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Dr. Poonam Gujrani

Drama

3  

Dr. Poonam Gujrani

Drama

मर्दानी

मर्दानी

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" काय झाला बिटिया, बहस नको मर्द है तेरा।इतनी ऊँची आवाज में बात नहीं करते " कहते हुए कलावती ने प्रभा के कमरे का गेट बजाया।

" क्यों नहीं करते अम्मा, जब आपका बेटा जोर से बोलता है तब तो आप कानों में तेल डालकर बैठ जाती हो। आज मैनें आवाज को ऊँचा किया तो मिर्ची लग रही है आपको ", प्रभा कमरे से बाहर निकल कर ठीक कलावती के सामने खङ़ी हो गई।

 " अरे बेटा, वो बात नहीं है।समझती है मैंपर ये अभी पीकर आया है, गर्म खून है इसलिए कहती है, थोङ़ी चुप लगाके रखने का।आस- पङोस में तमाशा बन जायेगा "।

" वही तो, मैं भी आपके बेटे को समझा रही थी कि आस पङ़ोस में तमाशा नको करो, जब देखो पीने के लिए पैसे माँगता रहता है।काम का न घाम का ढाई मण अनाज का, ऊपर से ये शराब, पीने के लिए ही तो रोक रही थी। सोनिया की फीस के लिए जमा किए पैसे उङ़ा दिए शराब में। अब कहो ताई, कहाँ से फीस भरूँ,इस शराब ने बरबाद कर दिया हमें। फिर ऊँची आवाज में बात न करूँ तो क्या करूँ" कहते- कहते प्रभा की रूलाई फूट पडी।

" नको नको बेटा, रोते नहीं, ये सब मर्दों की कहानी है " कलावती ने बेचारगी भाव से कहा।

" नहीं आई, अब ओर नहींयह मर्द है तो मैं भी मर्दानी हूँ। कहे देती हूँ, आज के बाद जो शराब पीकर आया तो इस घर में जगह नहीं इसके लिए, मरू दे आई मेल्याल, सर फोङ़ दूँगी इसका " कहते हुए प्रभा ने पास ही पङ़ी लाठी उठा ली।कलावती को प्रभा में माँ दुर्गा का रूप नजर आ रहा था।

" ठीक है प्रभा, सही कहती हो तुम। काश ! बरसों पहले ये मर्दानी मेरे भीतर अवतार ले लेती तो हमारी दशा कुछ ओर ही होती " कहते हुए उसने चारपाई पर बेहोशी की स्थिति में पङ़े अपने पति को देखा और थूक दिया।

कलावती के बेटे को अब घर में दो मर्दानी औरतें दिखाई दे रही थी।

आसमान में पूर्णिमा का चाँद मुस्कुरा रहा था।


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