

इन्हें कैसे समझाया जाए कि जिसका आज अनादर कर रहे हैं उसी के कारण से हमने इस संसार में कदम रखा है। नवदुर्गा में बहुत मंत्र पढ़ते हैं कि नारी ही वह देवी है जो सृष्टि की रचना करने वाली मातृरूपेण, तुष्टिरुपेण, दया रूपेण आदि है। पर बड़ा ही कष्ट होता है एक तरफ उसकी पूजा का ढोंग करते हैं दूसरी तरफ उसकी इज्जत नहीं करते समाज में बहू बेटी सुरक्षित नहीं है। “ आह" कितनी आत्मग्लानि होती है अब मैं वह कहानी सुनाने जा रहा हूं जो मेरी ही कक्षा आठ की छात्रा रोशनी कुमारी की है।

कहानी इस प्रकार है एक दिन कक्षा में मैं गणित पढ़ा रहा था ।सभी बच्चे ब्लैक बोर्ड पर दिया हुआ कार्य को कर रहे थे लेकिन यही छात्रा कुछ गुमसुम बैठी आंखों में आंसू लिए बैठी थी। मेरी अचानक नजर उस छात्रा पर गई और मैंने उसे अपने पास बुलाकर उससे कारण जानना चाहा, पहले तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुई, जब मैंने उससे कुछ प्यार से पूछा तो और तेज रोने लगी। मैंने सोचा इसकी तह तक जाना पड़ेगा, मैंने उससे बैठने को कहा। एमडीएम का समय जब हुआ तो मैंने जो विद्यालय में खाना बनाने वाली रसोइयों से कारण जानने की इच्छा प्रकट की। उनकी जब मैंने बातें सुनी तो मुझे पता चला कि जहां आज नारी आसमानों की बुलंदी को चूम रही है, लेकिन इसके घर में तो अंधकार भरा पड़ा है।

कारण का पता यह चला कि रोशनी 5 बहने हैं कोई भाई भी नहीं है। उसके पिताजी प्रतिदिन शराब पीकर उसकी मां को मारते हैं और उसे घर से निकालने की बात करते हैं, और कहते हैं कि इसी के कारण घर में लड़कियों की लाइन लग गई है। इसका प्रभाव बच्चों पर इतना पड़ता है कि ना बच्चे स्कूल में मन से पढ़ पाते हैं ना मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।

मैंने विचार किया कि इस छात्रा के पिता के आंखों से अज्ञान की पट्टी हटानी पड़ेगी ।मैंने निश्चय किया कि 1 दिन विद्यालय में पैरंट टीचर मीटिंग में सभी अभिभावकों को बुलाकर सत्यता को प्रकट कर दूं कि इसमें नारी का कहीं भी दोष नहीं है अगर दोष है तो सिर्फ पुरुष का जो अपने को खुदा समझता है।

जैसे कि हर माह में मासिक बैठक होती है, उस दिन मैंने उस छात्रा के माता-पिता को मैं स्वयं उनके घर पर जाकर किसी भी बहाने से बुलाकर लाया। मैं विज्ञान अध्यापक भी हूं lउस बैठक में मैंने बोर्ड पर सेक्स डिटरमिनेशन के बारे में विस्तार रूप से समझाया । सभी बहुत ही ध्यान से सुन रहे थे ।मैंने एक ही बात पर ज्यादा बल दिया कि नारी को ईश्वर ने जो दिया ,वह उसे पूर्णरूपेण देती है जोकि है उसका एक्स एक्स क्रोमोजोम, लेकिन यहां पर सिर्फ पुरुष ही दोषी है कि वह अपना वाई क्रोमोसोम नहीं दे पा रहा है। क्योंकि यही लड़का पैदा करने का प्रमुख प्रमाण है ।अतः पूर्ण रूप से पुरुष दोषी है।

मुझे खुशी इस बात की हुई उसी छात्रा के पिता जब मीटिंग समाप्त हुई तो मेरे ऑफिस में आकर पहले तो कुछ हिचकिचाए, फिर कहा गुरु जी आज आपने मेरी आंखें खोल दी। और कहां मैं बहुत बड़ा पाप कर रहा था ।इन सभी का कारण अपनी पत्नी को ही समझ रहा था। लेकिन आज से शपथ खाता हूं आज के बाद मैं कभी भी शराब नहीं पियूंगा और ना पत्नी को मारूंगा। लोगों की कही बातों पर आ जाता था कि तेरी पत्नी कभी लड़के को जन्म नहीं देगी लेकिन आपने मेरी आंखें खोल दी। अब मेरी लड़कियां ही मेरे बेटे हैं।

अगले दिन से वही छात्रा बहुत खुश रहने लगी ।और बहुत मन लगाकर पढ़ने लगी ।

अंत में यही कहना चाहता हूं- नारी का सम्मान, राष्ट्र का सम्मान।



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